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शतरंजी शक्रसूनु, इन्द्र का पुत्र, जयंत, बालि, शत-वि. (सं०) सौ, दस का दस गुना, अर्जुन, शक्रात्मज, शक्रतनय।
सैकड़ा, सौ की संख्या (१००)। शक्ल-संज्ञा, स्त्री० (अ.) शकल, सूरत, चेहरा, शतक-संज्ञा, पु० (सं०) सैकड़ा, एक सी बनावट, स्वरूप, प्राकृति ।।
सौ वस्तुओं का पमूह, शताब्दी। स्त्री. शख्स-संज्ञा, पु० (अ०) मनुष्य, जन, व्यक्ति। शतिका। शख्सियत-संज्ञा, पु. (अ०) व्यक्तित्व ।। शतकोटि-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) इन्द्र का शग़ल-संज्ञा, पु० (अ.) कामधंधा, कार्य, वज्र, सौ करोड़ की संख्या । " रामायण व्यापार, मनोविनोद।
शतकोटि महँ, लिय महेश जिय जानि"-- शगुन, शगून-संज्ञा, पु० दे० (सं० शकुन)
रामा०। शकुन, शुभाशुभ सूचक चिन्ह या लक्षण,
शतक्रतु --संज्ञा, पुरु (सं०) इन्द्र । " तथा विवाह की बातचीत पक्की होने पर की एक
विदुमी मुनयः शतक्रतुं द्वितीयगामी न हि रीति या रस्म, तिलक, टीका, सगुन (द०)।
शब्द एष नः"~ रघु० ।। शगुनिया--- संज्ञा, पु. (हि० शगुन - इया + |
शतघ्नो-सज्ञा, पु० (सं०) पुराने समय की प्रत्य०) शकुन बतानेवाला छोटा ज्योतिषी।।
तोप या बन्दूक-जैसा एक शस्त्र । "शतघ्नी शगूफ़ा-संज्ञा, पु. (फा०) कली, बिना
शत संकुलाम् ".-.-वाल्मी० । खिला फूल, पुष्प, फूल, नवीन और अनोखी
शतदल संज्ञा, पु. यौ० (सं०) पद्म, कमल । बात या घटना । मुहा०-शगूफा छाड़ना शतदल स्वेत कमल पर राजा".-भारतदु । - नई विलक्षण बात कहना ।
शत-संज्ञा, स्त्री० (सं०) सतलज नदी। शचि, शची-संज्ञा, स्रो० (१०) इन्द्र की
शतपत्र -- संज्ञा, पुरु यौ० (सं०) कमल । स्त्री, पुलोमजा, इन्द्राणी । " पतिव्रता
"शतपत्रनेत्र" -- स्फु० । पत्युरनिच्छया शची"--नैष ।।
शतपथ (ब्राह्मण)---संज्ञा, पु. (सं०) महर्षि शचापति--संज्ञा, पु. यौ० (सं०) इन्द्र, शचीनाथ ।
याज्ञवल्क्य कृत यजुर्वेद का एक ब्राह्मण-ग्रंथ । शचीश-संज्ञा, पु. यौ० (स.) इन्द्र।
शतपद ---- संज्ञा, पु. (सं०) कनखजूरा. गोजर शजरा--संज्ञा, पु. (अ.) वंश वृक्ष,
ग्रा०) ब्यूटी । स्त्री० शतपदी। वंशावली, खेतों का नक्शा (पटवारी)।
शतपुष्प --- संज्ञा, नी० (सं०) मौंफ । शटी-संज्ञा, पु० (दे०) एक प्रकार का कबूतर ।
शतभिषा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) सौ तारों के शठ-वि० (सं०) मूर्ख, अपढ़, धूर्त, बेसमझ,
समूह से बना गोलाकार २४ वाँ नक्षत्र, दुष्ट, बदमाश, पाजी, लुचा, चालाक,
सतभिखा (दे०) (ज्यो०)। सठ (दे०) । संज्ञा, स्त्री. शठता, पु०
शतमख-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) इन्द्र, शाठ्य । “शठ सुधरहिं सत्संगति पाई" -रामा० । संज्ञा, पु.--वह नायक जो
शतमूली-संज्ञा, श्री० (सं०) लता विशेष । अपने अपराध के छल से छिपने में प्रवीण
| शतरंज-संज्ञा, स्त्री. (फा० मि० सं० चतुरंग) हो (साहि.)।
एक विख्यात खेल जिसके बिछौने में चौंसठ शठता-संज्ञा, स्त्री. (सं०) शाठ्य, शठत्व, घर होते हैं। धूर्तता, बदमाशी, दुष्टता ।
शतरंजी-संज्ञा, स्त्री० (फ़ा०) कई रंगों का शण--संज्ञा, पु० (सं०) सन, राट । । छपा फर्श, दरी या बिछौना, सतरंगी शणसूत्र--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) सुतली, (सतरंगी-सं०), शतरंज की बिसात, वैश्यों का जनेऊ ।
शतरंज का अच्छा खिलाड़ी।
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शतक्रतु।
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