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शंबरारि, शंबररिपु
शकुंत शंबरारि-शंबररिपु-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) | शक-संज्ञा, पु० (सं०) वह राजा जिसके कामदेव, प्रद्युम्न, शंबर शत्रु .
नाम से कोई सम्बत् चले, सूर्य-वंशीय राजा शंबल-संज्ञा, पु० (सं०) पाथेय मार्ग-भोजन, नरिण्यंत से उत्पन्न एक क्षत्रिय जाति विशेष विद्वेष, तट, संबल (दे०)
जो पीछे म्लेच्छों में मानी गई ( पुरा० )। शंबु- संज्ञा, पु० (सं०) घोंघा, छोटा शंख, राजा शालिवाहन का चलाया संवत् ( ईसा संबु (दे०)
के ७८ वर्ष पश्चात् से प्रारम्भ ) संज्ञा, पु० शंबुक-संज्ञा, पु० (सं०) घोंघा, छोटा शंख, (अ.) संदेह, शंका, भ्रम, एक (दे०) । संधुक (दे०)। “ मुक्तास्रवहि कि शंबुक- " राम चाप तोरवा सक नाही' --- रामा० । ताली''-रामा०।
शकट-- संज्ञा, पु० (सं०) बैलगाड़ी, छकड़ा, शंक-संज्ञा, पु. (सं०) राम-राज्य में एक लही (ग्रा.), बोझा, भार, एक दैत्य जिसे शूद्र तपस्वी, जिसकी तपस्या से एक कृष्ण जी ने मारा था, देह, शरीर । ब्राह्मण सुत अकाल में मरा और इपी से
शकटासुर संज्ञा, पु० यौ० (सं०) एक दैत्य राम ने इसे मार कर उसे जीवित किया
जो कृष्ण के द्वारा मारा गया था (भा०) । (रामा०), घोंघा, छोटा शंख :
शकठ-संज्ञा, पु० (सं०) मचान । शंभु-संज्ञा, पु० (स०) महादेव, शिव, भु
शकर --- सज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० शकरा ) शक्कर, (दे०) ११ रुद्रों में से एक, १६ वर्णों का
चीनी, खाँड़। एक वृत्त (पि.), एक दैत्य, शुभ । संज्ञा, पु. (सं०) स्वायंभुव ।
शकरकंद -- संज्ञा, पु० दे० (हि. शकर + शंभुगिरि-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) कैलास : __ कद-सं० ) एक विख्यात मीठी कंद। शंभुधनु - संज्ञा, पु० दे० यौ० सं० शंभुधनुष ) शकरपारा--- संज्ञा, पु० (फा०) नींबू से कुछ शिव-धनुष । “सब की शक्ति शंभु-धनुभानी"
बड़ा और स्वादिष्ट एक फल, एक प्रकार का --मा० ।
चौकोर पक्वान्न या मिष्टान्न, इसी के आकार शंभुवीज-शंभुतेज-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) की सिलाई
पारद, पारा, शिव-शुक्र, शभु-वीय । शकल, शक्तः - संज्ञा, स्त्री० दे० ( अ० शक्ल ) शंभुभूषण- संज्ञा, पु. यो. (स०) चंद्रमा, श्राकृति, मुख की बनावट, रूप, चेहरा, साँप ।
सूरत, चेष्टा, बनावट या गठन, गढन, शंभुलोक-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) कैलास ।
स्वरूप, उपाय, तरकीब, ढाँचा, ढब । संज्ञा, शंसा-संज्ञा, स्त्री. (सं०) चाहना, चाह,
पु० (सं०)--टुकड़ा, खंड। “दष्ट्रा-मयूखै अभिलाषा, उत्सुकता, उत्कट अभिलाष ।।
शकलानि कुर्वन् "-रघु० । शंसित-वि० (सं०) उक्त, कथित, प्रक्त,
शता-द-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) राजा शालिनिश्चित, स्तुत्य ।
__ बाहन का शक सम्वत्. यह ईसवी सन् शस्य--वि० (स०) प्रशंसनीय, स्तुत्य, प्रशंसा के योग्य, श्लाघ्य ।
से ७८ या ७६ वर्ष पीछे चला । शऊर--संज्ञा, पु. (अ.) कार्य करने की | शकार - संज्ञा, पु० (सं०) शक-वंशीय व्यक्ति योग्याता या क्षमता, लियाकत, तमीज़, शवणे । बुद्धि, अक्ल, सहूर (दे०)।
शकारि----संज्ञा, पु० यौ० (सं०, राजा विक्रमाशऊरदार-सज्ञा, पु०, वि० अ० शऊर+ दित्य जिन्होंने शकों को पराजित किया था। दार--फा० ) योग्य, लायक, बुद्धिमान, शकत-- संज्ञा, पु० (सं०) पक्षी, पखेरू, विश्वाभक्लमंद । वि०-बेशऊर ।
। मित्र का पुत्र।
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