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घिलुप्त
१६०१
विवस्वत् विलुप्त-वि० (सं०) अदृश्य, गुप्त । कहने की इच्छा, अर्थ, मतलब, तात्पर्य, विलुलित - वि० (स.) हिलता था लहराता अनिश्चय, संदेह, संशय । हुआ । “विलुलितालक संहतिरामृशन् विवक्षित--वि० (सं०) जिसकी कहने की मृगदृशां श्रमवारि ललाटजम्'-माघ । इच्छा या आवश्यकता हो, अपेक्षित । विलेह-संज्ञा, पु० (पं०) लेप, उबटन । विवदना* -- अ० कि० (सं० विवाद +नाविलेशव--संज्ञा, पु० (सं०) बिल में सोने या हि० प्रत्य० } विवाद या बहस करना, रहने वाला, साँप, सर्प ।
शास्त्रार्थ करना। विलोकना--स० कि० दे० (सं० विलोकन ) विवर-संज्ञा, पु० (सं०) छेद, बिल, छिद्र, देखना । " नारि विलोकहिं हरपि हिय " सूराख, दरार, गर्त, कंदरा, गुफा, गड्ढा । -- रामा० ! संज्ञा, पु.० -विलोकन । वि०-- | विवरण-पंज्ञा, पु० (सं०) व्याख्या, भाष्य, विलोकनीय।
विवेचन, वृत्तांत, बयान, व्योरा, टीका । विलोकित--वि० (सं०) देखा हुआ। विवर्ण - संज्ञा, पु० (सं० क्रोध, मय, मोहादि विलोचन--संज्ञा, पु. (सं०) नेत्र, आँख, से मुख का रंग बदल जाना ( एक भाव नयन, आँख फोड़ने का काम । " भये । सहि.)। वि० --- कमीना, नीच, कुजाति, विलोचन चारु अचंचल''.-रामा० । अधम, बदरंग, कांति-हीन, मुख-श्री-रहित, विलोडना-स० कि० दे० (सं० विलोड़न ) । बुरे रंग का । संज्ञा, स्त्री० ---विवर्णता। मथना, महना. हिलोरना । संज्ञा, पु. (सं०) विवर्त्त--संज्ञा, पु० (सं०) समुह, समुदाय, विलोडन। वि०-विलोडनीय, विलोडित। समुच्चय, श्राफाश, नभ, भ्रम, भ्रांति, संदेह । विलोप ---संज्ञा, पु. (सं०) श्रदर्शन, नाश,
"ईशाणिमैश्वर्य विवर्त्त मध्ये "-नैष । ध्वंस, छिपा, लुप्त । वि.-विलुप्त, विलोपक ! विवर्तन-संज्ञा, पु० (सं०) फिरना, टहलना, विलोपना-स० क्रि० दे० (सं० विलोप) | घूमना । वि०-विवर्तित, विवर्तनीय । छिपा लेना, नष्ट या लोप करना, उड़ाकर विवर्तवाद--- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) परिणाम
भागना, विघ्न डालना संज्ञा, पु०-विलोचन। | वाद सृष्टि को माया तथा ब्रह्म को सृष्टि का विलोमी-वि. ( सं० विलोपिन् ) नष्ट या उद्गम स्थान मानने का सिद्धान्त (वेदा०)। नाश करने वाला, लोप करने या छिपाने |
वि०--विवर्तवादी। वाला, लोपक।
विवर्द्धन-संज्ञा, पु० (सं.) उन्नति, तरक्की, दिलोर--- वि० (सं०) विपरीत, प्रतिकूल,
उन्नति करना । वि०-विवर्धनीय,
। विवर्धित. उलटा, विरुद्ध । संज्ञा, पु. ऊँचे से नीचे
विवद्धित-वि० (सं०) वृद्धि या उन्नति को भाना । संज्ञा, स्त्री. विलोमता।
प्राप्त, बढ़ाया हुआ। विलोल-वि० (सं०) चंचल, चपल, सुन्दर। विवश-वि० (सं.) बेवश, बेबस (दे०) "विलोल नेत्रा तरुणी सुशीला" - रंभा०
लाचार, जिसका वश न चले, मजबूर, विल्व--संज्ञा, पु० (सं०) बेल का फल या |
पराधीन । सज्ञा, स्त्री०-विवशता, बिबस,
बेबसी (दे०)। विल्वपत्र- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) बेल-पत्र, विवस्त्र-वि. (सं.) नंगा, नग्न, वस्त्र-हीन, बेल का पत्ता।
दिगम्बर । घिल्वमंगल--- संज्ञा, पु. (सं०) अंधे होने विवस्वत्-संज्ञा, पु. (सं.) विवस्वान्,
से पहले महाकवि सूरदास का नाम | सूर्य, अरुण (सूर्य-सारथी) । " इमं विवस्वते विवक्षा- संज्ञा, स्रो० (सं० वक्तुमिच्छा ) योगं प्रोक्तवानहमव्यम्”-भ० गी० । भा० श० को०-२.१
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