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TRATHI
प्रहन
प्ररूप गर्भ से उत्पन्न हुये थे, इनके पैर न थे, अरुणोत्पल-संज्ञा, पु० यौ० ( सं० क्योंकि विनिता ने इनके शरीर के पूर्ण होने अरुण + उत्पल ) लाल या रक्त कमल । के पूर्व ही अंडे फोड़ दिये थे, इनकी स्त्री अरुणोपल-संज्ञा, पु. (सं० ) पद्मराग का नाम श्येनी है, संपाति और जटायु | __मणि, लाल, लाल रंग का एक हीरा । इनके पुत्र थे। गुड, अर्कवृन, संध्याराग, अरुन* - वि० दे० (सं० अरुण ) लाल । शब्द-रहित, अव्यक्त राग, ईषद्रक्त, कुष्ट- अरुनई-अरुनाई-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० भेद, कुमकुम, गहरा लाल रंग, सिंदूर, एक अहणाई ) ललाई। देश, मात्र मात्र का सूर्य ।
अकनारा-दि० पु० (दे० ) । स्त्री० अरुन-(दे०)।
अरुनारी । बहु ब० अरुनारे-लाल, अरुण । अरुण कमल-संज्ञा, पु. यो. (सं० ) “ उडइ अबीर मनहु अरुनारी"-रामा० । रक्त या लाल कंज।
अरुनाना* --अ० कि.० दे० (सं० अरुण ) श्रण नयन-अरुण लोचन--संज्ञा, पु. लाल होना, रक्त वर्ण का करना। यौ० (सं० ) लाल नेत्र, कपोत, कबूतर, ( स० कि० ) लाल करना । कोकिल, अरुणान।
अहरना*S- अ० वि० ( दे० ) लचकना, अमगा-मारभि-संज्ञा, पु. यौ० (सं० ) बल खाना, मुड़ना, सिकुड़ना, संकुचित भानु, सूर्य, दिवाकर ।
होना। अरुणचूड-संज्ञा, पु. ( सं० ) कुक्कुट, अहवा--संज्ञा, पु० दे० (सं० अरू) एक मुगा।
प्रकार की लता जिपका कंद खाया जाता है। अरुणप्रिया-संज्ञा, स्त्री० यौ० ( सं० ) संज्ञा, पु० दे० (हि० रुरुया) उल्लू पती। अप्सरा, छाया और संज्ञा, सूर्य की स्त्रियाँ ।। "अरुवा (सस्त्रा ) चहुँदिसि रत"--। अरुणा शिवा-संज्ञा, पु. यो. (सं० ) अरु-वि० (सं० ) जो रुष्ट या नाराज़ न मुर्गा, कुक्कुट, अरुन सिखा । (दे०)। हो, प्रसन्न । " उठे लषन निसि-विगत, सुनि, अरुन- अरूत-वि० (सं० ) जो रुखा न हो सरस. सिखा-धुनि कान"-रामा० ।।
चिकना। अरुणाई --संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० अरुण ) अरुभना-अ. त्रि.( दे० ) भिड़ना. ललाई, रक्तत्ता, लाली, लालिमा।
लड़ना, झगड़ना। अरुनाई (ब्र० दे० )।
" रन राज कुमार अरुझहिंगे जू"अरुणारे-अरुनारे-वि० दे० ( सं० अरुण ) रामा०। लाल, अरुण रंग वाले, रतनारे ।
मोसों कहा अरुझति "-सूबे । अरुणिमा-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) ललाई, | अरूठा-वि० दे० (सं० आरुट ) रुष्ठ, रूठा लालिमा, सुर्ती ।
हुश्रा, जो रूठा या मष्ट न हो। (अ+ " अरुणिमा-विनिमज्जत हो गई "- रुष्ट) अरुष्ट । प्रि० प्र०।
अरूढ़-वि० दे० (सं० प्रारूढ़) चढ़ा अरुणोदय-संज्ञा, पु० यौ० (सं० अल्ण + हुया, ऊपर बैठा हुआ, तत्पर, तय्यार । उदय ) उषाकाल, ब्राह्म मुहूर्त, तड़का, अरूप-वि० (सं०) रूप-रहित, निराकार. भोर, सूर्योदय । अरुनोदय (दे०)।
"अलख अरूप ब्रह्म, हम न कहेंगी तुम " अरुनोदय सकुचे कुमुद -रामा०। । लाख कहिबो करौ"-ऊ० श० ।
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