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अँगराना
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आदि सुगन्धित पदार्थों का लेप, हाथ-पैर में लगाने के लिए मेंहदी और महावर, लाक्षारस, ६ – एक प्रकार का सुगन्धित चूर्ण जो देह पर लगाया जाता अँगराना* – प्र० क्रि० (दे०) अँगड़ाना, देह मरोड़ना, संज्ञा - स्त्री० - अँगराई, राइबो । अँगरी -संज्ञा, स्त्री० ( , झिलम, बख़्तर, (सं० - अंगुलीय ) अँगुलित्राण, अँगूठी । अँगरेज़ - संज्ञा, पु० (पुर्त० – इङ्गलेज़ ) [वि० अँगरेज़ी ] इंगलैण्ड - देश का निवासी, चांगल देश-वासी ।
सं० - अंग रक्षा )
कवच,
अँगरेज़ी - वि० अंगरेज़ों का, उनके देश का, विलायती, अँगरेज़ों की भाषा या बोली । अँगलेट - संज्ञा, पु० (सं०-अंग ) शरीर का गठन, ढाँचा, काठी, देह की उठान । अँगवना - क्रि० स० ( सं०-अंग ) अंगीकार करना, स्वीकारता, श्रोदना, सिर पर लेना, सहना, झेलना, उठाना । मँगवारा - संज्ञा पु० ( सं० अंग - भाग, साहाय्य !- कार ) ग्राम के एक लघु भाग का मालिक, खेत की जुताई में एक दूसरे की
मदद करना ।
अंगविकृति--संज्ञा स्त्री० (सं० ) अपस्मार, मृगी या मिरगी रोग, मूर्छा, पक्षाघात, चंगों का टेढ़ा-मेढ़ा होना । अंगविक्षेप - संज्ञा पु० ( सं०, यौ० ) -- श्रंगों का मटकाना, चमकाना, नृत्य, नर्तन में कलाबाजी । श्रंगविद्या - संज्ञा स्त्री० (सं०. यौ० द्रिक शास्त्र । अंगशेष -- संज्ञा पु० (सं०, यौ० ) दुर्बलता या कृशता का रोग, सूखा रोग, यह प्रायः बच्चों को होता है ।
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सामु
अंगसिहरी यौ० संज्ञा स्त्री० (सं० - अंग - देह + हर्ष -- कंप) ज्वर से पूर्व शरीर- कंप, कँपकँपी ।
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अंगारपुष्प
अंगहार - यौ०, संज्ञा पु० (सं० ) अंगविक्षेप, नृत्य, नाच |
अंगहीन - संज्ञा यौ० पु० (स० ) अंग-रहित, कामदेव |
अंगा - संज्ञा पु० (सं० ) अँगरखा, चपकन, कोट के बराबर का बन्ददार वस्त्र । गाकरी - संज्ञा स्त्री० ( सं० - अंगार + हि० करी ) अंगारों पर सेंकी गई मोटी रोटी, बाटी, अंकरी - (दे० ) संज्ञा स्त्री० ( सं० श्रङ्गारिका ) मधुकरी ।
अंगार - संज्ञा पु० ( सं० ) दहकता या जलता हुआ कोयला, निर्धूम या धुवाँरहित ग्राग, चिनगारी |
मु० - अंगार उगलना - कड़ी कड़ी, जलाने वाली बात कहना. अंगारों पर पैर रखना -- जान बूझ कर हानिकारक काम करना, खतरे में डालना, ज़मीन पर पैर न रखना, गर्व या अति करना, अंगारों पर लोटना - रोष या क्रोध करना, यागबबूला होना, दाह, ईर्षा, डाह से जलना, लाल अंगारा होना - क्रुद्ध होना, बहुत लाल । ( तद्० दे० -- अँगार, अँगराअँगारे बरसत है " ) अंगारा - संज्ञा, पु० ( उ० ) जलता कोयला । संज्ञा स्त्री० (अंगारी) ( अँगारी ) - अंगारघानिका -
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संज्ञा
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स्त्री० (सं० ) अँगीठी, गोरसी । अंगारक - संज्ञा पु० (सं० ) अंगारा, मंगल ग्रह, भृङ्गराज, भँगरैया, भँगरा, कटसरैया । अंगाङ्गी ( भाव ) - संज्ञा यौ० पु० (सं० ) Marai का पारस्परिक सम्बन्ध, अंश का पूर्ण के साथ सम्बन्ध, संकर अलंकार का एक भेद ।
अंगार - पाचित - संज्ञा यौ० पु० ( सं० ) अंगारों पर पकाया हुआ खाने का पदार्थ, नानखटाई, कबाब यादि । अंगारपुष्प - संज्ञा पु० ( सं० - श्रंगार - अंगारे + पुष्प - फूल ) अंगारे के समान लाल फूल, इंगुदी या हिंगोट का वृक्ष ।