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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - विज्ञ १५८४ वित् विज्ञ-वि० (सं०) पंडित, विद्वान, बुद्धिमान, विटलवण- संज्ञा, पु. ( सं० ) सोचर या ज्ञानी, जानकार । संज्ञा, स्त्री. विज्ञता। साँचर नमक । विज्ञप्ति -- संज्ञा, स्रो० (सं०) विज्ञापन, इश्तहार विठ्ठल-संज्ञा, पु. (दे०) विःणु की एक सर्वसाधारण को सूचित करने या जताने मूत्ति ( दक्षिण भारत ) । यौ० विट्ठल नाथ, की क्रिया। विठ्ठल विपुल-वल्लभाचार्य के शिष्य । विज्ञान --संज्ञा, पु० (सं०) किसी विषय की विडंबना--संज्ञा, स्त्री. (सं०) चिढ़ाने को ज्ञात बातों का शास्त्र-रूप में स्वतंत्र संग्रह, . किपी की नकल करना या उतारना, हँसी साँसारिक पदार्थों का ज्ञान, लत्व विद्या, उड़ाना, चिढ़ाना, उपहाय, मज़ाक करना, पदार्थ ज्ञान, वस्तु-विज्ञान या शास्त्र, पदार्थ, दुर्दशा, विडंबन (दे०) । वि० विउंचनीय, श्रात्मा, ब्रह्म निश्चयात्मिक बुद्धि, अविद्या विडंवित केहिकर लोभ विडंबना, कीन्ह या माया नाम की वृत्ति । न यहि संसार--रामा० । " मेरे भुज. विज्ञानमयकोष-संज्ञा, पु. यो. (सं०) दंडन की बड़ी है विडंबना '—केश । बुद्धि और ज्ञानेंद्रियों का समूह (वेदा०)। विडर - क्रि० वि० (दे०) पृथक, विलग, विज्ञानवाद-संज्ञा, पु० सं० ) ब्रह्म और दूर दूर पर । जीव की एकता का प्रतिपादक सिद्धांत. | विडरना*---अ० क्रि० (दे०) भागना, दूर श्राधुनिक विज्ञान की बातों का मानने होना, दौड़ना, बिखरना, छितरना, तितरवाला सिद्धांत । वि०, संज्ञा, पु. विज्ञान बितर, विदीर्ण होना, फैल जाना, बिडरना। वादी। स० रूप-विडराना, प्रे० रूविडरवाना। विज्ञानी-संज्ञा, पु. (सं० विज्ञानिन् ) बड़ा विडारना-स० क्रि० द० ( हि० विडरना) बुद्धिमान, किसी विषय का विशेष ज्ञाता, बिडारना (दे०), छितराना, बखेरना, बड़ा विद्वान, वैज्ञानिक, विज्ञान-शास्त्र का भगाना, तितर-बितर करना, दौड़ाना, विदीर्ण यो नष्ट करना । “जैसे सिंह बिहारै गाय" ज्ञाता। विज्ञापन-संज्ञा, पु. (सं०) सूचना देना, -श्रा० थं। इश्तहार, जानकारी कराना, सूचना पत्र, विडाल--संज्ञा, पु० (सं०) बिल्ला, बिल्ली। लोगों को किसी बात के जताने का लेख । विडालात-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) एक वि. विज्ञापक, विज्ञापनीय। पौ० आत्म राजा ( महा० )। वि० (सं०) कंजा, बिल्ली की सी आँख वाला। विज्ञापन-श्रात्म-श्लाघा । विडोजा--संज्ञा, पु. ( सं० विडोजस् ) इन्द्र । विट-संज्ञा, पु० (सं०) लंपट, कामी, वेश्या " साधु साधु विजयस्व विडोजा''-नैप० । गामी, कामुक, चालाक, धूर्त, धनी, वैश्य, वितंडा-सज्ञा, स्त्री. ( सं० ) पर पक्ष को विषयादि में सारी सम्पत्ति खोने वाला धूर्त दबाते हुये अपने पक्ष की स्थापना करना, स्वार्थी नायक (साहि०) मल, विष्टा, बट ।। (न्याय०) व्यर्थ के लिये झगड़ा या कहा "न नटः न विटः न च गायनः"-भ. श०, सुनी यो० वितंडा वाद।। "नट विट भट गायन नहीं "-.वि. सि० वितंत* -- संज्ञा, पु. द० ( सं० वितंत्र ) विटप-संज्ञा, पु० (सं०) पेड़, वृक्ष, नवीन, बिना तार का बाजा। कोमल, शाखा या पत्ते, कोपल, बिटप वित*--वि० दे० (सं० विद् ) ज्ञाता, चतुर (दे०)। " मोह विटप नहिं सकत उपारी" | जानकार, निपुण । संज्ञा, पु० (दे०) सामर्थ्य, -रामा०। धन, शक्ति, वित्त, बित (दे०), "सुत, वित, विटपी--- संज्ञा, पु० (सं०) पेड़, वृक्ष । नारि, भवन, परिवारा"-रामा० । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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