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१५५४
चंदित
व-संस्कृत और हिन्दी भाषा की वर्णमाला वंचना (द०)। ( वि० पंचनीय )। "न के अंतस्थों में का चौथा अर्ध-व्यंजन वर्ण, वंचनीया प्रभवोऽनुजीवभिः-किरा० । स० जो उ का विकार है, इसका उच्चारण स्थान क्रि० दे० ( सं० वंचन ) धोखा देना, ठगना, पोष्ट है । " उपूपध्मानीयानामोष्टौ” । छल करना । स० क्रि० दे० (सं० वाचन ) संज्ञा, पु० (सं०) कल्याण, वंदन, वरुण, वाण, .
बाँचना, पढ़ना। वायुः वस्त्र, वाहु, सागर । अव्य०( फ़ा०) वंचित---वि० (0) जो छला या ठगा और-जैसे-राजा व राव।।
गया हो, धोखा दिया गया, बिलग, विहीन घंक-वि० (सं०) चक्र, कुटेल, टेढ़ा, बंक रहित । " ते जन वंचित किये बिधाता" (दे०), संज्ञा, स्त्री० (सं.) वंकता।
-रामा०। वंकट-वि० दे० (सं० वंक ) बाँका, वक्र, वंट--संज्ञा, पु० (द०) हिस्सा, वेंट | कुटिल, टेदा, विकट, दुर्गम, कठिन । संज्ञा, वंटक-संज्ञा, पु० दे० (हि. वंट -|-अकस्त्री० (दे०) वंकटता।
प्रत्य०) हिस्सा, भाग। वंकटेश-संज्ञा, पु० (सं०) विष्णु भगवान | वंठ--संज्ञा, पु० (दे०) मझोला, बौना, की एक मूर्ति (दक्षिण भारत)।
विवाहित व्यक्ति । वि० --विकलांग । वंकनार, वंकनाल-संज्ञा, स्त्री० दे० यौ० वंडर-संज्ञा, पु० (दे०) खोजा, कंजूस ।
(सं० वंक-नाड़ी) सुनारों की टेढ़ी फुकनी। वंडा संज्ञा, स्त्री० (दे०) कुलटा स्त्री । वंकनारी, वंकनाली-संज्ञा, स्त्री० दे० वंदन-संज्ञा, पु. ( सं० ) स्तुति, प्रणाम, यौ० (सं० वंक- नाड़ी ) सुपुम्ना नाम की पूजा । वि० वंदनाय, दिन। “गाइये एक नाड़ी ( हठ योग )।
गनपति जग-वंदन'' -- विनय० । वंकिम-वि० (सं० ) वक, टेदा, भुका | वंदनमाला-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं.) हुश्रा, कुटिल ।
वंदनवार । "कदलि-खंभयुत् कलश जहाँ वंतु - संज्ञा, स्त्री. ( सं०) आक्सस नदी शोभित हैं वंदनमाला "-कं. वि. । जो हिन्दू कुश पहाड़ से निकल कर अरल वंदना- संज्ञा, स्त्री. (सं०) स्तुति, प्रणाम । सगर में गिरती हैं (भूगो०)।
वंदन । स० क्रि० (दे०) बंदन करना, बंदना वंग-संज्ञा, पु. (सं० ) बंगाल प्रदेश, (दे०) । "बंदो पवन-कुमार"- रामा० । राँगा धातु, राँगे की भस्म लो०-"घोड़े | वंदनी -- संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० वंदनीय ) की तंग, मनुष्य की वंग''
प्रणाम करने योग्य, पूजनीय, पूज्य । वंगज-संज्ञा, पु. ( सं० ) पीतल, सिंदुर। "वह रेणुक तिय धन्य धरनी में भई जगवि० सं०)-बंगाल प्रदेश में उत्पन्न । वंदनी"---राम । वंगेश्वर-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) पंग भस्म, वंदनीय-वि० सं०) पूजनीय, स्तुत्य, ( एक रस ) वंग देश का राजा, वंगेश, वंदना या श्रादर करने योग्य, वंदनीय वंगाधिपति, वंग-नाथ, बंग-नायक । (दे०)। " वंदनीय जेहि जग जस पावा" वंचक-वि. ( सं०) छली, धोखेबाज, | -रामा०।
धूर्त, ठग, खल । संज्ञा, स्त्री. वंचकता। वंदित-वि० (सं०) कृत-स्तवन, कृतप्रणाम, 'वंचक भक्त कहाय राम के" --विनय० । पूज्य, आदरणीय | " जग-वंदित रघुकुल वंचना-संज्ञा, स्त्री. (सं० ) धोखा, छल, भयो प्रगटे जब श्रीराम "-वासु० ।
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