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लोष्ट
लोडा
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लोष्ट ----संज्ञा, पु० (सं०) पत्थर, ढेला, मिट्टी। लोहा ) रुधिर-पूर्ण, रक्तमय, लोहू से लद" मृत शरीरमुत्सृज्य काष्ट-लोष्ट समेक्षितौ” फद या भरा हुआ । यौल-लाह लोहान । -~-मनु।
लोहाना-अ० क्रि० दे० (हि. लोहा - लोहडा---संज्ञा, पु० दे० ( ० लौहभाँड) अाना --प्रस्य० किसी वस्तु में लोहे का सा लोहे का एक बड़ा पात्र या त पला, कडाहा, रंग या स्वाद आ जाना। (खो. अल्पा० लाहड़ी)।
लोझार - संज्ञा, पु० दे० (सं० लोहकार ) लोहंडा----संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० लौहभाड़)। लोहे की वस्तुयं बनाने वाली एक जाति । लोहे का घड़ा, गमरा । स्त्री. अल्पा० संज्ञा, स्त्री० लोहारिन, लोहारिनी! "गंधी (दे०) लोहंडी।
और लोहार की. देखो बैठि दुकान" ---- लोह - संज्ञा, पु० (सं०) लोहा । मुहा० --- । वृंद० नीतिः । लोह चलाना (खाना)--- युद्ध में खड्न-लोहारी--संज्ञा, स्त्री. द. ( सं० लोहार । ई धात सहना । लगन विचारे का छत्रीगन ---प्रत्य० ) लोहार का कार्य या पेशा। जे रन ठाढ़े लोह चबाएँ'- श्रा० खं ।। लोहित-वि० (सं० ) रक्तवर्ण, लाल । संज्ञा, लाहकार-संज्ञा, पु० (सं०) लोहे का काम पु० ( हि० लोहितक ) मंगल ग्रह । बनाने वाली एक विशेष जाति, लोहार,
लोहित्य-संज्ञा, पु. (सं०) ब्रह्मपुत्रा नदी, लुहार (दे०)
लाल सागर । लोहकिट्ट- संज्ञा, पु० यौ० सं०) लोहे का । लोहिया- संज्ञा, पु० दे० (हि० लोहा--इया मैल जो लोहे को आग की आँच देने से --प्र:य. ) लोहे की वस्तुओं का व्यापार निकलता है।
करने वाला, बनियों और मारवाड़ियों की लोहा--- संज्ञा, पु० दे० सं० लोह ) अस्त्रादि
एक जाति, लाल रंग का बैल । बनाने की एक प्रसिद्ध झालीधात जिरत लोही--संज्ञा, स्त्री० द. (हि. लोई ) सने न उतरै जब रातों दिन लोहा डारिस देह आटे के टुकड़े जिनसे रोटियाँ श्रादि बनती चबाय' -श्रा० खं हा-लोहा करना . हैं, लाई। ---युद्ध में खड्ग या अस्त्र चलाना । (किमी लोह ---सज्ञा, पु० दे० ( सं० लोहित ) रक्त, का) लोहा मान जाना ( मानना ----खून, मह (ग्रा.) बहादुर या शूर वीर जानना, हार या परा- ला--- अव्य. द. ( हि० लग) तुल्य, जय मानना, किसी का प्रभुत्व मानना। समान, सदृश, पात, तक। " तरवार बही लाहा बजना (बजागा)-तलवार तरवा के तरे लौं"---श्रा. ख। चलना (चलाना) युद्ध होना. (करना)। लोकना -क्रि० प्र० दे० ( सं० लोकन ) " तीन महीना लोहा बाजा नदिता बितवाँ दिखाई देना या पड़ना, दृग्गोचर होना, के मैदान ".--श्रा० खं० । मुहा-लोहे लपकना, चमकना (बिजली), दृष्टि में आना। के चने - अति कठिन कार्य । हथियार, लोग---संज्ञा, पु. दे० ( सं० लवंग ) लउँग अस्त्र-शस्त्र । लोहा गहना ( उठाना )- (दे०) एक झाड़ की कली जो तोड़ कर हथियार उठाना, लड़ना । लोहा लेना--- सूखा ली जाती है और मसाले और औषधि लड़ना, युद्ध करना। लोहे की वस्तु, लाल के काम आती है, लौंग जैसा नाक या रंग का बैल आदि।
। कान का एक गहना ( स्त्रियों का )। लोहान, लहान--संज्ञा, पु. दे. ( हि० । लोडा--संज्ञा, पु० (दे०) लड़का, बालक,
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