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लवाजमा
१५२७
लसोड़ा, लसोढ़ा लवाजमा-संज्ञा, पु० दे० ( अ० लवाज़िम) लसदार-वि० ( सं० लस-+-दार-फा० किसी के साथ रहने वाला, दल बल और प्रत्य० ) लसीला, जिसमें लस हो। साज-सामान, श्रावश्यक सामग्री। लसना-स० कि० दे० (सं० लसन) सटाना, लवार-लवारा—वि० दे० (सं० लपन = चिपकाना । प्र० कि० (दे०)-शोभित या बकना) झूठा, असत्यभाषी । “मिलि तपसिन उत्कंठित होना विराजमान होना, छजना, से भयसि लवारा" | " साँचहु मैं लवार छाजना फबना । " लसत राम मुनिभुजबोहा"- रामा० । संज्ञा, पु० दे० मंडली"-रामा० । प्रे० रूप-लसवाना स० (हि. लवाई ) गाय का छोटा बच्चा । संज्ञा, । रूप-लसाना, तसावना। पु० (दे०)-चुगली, शिकायत । वि.- लसनि -- संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. लसना ) लवारी।
उपस्थिति विद्यमानता, स्थिति, शोभा, लवासी -वि० दे० (सं० लव - बकना--- छटा, सत्ता, फवनि। मासी - प्रत्य० ) बकबादी, गप्पी, लम्पट । ।
लसम-वि० (दे०) खोटा, दूषित, बुरा । लशकर-लश्कर--संज्ञा, पु. ( फा० ) सेना,
लसलसा -- वि. द० ( सं० लस ) लसदार, दल, फौज, लसकर, छावनी, सेना का
लसीला।
लसलसाना - प्र. क्रि० दे० (सं० लस) पड़ाव, जहाज़ के कुली आदि, खल्लासी ।
चिपचिपाना, ललदार होना, लस छोड़ना। यौ०-लाव-लश्कर।
लसा-संज्ञा, स्व० दे० (सं० लस ) चिपटा लशकरी- वि० दे० (फा. लशकर) सिपाही,
हुआ, शोभित, हलदी। लो०-“गरे मसा, सेना-संबंधी, जहाज़ी, खल्लासी। संज्ञा,
सोने लसा"। स्त्री०लशकर वालों की या जहाजियों की
ललित-वि० ( सं० लस ) शोभित, विराजभाषा।
मान, लक्षित, प्रत्यक्ष, युक्त । लशटम्पाटम----क्रि० वि० दे० हि०) किसी लसियाना-अ. क्रि० दे० ( सं० लस) भाँति, किसी प्रकार, उलटा-सीधा, उलटा
चिपचिप होना, चिपकना, लस लस होना, पुलटा, जसटमपसटम (दे०)।
रसावेश होना, सरसता पाना, चाव-युक्त लशुन-संज्ञा, पु० (सं.) लहसुन, लहसन, होना, ललचना। एक कंद । "लशुन, जीरक, सैंधक, गंधक लसी-- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० लस) लस, त्रिकटु, रामठ, चूर्णत्रिदम् समम्-वै०जी०।। लगाव, चिपचिपाहट, श्राकर्पण, फ़ायदे का लषन-लपणा*---संज्ञा, पु० दे० ( सं० डौला, लाभ का योग, संबंध, दूध और लक्ष्मण ) लक्ष्मण जी, लखन (ग्रा.)।। पानी का शर्बत लस्सो (ग्रा०) । अ० क्रि० "लषन शत्रुसूदन एक रूपा"-रामा० । । (हि. लसना ).-शोभित, विराजमान ।। लषित--संज्ञा, पु. (स.) चाहा या देखा लसोला-दे० वि० सं० लस --- ईला-प्रत्य०) हुश्रा, अभिलषित ।
लसदार, सुन्दर, सरस, शोभावान । स्त्री.. लस-संज्ञा, पु. (सं०) चिपकने या चिप लसौली। काने का गुण या वस्तु चिपचिपाहट, लासा, | लसुनिया-संज्ञा, पु० दे० (सं० लशुन ) श्राकर्षण, चित्त लगने की बात ।
एक बहुमूल्य धूमिल रंग का रत्न या पत्थर । लसकना-अ० कि० (दे० वा सं० लस ) लहसुनिया, लाजावत, बैडूर्य मणि । चिपचिपा या लसदार होना, लसना, गीला लसोड़ा लसोढ़ा-संज्ञा, पु० दे० (सं० लस होना।
| चिपचिपाहट ) एक प्रकार का वृक्ष और उसके
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