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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org लपाटिया १५२२ लड़ना लपाटिया -- संज्ञा, पु० (दे०) झूठा, मिथ्या लफंगा - वि० दे० ( फा० लफंग ) लंपट, वादी, लबार । 1 दुराचारी, दुश्चरित्र, शोहदा, कुकर्मी, श्रावारा। स्रो० लगिन । यौ० लुच्चालफंगा -संज्ञा, स्रो० लफंगाँय, लफंगी । लफ़ना* - अ० क्रि० दे० ( हि० लपना ) लपाटी - संज्ञा, स्रो० (दे०) झूठ, मिथ्या, झूठ-मूठ | वि० (दे०) झूठा, लवार । लपाना - स० क्रि० ( अनु० लप ) लचीली छड़ी आदि को इधर-उधर लचाना, आगे बढ़ाना, फटकारना, चमकाना, हिलाना । लपानक - वि० (दे० ) - दुबला, पतला, तीय, सूक्ष्म, भीना । लपालप - क्रि० वि० (दे०) हिलते और चमकते हुए । “वीर अभिमन्यु की लपालप कृपानि वक्र' - रत्ना० । "" लपित - वि० (सं० लप करना ) कहा हुआ, कथित, जो एक बार कहा जा चुका हो, जल्पित । लपेट - संज्ञा, स्त्री० ( हि० लपेटना ) बंधन का घुमाव, ऐंठन, फेरा, मरोड़, घेरा, उलझन, जाल या चक्कर, ढक्कन, परिधि, फंदा, झपट, बल, लपेटने की क्रिया या भाव। लपेट-झपेट संज्ञा, स्त्री० यौ० ( हि० लपेटना + झपटना ) टालमट्रल, बहाना, कुश्ती, धावा, धर पकड़ । लपेटन -संज्ञा, स्रो० ( हि० लपेट ) लपेट, घुमाव, फेरा, मरोड़, घेरा, फंदा, उलझना, जाल या चक्कर, ढक्कन | संज्ञा, पु० ( हि० लपेटना ) उलझने या लपेटने की चीज, बेष्टन, बेठन, बाँधने का वस्त्र । लपेटना - स० क्रि० ( हि० लिपटना ) समे टना, बाँधना, फेरे या घुमाव देकर फँसाना, पकड़ लेना, चक्कर या संकट में फँसाना, फैली वस्तु को समेट कर गट्ठर सा बनाना, घुमाव देकर समेटना, पकड़ लेना वस्त्रादिक में बाँधना, गति-विधि बन्द करना, उलझन में डालना । प्र े० रूप-लपेटवाना । लपेटवाँ - वि० दे० ( हि० लपेटना ) लपेटा हुआ, सोने-चांदी के तारों से लपेटा हुआ, गुप्त अर्थ वाला, व्यंग्य, गूढ़ । क्रि० वि० (दे०) सब को समेट कर सब के साथ । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir झुकना, लपकना, लचना, ललचना, हैरान स० होना, ऊपर उठ कर पहुँचना । रूप लकाना प्रे० रूप०-लवाना । ललकानि - संज्ञा स्त्री० दे० ( हि० लपलपाना ) नरम लम्बी छड़ी आदि का हिलना या डोलना, खङ्गादि का हिलाकर चमकना या चमकाना, झलकाना | लाना - सं० क्रि० दे० ( हि० लपाना ) नरम पतली छड़ी का हिलाना, फटकारना, आगे बढ़ाना, लपकाना ऊपर उठाकर पहुँचाना | लफ्ज़ - - संज्ञा, पु० (प्र०) शब्द लफ़्ज़ी | लाजो-संज्ञा, त्रो० (०) शब्दार्डर, शब्द - बाहुल्य | लब - संज्ञा, पु० ( फ़ा० ) होंठ, घोष्ट, घोंठ । दम लबों पर था दिलेज़ार के घबराने से ". -- अक० । <s 1 वि० लवभना ० क्रे० (दे०) उलझना । लव- संज्ञा, पु० (दे०) जल्दी, शीघ्रता, For Private and Personal Use Only लथर-पथर, झूठ बात, गपशप । लबड़ खंदा -संज्ञा, पु० (दे०) ढीठ, नटशरीर, (०) दुष्ट, धूर्त | खट, लबड़ चटाई - संज्ञा, स्त्री० (दे०) सूखी और गिरी हुई चूँची, शिथिल स्तन । लवड़वोध-संज्ञा, स्त्री० द० ( हि० लवाड़ --धम ) झूठमूठ का शोर, अँधेर, धाँधली, अन्याय, गड़बड़ी, कुव्यवस्था, बेईमानी की चाल, अत्याचार, लवर धौं धाँ (दे०) । लबड़ना । - श्र० क्रि० दे० (सं० लय = बकना ) गप हाँकना, व्यर्थ झूठ बोलना ।
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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