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लदना
लपसी में घसीटना, धूल या पृथ्वो पर लोटाना लपका-पंज्ञा, पु० दे० (हि० लपकना) आक्रया घसीटना, हैरान करना, थकाना, डाँट- मण, फुर्ती, शीघ्रता, बुरी चाल, चमक । फटकार बताना, अपमान करना ।
लपकी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) एक मछली। लदना-अ. क्रि० दे० ( सं० ऋद्ध ) बोझ लपची संज्ञा, खो० (दे०) एक मछली । ऊपर लेना, भार युक्त होना, भार लेना या | लपझप-वि० दे० यौ० (हि. लपकना+ उठाना, पूर्ण या पाच्छादित होना, गाड़ी झपकना ) फुर्तीला, चालाक, चंचल । संज्ञा, में माल श्रादि भरा जाना, कैद होना. पु० (दे०) सप्पझप-दिखावटी धोखे वाला जेल जाना, हैरान होना । स० रुप-लदाना, काम या बात, गपशप्प, सतर्क, सावधान । प्रे० रुप-लदवाना।
लपट - संज्ञा, स्त्री० दे० । हि० लौ । पट) लदाऊ, लदाव*-- संज्ञा, पु० दे० (हि.
ज्वाला अग्निशिस्त्रा, श्राग की लौ, गर्म लदाव ) लादने की क्रिया या भाव. बोझ
और तपी हुई वायु, लू . लूक, पाँच, गंध से भार, ईटों की ऐसी जुड़ाई जो बिना सहारे
भरा वायु का झोंका, महक, गंध, पकड़न, अधर में लटकी रहे, छत श्रादि का पटाव ।
पकड़ ! यौ० लपटझपट । लदादा -- वि० यौ० ( हि० लादना--
लपटना---० कि० दे० (हि. लिपटना) फाँदना) बोझे या भार से लदा हुआ. भीगा |
लिपटना, चिमटना, कुश्ती लड़ना । स. हुश्रा यौ० क्रि० लदाना-सदाना।
रूप०-लपटाना प्रे० रूप०-लपटवाना । लदाद-संज्ञा, पु. ( हि० लादना ) लादने
अ० क्रि० सटना, फैसना, उलझना, संलग्न की क्रिया या भाव, बोझ. भार, छत का
होना। पटाव, इटों की ऐपी जुड़ाई को कड़ी
लपटा----संज्ञा, पु० दे० ( हि० लपटना ) श्रादि के बिना सहारे ठहरी हो।
नमकीन हलुमा, लगाव, सम्बन्ध ! ला -बदुवा लद --वि. द. ( हि.
लपटी--संज्ञा, स्त्री. दे. (हि. लपटा ) लादना ) बोझ ढोने वाला जिस पर बोझा नमकीन इलया. लपसी चिपकी। बादा जाय। लद्धड-वि० दे० ( हि० लादना ) आलसी.
लपड़-चढाई ---संज्ञा, स्त्री० (दे०) सूखी या सुस्त, पड़ी। यौ० तड़बड़।
गिरी हुई चूची शिथिल स्तन । लद्धना-स० कि०६० (सं० लब्ध ) प्राप्त
लपना-अ. क्रि० दे० ( अनु० लप) करना।
झुकना, लचना, चमकना, लपकना, हैरान लप-संज्ञा, स्त्री० दे० ( अनु० ) लचीली होना, ललचना । स० रूप-लपाना, प्रे० वस्तु के हिलाने का कार्य । खङ्गादि के रूप०-लपवाना। चमक की चाल । संज्ञा, पु. (दे०) अंजली । लपलपाना अ० कि० ( अनु० लप) रूपक-संज्ञा, स्त्री० दे० ( अनु० लप ) हिलना-डोलना, लपाना, खड्गादि का सपट, ज्वाला. चमक, लौ. लपलपाहट, वेग । चमकना, झलकना, लपकना, जीभ का लपकना - अ० कि० ( हि० लपक ) झपटना, बार बार बाहर निकालना । स० कि० (दे०) दौड़ना, तेज़ी से चलना, बिजली प्रादि का जीभ, खङ्गादि का निकाल या हिलाकर चमकना । स० रूप०-लपकाना, प्रे० रूप० । चमकाना। लपकवाना । महा-लपक कर- लपसी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० लप्सिका ) चमक कर, तुरन्त, वेग से जाकर, झट से, थोड़े से घी का हलुवा, गीजी, गादी, गोली पाक्रमण करने या कुछ लेने के लिये वस्तु, पानी में घौटाया हुआ घाटा जो झपटमा, उपर उठ कर पहुँचना।
कैदियों को दिया जाता है, लपटा (दे०) ।
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