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रोपक
१५०५
रोमन
बहाना। स० रूप-रुत्लाना, रोवाना, प्रे० दाब, रोब-ताब। मुहा०-रोब जमाना, रूप० रुतवाना । मुहा०-शेना-धोना-- बैठाना ( ग़ालिब करना)-प्रभाव या दुःख-शोक प्रगट करना या क्रंदन करना । श्रातंक उत्पा करना, जमाना । रोब रोना-पीटना - बहुत विलाप या कंदन दिखाना-भय, अातंक या प्रभाव प्रगट करना । रो रो कर ---- ज्यों-त्यों करके, करना। रोब में ग्राना-अातंक में श्राना, कठिनता से, धीरे धीरे । रोना-गाना--.. भय मानना, रोब के वश हो ऐसा काम गिडगिडाना, विनती करना । बुरा मानना, करना जो साधारणतया न किया जाये। मात्र या दुख करना, चिढ़ना। संज्ञा, पु०... (वहरे से) वटपकना-प्रभाव या महत्व
खेद, दुख, रंज । वि. स्त्री० रानी! प्रगट होना । चेहरे पर) रोब श्रानावि० पु०-रोउना (ग्रा०) चिड़चिड़ा, मुहमी, क्रांति या प्रतिमा आना । (किसी को) रोने वाले का सा, थोड़ी सी बात पर राव में लाना-प्रभाव या अातंक के भी रने वाला, सेवासा (दे०)।
द्वारा श्राधीन करना। रोचक जाना-- मोरक--संज्ञा, पु. (सं०) लगाने, जमाने या अातंक जम जाना। रोब जाना-पातक खड़ा करने वाला।
नष्ट होना। रोपण --- संज्ञा, . (सं०) स्थापित करना, रोबदार-वि० (अ० रोब - दार-फा०-प्रत्य०) जमाना लगाना बैठाना (बोज या पौधा) तेजस्वी, प्रभावशाली, रोबदाब वाला, ऊपर रखना, माहित करना, मोहना । रोबोला । रोबीला--वि० (हि.) रोबदार । वि० गापाय, रोपित राय। रोमय-संज्ञा, ६.० (सं० ) पागुर, पगुराना, रोपना-स० कि० द० (रा० शेषण) लगाना, चबाये को फिर चबाना बैठाना. जमाना, दूसरे स्थान पर एक स्थान रोम--- सज्ञा, पु० (सं० रोमन ) रोवाँ, लोम, से उखड़े पौधे का जमाना, स्थापित करना, देह के बाल, रोयौं । " रोम रोम पर टहराना अडाना, बोना. लाकना, रोकना, वारिये, कोटि कोटि ब्रह्मड '--रामा० । मोड़ लेना, लेने के लिये हथेली आदि सामने महा..रोम रोम में-- सारे शरीर में, करना । "सभा मध्य प्रण करि पद रोपा" । देह भर में। शाम से---तन-मन से, - रामा० । संज्ञा, पु० (दे०) व्याह में नाई- पूर्ण हृदय से । छेद, छिद्र, सूराख्न, पानी, द्वारा लाया गया हल्दी मिला चावलों का जल, ऊन, हम एक नगर ( इटली ) एक गीला पाटा।
प्राचीन राज्य । रोपना--- संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० रोपनी) बोधाई, रोमक- संज्ञा, ६० (सं०) रोम नगर-निवाली, धान आदि के पौधों के गाड़ने का कार्य ।। । रोमन, रोम नगर या देश का. रोमन। रोफिन - वि० (सं.) लगाया या जमाया रोप संज्ञा, पु० यौ० (सं०) रोवों के हुया, स्थापित या रखा हुआ, भ्रांत, मुग्ध, | छेद, रामरत्र, लामाद्र । न रोम-कूपौधा मोहित, श्रारोपित
मिषाजगत्कृता कृताश्च किं दूषण-शून्य रोप्य--वि० (स.) रोपणीय, रोपने-योग्य । विन्दवः''-- नैषध । रोमा--- संज्ञा, 'पु. (सं.) गाड़ने था लगाने- महार . संज्ञा, पु० यौ० (सं०) रोवों के वाला, रोपण-कर्ता, रोपने या जमाने वाला। छिद्र या छेद, राम-दि। रोक-संज्ञा, पु० (अ० रुपब) श्रातंक, प्रभाव, रामन-वि० (प.) रोम का रोम की महत्व, धाक, दबदबा, प्रताप, अभाव दे०) भाषा या लिपि. हिन्दी शब्दों को ज्यों का वि० ---गवीला, रावदार । चौ० --राव- त्यो अंग्रेज़ी लिपि में लिखने की रीति । भा. श. को ०.---१८१
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