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रोव, रोउ
रोव रोड-संज्ञा, पु० दे० (सं० रोम) लोम, रोम, वाँ ।
रोमा, रोवा - संज्ञा, पु० दे० (हि० रोया) रोया । रोमाई-रोवाई - संज्ञा,
स्त्री० दे० ( हि० रोने का भाव या क्रिया, बिसरना,
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रोना) रोना, रुलाई ।
रोयाना रोवाना - स० क्रि० दे० (हि० रोना का स० रूप) किसी दूसरे को रुलाना, परेशान
रोचि
रोक - संज्ञा, पु० (दे०) रोकने या मना करने वाला, वाधा या अड़चन डालने वाला | रोख - संज्ञा, पु० दे० (सं० रोष ) रोष, क्रोध, रिस, कोप । “बिधि हू के रोख कीन राखें परवाह रंच ''–रत्ना० ।
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रोग - रुज्ञा, पु० (सं०) बीमारी, व्याधि, मर्ज़ । वि० रोगी, स्म । लो 'शरीरम् रोग-मंदिरम्" |
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रोगग्रस्त - वि० यौ० (सं०) रोग से पीड़ित, रोगी, बीमार. व्याधि-पीड़ित । " शरीरे जर्जरी भुते रोगग्रस्ते कलेवरे "-- स्फुट० । रोगदई-गया-संज्ञा, त्रो० दे० (हि० रोना) अन्याय. अंधेर, बेईमानी, रोउनई ( ग्रा० ) । रोगन - संज्ञा, पु० ( फ़ा० रौगन ) चिकनाई, तेल, पालिश (अं०), वस्तु पर पोतने से चमक लाने वाला पतला लेप, वारनिश, मिट्टी के बरतनों पर चढ़ाने का मसाला | रोगनी वि० ( फा० ) रोशन किया हुआ, रोग़न-युक्त, एक प्रकार की रोटी । रोगहा- संज्ञा, पु० (सं०) रोग का नाश करने वाला, वैद्य, श्रौषधि | रोगिया रोगिहा- संज्ञा, ५० दे० (सं० रोगी ) रोगी, बीमार. राहिल (दे० ) । रोगी --- त्रि० (सं० रोगिन् ) बीमार, अस्वस्थ, व्याधि- पीडित स्त्रो० रोगिनी । रोचक - वि० (दे०) रुचिकारक, प्रिय, मनेारंजक, दिलचस्प | संज्ञा, स्रो० रोचकता । रोचन - वि० सं०) रोचक, रुचिकारक, मनोरंजन, दिलचस्प, प्रिय, अच्छा लगने या शोभा देने वाला, लाल । वि० रोचनीय । सज्ञा, ५० - प्याज, काला सेमर, रोरी, स्वारोचिप मन्वंतर के इन्द्र ( पुरा० ) मदन के पाँच बाणों में से एक बाण, रोचना | रोचना - संज्ञा, खो० (सं०) लाल कमल, गोरोचन वसुदेव-प्रिया, रोली, टीका, तिलक, संज्ञा, पु० (दे० ) तिलक करने का हलदी और चूने आदि से बना चंदन | रोचि -संज्ञा, स्त्री० ( सं० रोचिस् ) दीप्ति,
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करना ।
रोभाव -संज्ञा, उ० (अ० रोश्रब ) रूयाव ( ग्रा० ) रोब, श्रातंक | रोभास-संज्ञा स्त्री० दे० ( हि० रोना ) रुलाई रोने की इच्छा | राउँछ – संज्ञा, पु० दे० (सं० रोम) रोम, लोम रोउनई-संज्ञा, खी० (दे०) अन्याय, बेईमानी, ज्यादती, रोउनॉय ( ग्रा० ) । रोक - संज्ञा, स्त्रो० दे० ( सं० रोधक ) गति | या काम का अवरोध, निषेध, मनाही, वाधा, अटकाव, रोकने वाली वस्तु, छैक । यौ० --- रोकथाम | संज्ञा, पु० (हि० रोकड़) रोकड़, नकद |
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रोकटोक -- संज्ञा, स्त्री० यौ० ( हि० रोकना + टोकना ) बाधा, निषेध, छेड़छाड़, मनाही, प्रतिबंध | अ० क्रि० - रोकना-टोकना । रोकड़ - संज्ञा, स्त्री० (सं० रोक = नकुद ) जमा, नकद, पूँजो, रुपया-पैसा, नगद धन । रोकड़िया -- संज्ञा, पु० ( हि० रोकड़ + इया - प्रत्य० ) कोषाध्यक्ष, खज्ञानची, रुपया लेने वाला । रोकना- (- स० क्रि० (हि० रोक) मना करना, चलने या बढ़ने न देना, निषेध या मनाही करना, ऊपर लेना, किसी चली थाती बात को बंद करना, लोकना (दे०) छंकना, थोड़ना ( प्रोग्ना दे० ) बाधा या अड़चन डालना, वश में रखना, दबाना । स० रूपरोकाना, प्रे० रूप० - रोकावना, रोक
घाना ।
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