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रिसालदार
रुंधना रिसालदारा-वि० (फा०) घुड़सवार सेना | मध्य की लम्बी खड़ी हड्डी, मेरु-दंड, जिससे का एक अफ़सर या सरदार ।
पसलियाँ जुड़ी रहती हैं। रिसाला-संज्ञा, पु. ( फा० ) घुड़सवार रीत-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० रीति) रीति,
सेना, अश्वारोही सेना, मासिक पत्र। रस्म, रिवाज । रिसि --संज्ञा, स्त्री० (दे० रिस) "रिसिवश रीतना* .. अ. क्रि० दे० ( सं० रिक्त)
कछुक अरुन हुई आवा"-रामा० ।। । खाली, यून्य तथा रिक्त होना। " बंद रिसियाना-रिसियाना- अ० कि० दे० बंद तें घर भर, टपात रीतै सोय"-वृं। ( हि० रिस---ग्राना – प्रत्य० ) कुपित या रीता-- वि० दे० ( सं० रिक्त ) शून्य, रिक्त । कोधित होना । स० क्रि० किसी पर क्रुद्ध __ "रीते सरवर पर गये"-वृ । होना, बिगड़ना, रिसाना।
रीति-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) ढंग, तरह, रिसिक* ---- संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० रिपीक ) प्रकार, परिपाटी, रिवाज, रस्म, प्रथा, ढब, तलवार, खड़ग ।
तरह नियम, प्रणाली, काव्य में ऐसी पदरिसौहाँ-वि० दे०, हि० रिस -- यौहाँ-प्रत्य०) योजना जिससे माधुर्य्यादि गुण पाते हैं,
क्रोधित सा, शोध से भरा, रोष-सूचक । इसे काव्यात्मा मानते हैं । " रीतिरात्मा रिहल-संज्ञा, स्त्री. (अ.) पुस्तक रख कर काव्यस्य '', " विशिष्ठा पद रचना रीति" पढ़ने की एक काठ की चौकी।
-वामन। रिहा- वि० (फ़ा०) छुटकारा, मुक्त, छूटा रीषमूक* --संज्ञा, पु० दे० ( सं० ऋष्यमूक ) हुश्रा । संज्ञा, स्त्री० रिहाई।
दक्षिण भारत का एक पहाड़ । " रीपमूक धिना-स० क्रि० दे० ( हि० रांधना ) | पर्वत नियराई "- रामा० । राधना।
रीस-रीसि-संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० रिस ) री-अव्य. स्त्री० दे० ( सं० २ ) सखियों का |
रिस, क्रोध, कोप । संज्ञा, स्त्री. ( सं० संबोधन, परी, एरी, ओरी।
ईर्ष्या ) स्पर्धा, डाह, समानता। रीछ-- संज्ञा, पु० दे० (सं० ऋक्ष ) रिच्छ,
रीसना* -- अ० कि० दे० ( हि० रिस ) भालू ।
क्रोधित होना। रीछराज*--संज्ञा, पु० दे० ( सं० ऋक्षराज)
रुंज-संज्ञा, पु० (दे०) एक बाजा। जामवंत । " रीछराज गहि चरन फिरावा"
रुंड-संज्ञा, पु. (सं०) कबंध, बिना सिर या --रामा० । रीज्या-संज्ञा, स्त्री० ( सं० ) भर्त्सना, घृणा।
हाथ-पैर का धड़ । “रुड लागे कटन पटन रीझ-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० रंजन) प्रसन्नता,
काल कुंड लागे"- रत्ना० । मुग्धता । " तुलसी अपने राम कहँ. रीझ
रंडिका--- संज्ञा, स्त्री. (सं०) युद्ध-भूमि, भजै कै खीझ'.--तुल०।
रणांगण रीझना-अ० क्रि० दे० ( सं० रंजन ) प्रपन्न रुंदवाना--स. क्रि० (हि० रूँदना, रौंदना या मुग्ध होना, अनुरक्त होना।
का प्रे० रूप ) पैरों से रौंदवाना, कुचलाना । रीठ*-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० रिष्ट ) युद्ध, रुंधती --- संज्ञा, स्त्रो० (दे०) अरुंधती (डि.) तलवार, खड्ग, वि० अशुभ, ख़राब ।। (सं.)। रीठा-संज्ञा, पु० दे० (सं० रिष्ट ) एक रुधना-अ० क्रि० दे० (सं० रुद्ध ) घिर बड़ा जंगली वृक्ष, इसके बेर-जैसे फल । जाना, रुकना, कहीं मार्ग न मिलना, रीढ़-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० रीढ़क ) पीठ के उलझना, फँसजाना, घेरा जाना, कार्य में
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