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रसवाद १४७७
रसियाउर वि० वी. रसवती (सं०) । रस वाली, रस- वस्तुओं के तत्वों का ज्ञान । वि. रसायन युक्त । संज्ञा, स्त्री० रसोई, पृथ्वी।
शास्त्र । हेपा : कल्पित योग जिमसे ताँबे रसवाद--संज्ञा, पु. यौ० (सं०) प्रेमानंद का सोना होना कहा जाता है ।
की बातचीत, मनोजक वार्तालाप, विनोद- रसायन विद्या---एंज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) वह वार्ता, हमी दिल्लगो, छेड़छाड़, बकवाद । विद्या जिस में पदार्थी या धातुओं के मिलाने " कागा बैठे करत है कोयल को रपवाद और अलावरने की विधि उनकी तत्व. -गिर।
विवेचना तथा परिवर्तन, रूपान्तरादि कही रसवादी-संज्ञा, पु, यौ० (सं०) रस को। गयी है, पदार्थ-विद्या ।। काव्य में प्रधान मानने वाले ।
रसायनशास्त्र - संज्ञा, पु. (सं०) रसायन रसविरोध-संज्ञा, पु.० यौ० (सं०) एकही पद्य, विद्या, या विज्ञान, वह शास्त्र या विद्या में दो विरोधी रमों की स्थिति (काव्य० । जिव में पद के मूल तत्वों को विवेचना रसांजन-ज्ञा, पु. यौ० (सं०) रसौत.। हो और उनके मिलाने और अलगाने की सहजन।
विधियों तथा तम्बों के परिवर्तन से पदार्थों के रसा-संज्ञा, खो० सं०) अवनि, पृथ्वी. । परिवर्तनादि का कथन हो, विज्ञान-शास्त्र, भूमि, बसुधा, जिह्वा जीभ । 'एमा रसातल पदार्थ विद्या, वस्तु विज्ञान, तत्व-विद्या । जाइहि तबहीं" गमा० । संज्ञा, पु० हि० रसायनिक --- वि० दे० (सं० रासायनिक ) रस ) तरकारी का मसालेदार रम, शोरबा । रासायनिक रसायनशास्त्र संबंधी, रसायन रसाइनी -संज्ञा, पु० दे० (सं० रसायन )
शास्त्र का नाता ! रसायन विद्या का ज्ञाता, रमायनी।
रसाल-संज्ञा, पु० (सं०) श्राम, गन्ना, ऊख, रसाई-संज्ञा, स्त्री० (फा०) पहुँच, सम्बन्ध ।
गेहूँ, कटहल । वि० खी० ---रसालारसातल- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) पृथ्वी का
रसीला, मोठा, मधुर, मनोरमा, सुंदर । तल भाग, पृथ्वी के नीचे ७ लोकों में से
संज्ञा, पु. ( अं० हरसाल ) राजस्व कर, ६ वाँ लोक पुरा०) । मुहा०- समातल !
महसूल । पाकर जम्बु, रसाल, तमाला" में पहुँचाना ( भेजना )-बरबाद या ।
---रामा० तबाह होना (कर देना), मिट्टी में मिलना
| रसालय-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) रसमंदिर, या मिला देना । रमानल में जाना---
रसभवन, रम-स्थान, रसशाला, थाम्रवृक्ष, पतित या विनष्ट होना।
पृथ्वी का श्रालय, भूगर्भ-सद्म ! रसादार-वि० (हि. रसा-दार-फा. प्रत्य०) साम-ज्ञा, ५० सं० साल) कौतुक । मसालेदार, रस-युक्त तरकारी शोरवेदार, सानिका--वि० स्त्री. (सं० रसालक ) रस वाला रसापायी-संज्ञा, पु० (सं०) जीभ से पीले मधुर, छोटा श्राम । वाला जीवधारी।
रसावर-रममावल- संज्ञा, पु० द० (हि. रसाभास संज्ञा, पु० यौ० सं०) एक अलं- रसौर ) उख के रस में पके चावल, कार जिसमें अनुचित विषय या स्थान पर
रसियाउर, रमौर (दे०)। किसी रस का वर्णन हो, ऐसे अलंकार का
। रमाव--संज्ञा, पु. ( हि० रसना ) रसने की प्रसंग।
क्रिया का भाव। रसायन - संज्ञा, पु. (सं०) धातूपधातुओं की ! रसियाउर--संज्ञा, पु० दे० (हि० रस ।भस्म, वह औषधि जिपके सेवन से मनुष्य चावल ) रसावर, ईख के रस में पके चावल, बुड्ढा और बीमार नहीं होता ( वैद्य.)। रसौर, विवाद की एक रीति का गीत ।
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