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रदच्छद
१४७१ रदच्छद-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) पोष्ट, मोंठ। रजना* .... अ० कि० दे० ( सं० रणन ) बजना, रदछद - संज्ञा, पु० दे० ( सं० रदच्छद) झनकार होना, शब्द करना। प्रोष्ठ । संज्ञा, पु. (सं० रदक्षत) कपोलों या रनबंका, रनबांकुरा--संज्ञा, पु० दे० ( सं० मोष्ठों पर रति में चम्बनादि से दाँतों का रस + वॉका-हि० ) योद्धा, शूरवीर । " पवन घाव ( रति-चिन्ह)
तनय रनयाँकुरा"--- रामा० । "कूदयो रददान--संज्ञा, पु. पौ० (सं.) कहीं पर रन बंका गढ़ लंका पै फल का मैं।" दांतों का यों दबाव डालना शि चिह्न बन रनवन - सझा, मुं० दे० (सं० र वन) भयानक जावें ( रति-संबन में)।
बन, तहस. नाश, महावत । रदन --संज्ञा, पु० (सं०) दाँत, दंत, दशन ।
रनवादा* --सज्ञा, पु० द. (सं० रणवादी) "एक रदन गजबदन विनायक'- विनय
योद्धा, शूर वीर । संज्ञा, पु. यो० (दे०) - रदनी-वि० सं० रहनिन् ) दाँत वाला।
वाद मानाद (सं.)।
स्नवास, रनिवास -- संज्ञा, पु० दे० (सं० रदपट, रदपुट-संज्ञा, पु. (सं०) ओंठ,
राज्ञोवास ) अंतःपुर । ( हि० रानीवास ) पोष्ठ । “रदपुट फरकत नैन रिसी हैं -
रानिया का महल, राजापों का जनानखाना। रामा० ।
रनि*-वि. द. ( सं. रणित ) बजता रह - वि० (अ०) जो काट-छाँट या तोड़-फोड़ या झंकार करता हुआ। रनित भंग घंटाकर बदल दिया गया हो, त्यक्त, अस्वीकृत।। वली भरत दान मदनीर"... वि. यो०-रद-यदत, (ग्दो बदल) हेर-फेर, रनिवास-संशा, पु० दे० (सं० राजीवास ) फेर-फार, परिवर्तन ! जो खराब या निकम्मा रानियों का महल, रानी लोग । “सुनि हो गया हो, बेकाम, व्यर्थ । संज्ञा, सी. हरपो रनिवास - रामा० ।। दि०) कै, वमन ।
रन* --- ज्ञा, पु० दे० (सं० २ गा - ई-प्रत्य०) रहा- संज्ञा, पु० (दे०) दीवाल पर इंटों की शूरवीर, यो द्वा, लड़ाका । बेदी पंक्ति का एक चुनाव, स्तर, थाली में रपट ----संज्ञा, स्त्री० ( हि० स्पटना ) रपटने दीवाल के स्तर सा मिठाई का चुनाव की क्रिया या भाव, फिालाहट, दौड़, भूमि ऊपर-तले रखी चीज़ों की एक तह, मल्लयुद्ध का ढाल । ज्ञा, स्त्री० दे० ( अं. रिपोट ) वालों की पीठ श्रादि र मार (प्रान्ती :
इत्तजा, सूचना, खबर।।
रना रही... वि० ( फा० रद ) व्यर्थ, निकम्मा,
--- ११० क्रि० दे० (सं० रफन ) नीचे निष्प्रयोजन, बेकाम, बेकार। “जिस्म तो
या आगे को फिसलना, झपटना, शीघता
से चलना। स० रूप-रपटाना, प्रे० रूप ~~ रद्दी महज़ बेकार है "--- कुं० वि० रन* --संज्ञा, पु० दे० ( सं० रण ) संग्राम, रपट्टा सझा, पु. ( हि० रपटना ) फिसलायुद्ध । “रन मारि अच्छकुमार रावन-गर्व हट फिसलाव, फिलाने की क्रिया, चपेट, हरि पुर जारियो - रामपं० सज्ञा, 'पु० दे० दौड़-धूप, झपहा : ( सं० अरण्य ) बन, जगल । संज्ञा, पु० (दे०) रल-सज्ञा स्त्री० दे० ( अं० राइफल ) वाल, झील, सागर का छोटा भाग। विलायती बंदूक । राज्ञा, पु० दे० (अं० रैपर) सनकना - अ० कि. द. ( स० रगान = मोटी गरम और जाड़ों मे श्रोढ़ने की चादर । शब्द करना ) पायजेब या घघुरू आदि का रा-वि० अ०) निवृत्त दूर किया हुआ, धीमा शब्द करना, बजना, झनकना, शांत. दबा हुआ, निवारित। रुनकना (द०)।
रफा-दफा - वि० यौ० (अ.) निवृत्त, दुर
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