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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org २४६७ " रजनीचर -संज्ञा, पु० (सं०) निशाचर, राक्षस, रजनिचर (दे० ) । " परम सुभट रजनीचर भारी रामा० । रजनीपति- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) चन्द्रमा, रजनीश, नक्षत्रेश | रजनीमुख संज्ञा, पु० यौ० (सं०) संध्या । रजनीश संज्ञा, पु० यौ० (सं०) चन्द्रमा । रजपूत-संना, पु० ३० यौ० [सं० राजपुत्र) राजपूत, शूर-वीर, योद्धा, क्षत्रिय । रजपूती | संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० राजपूत +ई. प्रत्य० ) क्षत्रियत्व, वीरता, क्षत्रियता । "धिक धिक ऐसी कुरुराज रजपूती पै” " अ० २० । रजना CREATION रजना - संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० राल ) राल, धूप । * अ० क्रि० दे० (सं० रंजन ) रँगा जाना । स० क्रि० - रंगना, रंग में डुबाना । रजनि, रजनी -- संज्ञा स्त्री० (सं०) रात, रात्रि, निशा, हलदी । रजनीकर - संज्ञा, पु० (सं०) शशांक, मृगांक, चंद्रमा, निशाकर, निधानाथ । रजबहा -- संज्ञा, पु० द० यौ० (सं० राज = बड़ा + बहना - हि०) वह बड़ा बम्बा या नल जिससे और छोटे बस्त्रे निकले हों यौ० ( सं० रज = धूल | बहना ) नाला चौपायों के चलने से बना धूल से भरा मार्ग, गैड़हरा ( प्रान्ती० ) । रजस्वला - वि० स्त्री० (सं० ) ऋतुमती स्त्री, जिसे मासिक रजस्राव हुआ हो । रटना 16 स्रो० (सं० राजा : आई - हि० प्रत्य० ) राजा होने का भाव, राजापन, राजाज्ञा, राजेच्छा । चलै सीप धरि भूप रजाई " रामा० । संज्ञा, स्त्रो० ( प्र० रजा ) रजाई, श्राज्ञा, छुट्टी, इच्छा, मर्जी । रजाई, रजाय-संज्ञा, स्त्री० दे० ( अ० रजा ) श्राज्ञा, छुट्टी, मर्जी, रज़ाइय (दे० ) । रजाना- -स० क्रि० दे० ( सं० राज्य ) राज्यसौख्य का उपभोग कराना । रजामंद - वि० [फा० ) जो किसी बात पर राज़ी हो सहमत | संज्ञा, स्त्री० - रजामंदी | रजाय, रजा-संज्ञा, स्त्री० (अ० रजा) स्वीकृति, छाता, आदेश, इच्छा, मरजी । 'केवट राम-रजायसु पावा" - रामा० । राती - वि० (०) नीच, छोटी जाति का । रजोकुल -- संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० राजकुल ) राज-वंश | रजोगुण-संक्षा, पु० यौ० (सं०) राजस मत्वादि तीन गुणों में से एक गुण, भोगविलास या दिखावे की रुचि पैदा करने वाला प्रकृति का एक गुण या स्वभाव । राजोदर्शन संज्ञा, पु० यौ० (सं०) खियों का मासिक या तु धर्म, रजस्वला होना । रजोधर्म -- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) स्त्रियों का : रज़ा - संज्ञा, स्त्री० (०) इच्छा, मरजी छुट्टी, स्वीकृति, श्राज्ञा, अनुमति "तुम्हारी ही रज्ञा पै खुश हैं याँ अपनी रजा क्या है ।" रजाइ, रजाई - संज्ञा, खो० (सं० रजक = कपड़ा ) लिहाफ़, रुई - भरा कपड़ा | संज्ञा, Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तुमती । रजवाड़ा --संज्ञा, पु० (सं० राज्य + वाड़ा - हि०) रज्जु -संज्ञा, बो० (सं०) रस्सी, राज्य, देशी रियासत, राजा । रजवार - संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० राजद्वार) दरबार । ऋऋतु या मासिक धर्म । जीवती-संज्ञा, स्त्री० (सं०) रजस्वला, जेवरी (ग्रा० ) । रजोर्यथामः ।" बागडोर, लगाम की डोरी । " यथा रज्जु में सर्प की भ्रांति होती ' - स्फुट० । रट - संज्ञा, त्रो० (सं०) किसी शब्द को बार बार कहने की क्रिया : रटन - संज्ञा, १० (सं०) घोषणा, बार बार कहना। मुहा० - रटन लगाना- किसी बात को बार बार कहना, रटना । रटना स० क्रि० दे० (सं० रट ) किसी शब्द का बार बार कहना, बिना अर्थ-ज्ञान For Private and Personal Use Only "
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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