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याग
याग - संज्ञा, पु० (सं० ) यज्ञ | याचक संज्ञा, पु० (सं०) भिक्षुक भिखारी, माँगने वाला | संज्ञा, पु० - यान्चन । वि० याचनीय | याचक सकल अयाचक
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कीन्हें" - रामा० ।
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याचना - स० क्रि० दे० (सं० यवन) माँगना, पाने के लिये निवेदन करना, जाचना (दे० ) | संज्ञा, स्त्री० ( दे० ) माँगने की क्रिया । मैं याचना नृप तोहीं - रामा० । वि० याचित, याच्या । याजक -- संज्ञा, पु० (सं०) यज्ञ करने वाला । याजन - संज्ञा, पु० (सं० ) यज्ञ की क्रिया । अध्यापनाध्ययनं चैव यजनं याजनं तथा" --- म० स्मृ० । वि० - याजनीय | याज्ञवल्क्य -संज्ञा, पु० (सं० ) वैशंपायन के शिष्य एक विख्यात ऋषि स्मृतिकार वाजसनेय, योगीश्वर याज्ञवल्क्य और उनके वंशज एक स्मृतिकार, जाम्यबलिक (३०) | याज्ञिक -- संज्ञा, पु० ( सं० ) यज्ञ करने या कराने वाला ।
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यातना -- संज्ञा, स्त्री० (सं०) कष्ट, पीड़ा. वेदना, दुःख, जातना (दे०) | " यम यातना सरिस संसारू " - रामा० ।
याता -- संज्ञा, त्रो० (सं० यातृ) पति के भाई की पत्नी जेठानी या देवरानी । 4: याता मातेति सतेते स्वत्रादयाः उदाहृताः"कौ० व्या० ।
यातायात - संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) आमा जाना, आवागमन, गमनागमन. आमदरफ़्त (का० ) । " यातायाते संसारे मृत्तः को वा न जायते " - नीति | यातुधान-संज्ञा, पु० (सं०) राजप जातु धान (दे०) यातुधन अंगद बल देखी "
- रामा० ।
यात्रा - संज्ञा, खो० (सं०) एक जगह से दूसरी जगह जाने का कार्य, प्रस्थान, सफर, तीर्थाटन, प्रयाण । यात्रावाल -- संज्ञा, पु० ( सं० यत्रा + वाल
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याम
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हि० - प्रत्य० ) यात्रियों को देव दर्शन कराने वाला पंडा ।
यात्रिक - वि० (सं०) यात्रा करने वाला । यात्री - संज्ञा, पु० ( नं० यात्रा ) यात्रा करने वाला, पथिक, बटोही, मुसाफिर, तीर्थ
जाने वाला ।
याथार्थिक वि० ( ० ) वास्तविक, सत्य, ठीक, तथ्य |
याथार्थ्य -संज्ञा, पु० (सं० ) सत्यता,
यथार्थता |
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याद - संज्ञा, स्रो० ( फा० ) स्मृति, सुरति, स्मरण शक्ति, सुधि ।
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यादगार - संज्ञा, स्त्री० [फा०] स्मृति चिन्ह | संज्ञा, स्रो० - यादगारी -स्मरण । याददाश्त संज्ञा, सो० ( [फा० ) स्मृति, स्मृति के लिये लिखी बात, स्मरण शक्ति । यादव - संज्ञा, पु० (सं०) यादों, जादौयदु के कुटुंबी, या वंशज जादव (दे० ) । स्त्री० यादवी । याक - वि० (सं०) जैसा ।
यादशी - वि० स्त्री० (सं०) जैसी । " यादृशी भावना यस्य सिद्धिर्भवति तादृशी " - वारमी० ।
यान - संज्ञा पु० (सं०) रथ, गाड़ी, सवारी, वाहन, विमान, श्राकाशयान, हवाई जहाज़, शत्रु पर चढ़ाई करना । सीतहिं थान चढ़ाय बहोरी " रामा० । यानी याने श्रव्य० (०) श्रर्थात्, तात्पर्य,
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मतलब ।
यापन - संज्ञा, पु० (सं०) चलाना, बिताना, निबटाना, व्यतीत करना । वि० यापित, याप्य यापनीय । यौ० काल यापन | यात्र - संज्ञा, पु० ( फा० ) छोटा घोड़ा, टट्टू । याबुक - संज्ञा, पु० (सं०) महावर, लाल रंग । याम - संज्ञा, पु० (सं० ) समय, काल, एक पहर, जाम (दे० ), तीन घंटे का समय, एक तरह के देवगण | " दिवस रहा भरि
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याम - रामा० । संज्ञा, खो० (सं० यामि) रात, यामिनी ।