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यथायोग्य
यद्यपि यथायोग्य-पव्य० यौ० (सं० ) समीचीन, यथेष्ट-- वि० यौ० (सं०) जितना चाहिये उपयुक्त, यथोचित् , उचित, जैसा चाहिये उतना, मन-चाहा, पूर्ण, पूरा, पर्याप्त । वैसा, जथायोग्य । " यथा योन्य सब सन यथोक्त-अव्य० यौ० (सं०) जैसा कहा गया प्रभु मिलेऊ'-रामा० ।।
। हो। "प्रतार्य थोक्तवत पारणान्ने"-रघु० । यथारथ -अन्य० दे० (सं० यथार्थ) उचित, यथोचित-वि० यौ० (सं० ) ठीक ठीक, जैसा चाहिये वैसा, जथारथ (दे०)। " गुरु उचित, उपयुक्त. समीचीन । करि बो सिद्धांत यह, होया यथारथ बोध" यदपि -- अव्य० दे० ( सं० यद्यपि ) यद्यपि ।
“ यदपि कही गुरु बारहि बारा"---रामा० यथारुचि-अव्य. यौ० (सं०) इच्छानुसार।
यदा-अव्य (सं०) जिस समय जब, जहाँ । " कहहु सुखेन यथारुचि जेही"--रामा० ।
"यदा यदाहि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत" यथार्थ-अन्य यौ० (सं०) वस्तुतः, उचित,
- भ.गी। उपयुक्त, वास्तविक, जैसा चाहिये वैसा,
यदाकदा--अव्य. यौ० (सं०) कभी कभी। ठीक ठीक । वि० (सं.) सत्य, वास्तविक, ठीक, यदातदा--अव्य० यौ० (सं०) जब तब । उचित । “करि यथार्थ सब कर सनमाना" यादि-अन्य० (सं०) अगर, जो। -रामा।
यदिचेत- भव्य० यौ० (सं०) यद्यपि, अगरचे। यथार्थता-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) सचाई,
यदीय-वि० (सं०) जिसका।। सत्यता, वास्तविकता, तथ्यता।
यदु---संज्ञा, पु० (सं०) ययाति राजा के बड़े यथालाभ- वि० यौ० (स०) जो कुछ मिले पत्र जो देवयानी के गर्भ से उत्पन्न हुए उभी पर निर्भर
थे ( पुरा जदः (दे०)। यथावत-प्रत्य० (स०) यथाचित, ज्या का यनुकुल-..रक्षा, पु० यौ० (सं०) यदुवंश, स्यों, जैसा था वैसा ही, भली-भाँति, जैसा ज ल (दे०) । चाहिये वैसा ।
यदुनंदन - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) श्रीकृष्ण जी, यथाविधि-वि० यौ० (सं०) विधि के अनु
जदुनंदन (दे०)। “ जबते बिछुरि गये सार, विधिपूर्वक । “ यथाविधि हुताग्नीनाम् यदुनंदन नहिं कोउ श्रावत जात"---सूर० ।
यदुनाथ---पंज्ञा, पु. यौ० (सं०) श्रीकृष्ण जी। यथाशक्ति - श्रव्य. यौ० (सं० ) भरपक, यदपति-ज्ञा, पु. यौ० (सं०) श्रीकृष्ण जी। जितना हो सके, सामर्थ्य के अनुसार, यदराई-यदुराय-संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं०
शत्तयानुसार। यथाशास्त्र-वि० यौ० (सं०) शास्त्रानुसार ।।
.. यदुराज) श्रीकृष्ण जी। “अब तो कान्ह भये
। यदुराई ब्रज की सुधि बिसराई "-कुं० वि०। यथासंभव-भव्य० यौ० (सं०) जहाँ तक
यदुराज-यदुराय--संज्ञा, पु. यौ० (सं०) श्री हो सके, संभवतः ।
कृष्ण जी। "अाज यदुराज लाज जाति है यथासाध्य-अव्य० यो० (सं० ) जहाँ तक
समाज माहि-मना। साध्य हो, यथाशक्ति ।
यदुवंश-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) यदुकुल । यथास्थित- वि० यौ० (सं०) निश्चित, यदुकुटुम्ब, जदुवंस (दे०)। वि०-यदुवंशीय। सस्य, यथार्थ, स्थिति के अनुसार । यदुवंशमणि---संज्ञा, पु० यौ० (सं०) यदुवंशयथेच्छ-अन्य० यौ० (सं०) इच्छानुसार, भूषण, श्रीकृष्ण जी। मनमाना।
यदुवंशी-संज्ञा, पु. (सं० यदुवंशिन् ) यादव, यथेच्छाचार-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) मनमानी, यदुकुल में उत्पन्न, यदुकुल का। स्वेच्छाचार, जो जी में आवे वही करना। यद्यपि-अव्य. यौ० (सं० यदि-अपि ) संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) यथेच्छाचारिता । अगरचे, हरचंद, यदपि, जदपि (दे०)।
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