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CHOREONL
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मोरल
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उत्पन्न लोहे पर पड़ी पीले या लाल रंग | मोरपंखी-संज्ञा, स्रो० (हि०) मोर पंख
सीवनी और रेंगे सिरे वाली एक प्रकार की नाव एक वनस्पति | संज्ञा, पु० ( दि०) मोर पंख सा चमकीला नीला रंग । वि० (दे०) मोरपंख के रंग का
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मोरमुकुट संज्ञा, पु० यौ० (हि०) मोर पंखों से बना मुकुट | "मोर-सुकुट, कटि काहनी कर मुरली उर माल". वि० ।
या
की बुकनी की तह, दर्पण का मैल | संज्ञा, पु० (फ़ा० मोर चाल) परिखा, किले के चारों श्रर की खाईं, वह खाई जहाँ युद्ध के समय सेना रहती तथा नगर और गढ़ की रक्षा करती है, मोर्चा (दे० ) । बुहार मोरचा बंदी करना -- ऊँची खाई में या गढ के चारों थोर सेवा को लड़ने के लिये रखना | मोरचा भारता जीतना -- शत्रु के मोरचे पर अधिकार जमा लेना । मोरना गाँवना (लगना बनाना ) -- मोरचा बंदी करना | मोरवा लेना - लड़ना, युद्ध करना, सामना करना । मोरछल - संज्ञा, पु० दे० यौ० (हिं० मोर + a) देवताओं या राजाश्रों के सिर पर लाने का मोर पंख का देवर | मोरऊली – संज्ञा, पु० दे० (दि० मौलसिरी) मौलसिरी का पेड़ | संज्ञा, पु० दे० ( हि० मरिकल + ई - प्रत्य० य० ) मोरकुल चलाने या हिलाने वाला । मोरवाह -संज्ञा स्त्री० (३०) मोरल | मोरजुटना - संज्ञा, पु० यौ० दे० ( हि०
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मोर + जुटना ) एक गहना । मोरन --- संज्ञा स्त्री० दे० हि० मोहना ) मोड़ने का भाव | संज्ञा, सी० दे० (सं० मोरट) विलोडित दूध, दही और मिठाई, केरादि मिश्रित पदार्थ, श्रीखंड, शिखरन मूरन (ग्रा० ) ।
मोरना* -- स० कि० दे० ( हि० मोड़ना ) मोड़ना, घुमाना । स० क्रि० के० (हि० गोरन) दही को मथ कर मक्खन निकालना । मोरनी -- संज्ञा स्त्री० दे० ( हि० मोर + नी
- प्रत्य० ) मोर की स्त्री या मादा मोर के श्राकार का नथ का टिकड़ा | मोरपंख - संज्ञा, पु० यौ० ( हि०) मोर का पर या पखना, मोरपड, मयूरपत (सं०) । मोर पंखां-- संज्ञा, पु० दे० यौ० (हि० मोर 4-पंख) मोर का पर, मोर पंख की लूँगी।
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सोवना
मोरवा - संज्ञा, ३० द० (३० मोर) मोर, मयूर | "चातक, कोकिल, कीर शोर मोरवा बन करहीं" - कुं० वि० । मार्गशखा संज्ञा, सी० दे० यौ० (सं० मयूर : शिखा ) मोर की छोटी, एक श्रौषधि, मोर सिखा (दे०) । " मोरशिला को काथ साथ ताके फिर खा" कु० चि० ला० । द्वारा बि० ६० ( दि० गेरा ) मेरा | " जानत प्रिया एक मन मोरा " - रामा० । मोराना - रा० कि० दे० (हि० मोड़ना का प्रे० रूप) चारों ओर घुमाना या फिराना । मोरी - संज्ञा, मो० ० (हि० मोहरी) पनाला, नावदान, मैले श्रौरगदे पानी की नाली । -- संज्ञा, सी० दे० (हि० मोर) मोर की मादा । *- - वि० स्रो० ( हि० मेरी ) मेरी । " जो कोड सर किसोरी -- रामा० । मोरे - सर्व दे० (६ि० मेरे) मोर का बहुवचन | मोल- संज्ञा, पु० दे० (सं० सूल्य ) दाम, कीमत, मूल्य । यौ० गोल-मोल पेंचीदा, गूद या स्पष्ट बात । या०-माल-चाल ( मोलतोल) करना- किसी वस्तु का मूल्य बदा घटा कर तै करना और तोलना । मोलना -- संज्ञा, ५० दे० ( ऋ० मौलाना ) मौलवी । भोलाना* -स० क्रि० दे० (हि० माल) सोल तै करना या पूछना | प्रे० स० रूप-दिलवाना।
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मोबना - संज्ञा, पु० (दे०) मौलाना । स० [क्रि० दे० (हि मोना) मोना ।