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मूर्द्ध - संज्ञा, पु० (सं० मूर्द्धन् ) सिर, मूँड़ । मूर्द्धकर्णी संज्ञा, स्त्री० (सं०) छाया के निमित्त सिर पर रखी वस्तु । मूर्द्धकपारी - संज्ञा, खी० (सं०) सिर पर छाया के निमित्त रखा हुआ वस्त्रादि । मूर्द्धज - संज्ञा, पु० (सं०) सिर के बाल, केरा । " रूक्षता मूर्द्धजानाम् " - स्फुट० । मूर्द्धन्य - वि० सं०) मूर्द्धा से संबंध रखने बाला, ललाट में स्थित |
मूर्द्धन्यवर्ण - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) मृर्धा से उच्चरित होने वाले वर्ण, जैसे--ऋ, ऋ, ट, ठ, ड, ढ, ण, और
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मूडी - संज्ञा, पु० (सं० मूहून् ) सिर, मुख के भीतर तालु के पश्चात् का भाग । 'ऋटुरषानाम्मूर्द्धा सि० कौ० । मूर्द्धाभिषेक संज्ञा, पु० यौ० (सं०) सिर पर अभिषेक या जल सिंचन । वि० - मूर्द्धाभि पिक । मूर्षा - संज्ञा, स्त्री० (सं०) मुरहार, मरोड़फली (चौष ० ) ।
मूल -- संज्ञा, पु० (सं०) वृक्षों की जड़, कंद, खाने योग्य जड़, (जैसे--शकरकंद), अदरख, प्रारम्भ का भाग, प्रारंभ, उत्पत्तिहेतु, आदि कारण, यथार्थ धन, पूँजी, बुनियाद नींव, ग्रंथकार का लेख या वास्तविक वाक्यादि जिस पर टीका टिप्पणी हो, १६वाँ नक्षत्र ( ज्यो० ) । वि० - प्रधान, मुख्य । मूलक - संज्ञा, पु० (स० ) मूली, मूल, जड़, मूलरूप | वि० – पिता, जनक, उत्पन्न करने वाला । "सकौं मेरु मूलक इव तोरी" - रामा० मूलद्रव्य -- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) मुख्य या प्रधान पदार्थ या मूल सामग्री जिससे फिर और पदार्थ बने । मूत पदार्थ, मूलत्व | मूलधन - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) वह धन जो ऋण या उधार दिया जाये या किसी व्यापार लगाया जावे, पूँजी
मूलपुरुष - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) वंश चलाने वाला थादि पुरुष |
मा० श० को ० - १८०
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मूसर, मूसल
मूलस्थली संज्ञा स्त्री० यौ० (सं०) पेड़ का
थाला, श्रालबाल ।
मूलस्थल- मूलस्थान---संज्ञा, पु० यौ० (सं०) प्राचीन पुरुषों या बाप-दादों का स्थान, मुखप घर, प्राचीन मुलतान नगर । मूलस्थिति - संज्ञा, खो० यौ० (सं०) श्रादिम या प्रारम्भिक दशा | मूलाधार -- संज्ञा, पु० (सं०) मनुष्य - शरीर के भीतर के वै चक्रों में से एक चक्र, ( हठ योग० ) । मूलिका - संश, स्रो० (सं०) मूली, जड़ी । मूली, मूरी- संज्ञा, स्त्रो० दे० (सं० मूलक ) atri, मीठी और तीच्ण जड़ का पौधा, मूरी नामी जड़, जो कच्ची-पक्की खाई जाती है । मुहा०-- (किसी को) मूली- गाजर समझना बहुत ही तुच्छ समझना । मूलिका, जड़ी-बूटी ।
मूल्य - संज्ञा, (६० (सं०) क़ीमत, दाम, मोल (दे०), बदले का धन, महत्व ।
मूल्यवन्त, मूल्यवान् - वि० (सं०) क़ीमती, बहुमूल्य, अधिक या बड़े दामों का, वेशक़ीमत |
सूप मूषक - पंज्ञा, पु० (सं०) चूहा, मूस, मूसा (दे० ) । " मूषक बाहन है सुत एक- " भूषण - संज्ञा, पु० (सं०) हरण, चोरी करना, मूना | वि० - मूपणीय, मूषित । मषा - संज्ञा, ६० (सं० मूपक ) चूहा, मूस | मूषिक संज्ञा, पु० द० ( सं० मूषक ) चूहा, पूसा खो० - भूपिका ।
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मूस मूसा मूसक संज्ञा, पु० दे० (सं० मूष, मूपक ) चूहा । 'मूपा कहत बिलार सों सुनरी जूठ जुटेल ” – गिर० । मूसदानी - संज्ञा, स्त्री० यौ० (हि० मूस + दानफा० ) चूहे फँसाने का पिंजड़ा ।
मूसना - स० के० दे० (सं० भूषण ) चुरा लेना, हर लेना ।
मूसर, मूसल - संज्ञा, पु० दे० (सं० मुशल )
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