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मीठा जहर या विष
मीर गड़ श्रादि । महाका होना-लाभ उधर करना ! जान-मेष होना-- गड़बड़ या पानंद मिलना । इदा: गो-ह होना । मीन-मष निकालना-दोष
का भीमा-मधुर भाषी शिन्तु कपटी। निकालना । “काम विधि बाम की कला मोटा सहर बनिष----संजा. पु० यो० (दे०) में मीन-मेख कहा '...अ. श० । बनानाग, वल्पनागगोंगिय।
जीनकेतन-संज्ञा, पु. यौ० सं०) कामदेव । मीठातेल-संज्ञा, पु० यौ० । हि० तिलों पीनकेत-- संज्ञा. ५० यौ० सं०) कामदेव। का तेल।
मीना- संज्ञा, पु०६० (सं० मीन ) मछली। मीठा लीव--संज्ञा, पु० यौ० (हि.) चकोतरा " जन-संकोच विअन्त भये मीना" रामा। या भीरी नीतू ।
संज्ञा. पु. (दे०) गजपताने की एक वीर मीठापानी-संज्ञा, पु. यौ० (हि० ) नील
जाति । संज्ञा, पु. फार ) नीले रंग का एक का सत मिला जत, लेमने इ सुस्वादुजल बहमुल्य रन, चाँदी-मोने पर का रंग-विरंगा (विलो-वारी पानी।
काम. शराब रखने का पात्र, सुराही या मीठाभात, मीठाचावल-- ज्ञा, पु. यौ० कंटर । “हँसी के साथ रोना है मिसाले (हि.) गुड़ या चीनी के शरत में पकाया । कुलकुले मीना"-. जौक । .. हुआ चावल ।
हीनाकारी--- संज्ञा. खो० (फा०) चाँदी-सोने मीटिया---संज्ञा, स्त्री० (दे०) चुंबन, पिली पर रंगीन काम । (दे०) चूमा, चूमी. उंबा, मच्छी। मीना बाजार - संज्ञा. पु. (फा०) देहली में गीटी--संज्ञा, यो० ( हि मोठा का स्त्री अकबर बादशाह का लगवाया हुआ विशेष foreी, (दे०) मिठिया, गा, मच्छी । हाट या मंडी। वि० .. मधुर. मिए । 'मीठ! वात लगति दीदार--संज्ञा, हो. द. ( ० मनार ) श्रति प्यारी'कहा।
गोलाकार अति ऊँची इमारत, स्तंभ, लाट, पोटरी- संज्ञा, स्त्री. हि दिखने में तो कंगरा। थरा या मितभाषी मिन्नन्तु वास्तव में मी .... संज्ञा, 'पु० (सं०) मीमांसा शास्त्र शत्र, विश्वासपाती,अधर भाषी लपटी व्यक्ति का जाना. किती विषय की विवेचना या मीणा ---संज्ञा. पु० (सं.) जंगकी मनुष्यों की मीमांसा करने वाला एक जाति ।
भीमा --- संज्ञा, सी० (सं०) अनुमान और सीत.... संज्ञा, पु. ३० (सं० मित्र ) मित्र. तादि के द्वारा यह स्थिर करना कि यह दोस्त. खा, साथी, मंगो ! " मीत न बात मान्य है या नहीं. छः दर्शनों में से नीति गलीत यह"-वि.
उत्तर मीमांसा और पूर्व मीमांसा नामक मीनन ---- वि० दे० (सं० मि:: ) सनामी, एक दो शास्त्र, जैमिनात पूर्व मीमांमा नामक नाम वाला. सम्बा, सनेही । ज्ञा, पु० - दर्शन शास्त्र, निर्णय । गीत का बहु० २० ।
मामित--वि० (सं०) निीत, विचारित. मीना --- संज्ञा, पु० दे० (सं.) मित्र ) मीत, सिद्धान्तित । मित्र । ' रघुबर मनके यांचे मीता" म्फुट। सीशल्य-वि० (सा०) विचार या मीमांसा मीन----संज्ञा. पु० (सं०) मकरतो, मेषादि १२ करने योग्य !
राशियों में से अंतिम राशि । 'मुखी मीन पीर--- - एंज्ञा, पु. फा. (भ० ममीर ) नेता, जह नीर अगाधा"--रामा । पहा---- प्रधान, सरदार, राजा. धर्म का प्राचार्य, जीन-मेप करना- किन्तु परन्तु या इधर- सैयदों की उपाधि (मुस०), जीतने वाला,
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