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मित
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मिथ्या मित-वि० (सं०)-परिमित, सीमावद्ध, एक राज-वंश जिम्मका राज्य पांचाल और मर्यादित, सीमा, हर, कम, थोड़ा । अंबर था (प्राचीन), पार्यो के एक पुराने " विरराम महीयांसः प्रकृत्या मित- देवता । "परी मित्र शूल सम चारी" भाषिण: "--माघ ।
रामा० मिताक्षरा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) --एक स्मृति मित्रना-~-ज्ञा, सी० (०) मिताई, दोस्ती,
ग्रन्थ, याज्ञवल्क्य स्मृति की टीका। मित्रत्व । मितप्रद--वि० यौ० (सं०) सीमाबद देने मित्रत्व ..... पु. (i) मिताई. दोस्ती, वाला, हिसाब से देने वाला ।'' सुख मित मित्रता । प्रद सुनु राजकुमारी ...- रामा० । मित्रताही--वि० (२०) दुष्ट, खल, मित्र का मितभाषी-संज्ञा, पु० यौ० ( सं० मित दोही। भाषिन् ) थोड़ा या कम या मर्यादित बोलने मित्रलान---, ० (सं०) दोस्त का वाला । "प्रत्यामित भापिणः" --मात्र! मिलना, मैत्री का लाभ । मितव्यय -- संज्ञा, गु० यौ० (सं०) कम या मित्रवण-संज्ञा. ० (सं०) दोस्त लोग. थोड़ा या मर्यादित खर्च करना, किफायत- सुहृद्गण । शारी करना।
मित्रा --- 1, नी० द० सं० मित्रता मितव्ययता - ज्ञा, सो यौ० (सं०) मित्रता, मित्ररूप दोल्ली, मिताई। किफायतशारी, कमावची!
मित्र-संश, सी० (१०) शत्रुघ्न की माता, मितव्ययी - सज्ञा, पु० यौ० (सं० मितव्ययिन्) सुमित्रा, मित्र की सी। कम या थोड़ा व्यय करने वाला, नियमित मित्रालाय...-संज्ञ, पु. यो० (सं.) ऐसा पद रूप से खर्च करने वाला, किफायतशार. जो छंद जैया बात हो। कमख़र्च ।
मिनाया ----६ज्ञा, गौ० (स.) मित्र मिताई* --संज्ञा, सो०६० ( मित्रता और वरुण देवता वैदिक ।। मित्रता, मित्रर। दोस्ती। “ मम जन कहि विम: ---अ०० ( २० मिथस । आपस में. तोहि रही मिताई "---रामा० ।
परस्पर, अन्योन्।।। मिताक्षरा--- संज्ञा, सी० यौ००) मिथिला-ज्ञा. स्त्री. (सं०) तिरहुत का
याज्ञवल्क्य-स्मृति की विज्ञानेश्वरी टीका। पुराना नाम : " जिन मिथिला तेहि समय मितार्थ-- संज्ञा, पु० यौ० स०) थोड़ी बातों निहारी ----राना । से अपना कार्य सिद्ध करने वाला दूत, मिथलापति---ज्ञा, पु० यौ० (स०) राजा सूचमार्थ।
जनक: "हे मिथिलापति वेग दिखाउ. मिति-संज्ञा, मी० (मं.) सीमा, मर्यादा, शरापन शंकर का किन तोरो"--- दत्त ।
हद, परिमाण, मान, कान की अवधि । मिथिलेश संज्ञ', पु. यौ० (सं० मिथिला मिती-- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० मिति ) महीने ईस ) राजा जनक, मिथिलाधिपति, की तिथि या तारीख. दिन, दिवस । मिथिलेश्वर । " मिलहिं नाथ मिथिलेशमुहा०--मिती पुगना या पूजना -- हुंडी कुमारी"- रामा० । का नियत समय पूरा हो जाना। मिथुन- संज्ञा, १० (सं०) युग्म, सी-पुरुष का मित्र--संज्ञा, पु. (सं०) सग्वा, साथी, जोड़ा, दंपति, समागत, संयोग, मेधादि सहायक, संगी, दोस्त, शुभचिंतक, १२ १२ राशियों में से ती वरी राशि (ज्यो०)। आदित्यों में से एक, मरुद्गण में प्रथम वायु, मिथ्या --- वि० (सं०) मृषा, झूठ, असत्य
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