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मानुस
१३६१
माया
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मानुस-संज्ञा, पु० दे० (सं० मानुप) मनुष्य ।। मुमामिला) काम, व्यापार, धधा, उद्यम,
"मानुप तन गुन-जान निधाना"-रामा०। वापस का व्यवहार, व्यवहार, व्यापार या माने-संज्ञा, पु० दे० (अ० मानो) तात्पर्य, विवाद की बात । " परबस परे परोस बसि, अर्थ, मतलब।
परे मामला जान"-तुका झगड़ा, मुकदमा, मानो, मानी-ग्रन्ट'० दे० (हि. मानना )। विवाद। मनी, जैपे, गोया, मानहुँ, मनु । " मानो
मामा---संज्ञा, पु० ( अनु० ) माता का भाई, अरुण तिमिर मय रामी ---रामा।
मातुल (सं०) । स्त्री०-मामी। संज्ञा, स्त्री० मान्य-वि० (सं०) माननीय, मानने-योग्य,
(फा० ) माता, माँ, रोटी बनाने वाली पूजप, पूजनीय । स्त्री० मान्या ।
नौकरानी (मुप०)।
मामी-झा, स्त्री० दे० (सं० मातुलानी ) माप-संज्ञा, स्त्री० (हि.० मापना) नाप, मान ।
माई, मालानी । (हि. मामा -- ई-प्रत्य० ) मापक-संज्ञा, पु० (सं०) माप, मान, पैमाना,
संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० मा = निषेधार्थक ) जिससे कुछ नापा या मापा जाय, मापने.
अपने दोष पर ध्यान न देना, इनकार करना। वाला।
मुहा० - मामी पीना-इन्कार करना, मापना-स० कि० द. (सं० मापन) नापना,
मुकर जाना। किसी वस्तु के घनत्व या परिमाणादि का
मामल---संशा, पु० (अ.) रीति, रिवाज़ । किपी निश्चित मान से परिमारण करना,
मालली--वि० (अ०) नियत, नियमित, पैमाइश करना । अ० क्रि० द० ( से० मत्त )
साधारण, सामान्य । (विलो०-गैरमामली)। मतवाला होना।
माय* संज्ञा, स्त्रो० दे० (सं० मात्र) माँ, माफ़-वि० (अ०। क्षमा किया गया, मित,
माता, जननो, महतारी, माई, आदरणीय मुग्राफ़ । सज्ञा, स्त्री-माका।
वृद्धा स्त्री का सम्बोधन । संज्ञा, स्त्री० (दे०) माफकत...संज्ञा, स्त्री० अ०) मैत्री, अनुकूलता,
लघमी, संपति, अविद्या, छल, कपट, प्रकृति, मेल, माफिरत (दे०)।
माया । अच० दे० (सं० मध्य ) में, माँहिं। माफ़िका-वि० द० । अ० मुग्राफ़िक ) अनु
मायक-संज्ञा, पु० (सं०) मायाबी। सार, अनुकूल, योग्य।
मायका, माइका-संज्ञा, पु० दे० (सं० मातृ) माफ़ी-सज्ञा, सो० (२०) जमा, बिना कर
मैका (दे०), नैहर, मइका (दे०), पीहर की पृथ्वी, विना लगान की भूमि । यो0
( प्रान्ती० ) । स्त्री के माता-पिता का घर माफ़ीदार-वह व्यक्ति जिसके लिये सरकार ने भूमि-कर छोड़ दिया हो। मायन*-ज्ञा, पु० द० (सं० मातृ कामाम*- सज्ञा, पु० द. (सं० मान्) ममता, आनयन ) व्याह के एक दिन प्रथम का मातृ ममत्व, अहंकार, शक्ति । अधिकार, सर्व० का पूजन का दिन या उस दिन का कार्य, (सं०)-मुझे, मुझको । “ब्राहिमाम् पुण्डरी- पितृ-निमंत्रण। कान"-पुष्ट ।
मायनी--संक्षा, स्त्री० दे० (सं०) मायाविनी, मामता-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० ममता ) ठगिनी, कपरिनी।
श्रात्मीयता, अपनापन, प्रेम, स्नेह, मुहब्बत। मायल-वि० (फ़ा०) प्रवृत्त, रुजू (फा०) मामलत-माम नति-संज्ञा, स्री. द. झुका हुआ, मिला हुधा, मिश्रित ( रंग (अ० मुमामिलत) व्यवहार की बात, मामला, आदि)। झगदा, विवाद, विषय
माया-संज्ञा, स्त्री. (सं०) धन, लक्ष्मी, मामला-मामिला-संहा, पु० दे० ( ०। संपति, अविद्या, भ्रम, धोका, प्रकृति, ईश्वर
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