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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir महाकाल १३८५ महानंद महाकाल-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) महादेव, महातम और देव का गावे"-सूर० । जी । “करालं महाकाल कालं कृपालुं"- संज्ञा, पु. यौ० (सं०) घना अंधेरा। रामा०। महातमा-संक्षा, पु. यो. (दे०) महात्मा महाकाली - संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) दुर्गा (सं.)। जो की एक मूर्ति। महातल-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) १४ भुवनों महाकाव्य-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) वह में से पृथ्वी से नीचे के सात लोकों में से प्रबंध काव्य जिसमें सब रसों, ऋतुओं, श्वाँ लोक। प्राकृतिक दृश्यों, सामाजिक कृत्यों आदि का महातीर्थ-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) उत्तम या भिन्न भिन्न सगी में वर्णन हो-जैसे रघुवंश। श्रेष्ट तीर्थ, पुण्य क्षेत्र, पुण्यस्थान, तीर्थराज। "सर्गवंधो महाकाव्यो... ..सा. द०। महातेजा-वि० दे० यौ० (सं० महातेजस् ) महाकुम्भी-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) कम प्रतापी, तेजस्वी। महात्मा-संज्ञा, पु. यौ० (सं० महात्मन् ) महाकुष्ट -- संज्ञा, पु० यौः (सं०) महाकोढ़. उच्चारमा या उच्चाशय वाला, महाशय, गलित कुष्ठ । महानुभाव, बहुत बड़ा साधु या सन्यासी. महाखर्ब-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) सौ खर्ब की महातमा (दे०) । संख्या या अंक (गणि। महादंडधारी--संज्ञा, पु. यौ० (सं०) महाखाल-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) महाखात, यमराज। बड़ी खाड़ी। महादान-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) स्वर्गप्रद महागौरी- सज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) दुर्गाजी! बड़े बड़े दान, ग्रहणादि में नीचों को दिया महापौर-- संज्ञा, पु० यो० (सं०) बहुत गया दान । वि• महादानी, महादाता । भयानक या डरावना, कारासिंही औषधि । : महादेव-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) देवाधिदेव, महावृ-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) जामुन का शिवजी, शंकरजी। बड़ा पेड़ या फल महादेवी-संज्ञा, स्त्री० यौ० सं०) दुर्गा जी, महाजन-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) श्रेष्ठ पुरुष, प्रधान राज महिपी, पटरानी। मज्जन या माधु, धनी, रूपये का लेन देन : महाद्वीप-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) वह भूखंड करने वाला, बनिया, भला मानुष, कोठीवाल जिसमें बहुत से देश हों। " सकल महाद्वीपन "महाजनो येन गतो स पंथः ।" " सुनत में भारी तुम एशिया बतायो"---बि० कुं० । महाजन सकल बुलाये"..- रामा० । वि. महाद्वीपीय। महाजनो-संज्ञा, स्त्री० । सं० महाजन-ई- महाधन-वि० यौ० (सं०) बड़ा भारी प्रत्य० ) रुपये-पैसे के लेने-देने का काम धनी, महाधनी (दे०) बड़े मूल्य का। या व्यवसाय, कोठीवाली, महाजनों के 'अंधस्यमे हृतविवेक महाधनस्य"-शंकः । बही-खाता लिखने की एक लिपि, मुड़िया महान्-वि० (सं०) उन्नत, विशाल, विशद, (दे०)। बहाभारी । संज्ञा, स्त्री० (दे०) महानता। महाजल-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) समुद्र। महानंद-वि० चौ. (सं०) मगधदेश का महातत्व-संज्ञा, पु० यौ० दे० (सं० महत्तत्व) नन्दवंशीय एक परमप्रतापी राजा जिसके महत्तत्व । ___ डर से सिकंदर पंजाब ही से लौट गया था, महातम -संज्ञा, पु० दे० (सं० माहात्म्य) (इति० ) । संचा, पु० यौ० (सं०) बहुत माहात्म्य, बड़ाई। " कमल-नयन को छोड़ । सुख, ब्रह्मानन्द, पारमानन्द । मा० श. को.---१७४ For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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