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मसूसना
१३८२
महकना
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MAASANOTH
मसूसना-अ० क्रि० दे० ( फ़ा० ) अफसोस : मम्ती-संज्ञा, स्त्री० (फा०) मस्त होने की या मनोवेग को रोकना, ज़ब्त करना, कुढ़ना, क्रिया या भाव, मतवालापन, मत्तता, मद. मन में दुख करना, ऐंठना, निचोड़ना, मस्त होने पर कुछ पशुत्रों के मस्तक, कान, मरोड़ना । मुहा० . मन मसोमना- धाग्य प्रादि से त्रवित हुआ साव, कुछ इच्छा या मनोवृत्ति को बलत् रोकना ! विशेष वृक्षों या पथरों का स्राव।। मरहमा--वि० (सं०) मृदु, चिकना और मातन --संज्ञा, पु. (पुर्त०) बड़ी नाव के मुलायम, नरम, कोमल । संज्ञा, स्त्री० (सं०) बीच का खड़ा शहतीर जिपमें पाल लगाया मसूणता।
जाता है "हैं जहाज़ पाते का मस्तूल मसेवरा-संज्ञा, पु० (हि, मांस ) माँस पाशकार".---कुंज० । से बने हुए खाने के पदार्थ।
याचार - संज्ञा, पु. (सं०) मसिपात्र. मसामना---० क्रि० द० । हि० ममृसना) दावात ।। मसूसना।
मला---सज्ञा, पु० दे० ( हि० मसा ) मसा। मसौदा---संज्ञा, पु० (१० मसविदा) मह - अव्य० दे० (६० मध्य ) में । प्रथम बार का लिखा साधारण लेख जिसमें “मन मह तर्क करन कपि लागे"-- फिर से काट-छाँट हो सके मसविदा, उपाय। रामा । मुहा०---मसौदा गाँउन! था बाँधना महँई *-- वि० दे० ( सं० महा ) बड़ा भारी, (बनाना)-~काम करने का उपाय या महान् । अव्य० महँ. में । युक्ति सोचनः । मसौदा करना-सलाह माँगा--वि० द० । सं० महर्घ ) मूल्य बढ़ करना, युक्ति सोचना।
जाना, जिसका नाधारण या उचित से मसोदेवाज----संज्ञा, पु. (प्र. मसविदा अधिक मूल्य हो। वाज-फा० प्रत्य० ) चालाक, धूर्त, अधिक महगई. 'हगाई। -- संज्ञा, स्त्री. द० (हि. युक्ति खोजने वाला।
महँगी) महँगी, महार्यता । मस्करा --- संज्ञा, पु० दे० ( अ० मसखरा) महगी---संज्ञा, स्त्री. द. हि० महँगा-1-ई..
मसखरा । संज्ञा, स्त्री० (दे०) मस्करी। प्रत्य० ) महँगापन, महँगा होने का भाव मस्त--वि० ( फा० मि० सं० मत्त ) प्रमत्त, या उसकी दशा, महार्घता, अकाल, दुर्भिक्ष । मतवाला. नशे में चूर मदोन्मत्त, सदा प्रसन्न महत- संज्ञा, पु० दे० (सं० महत = बड़ा ) चित्त या निश्चित रहने वाला, मद-भरा, मग्न, साधु-समूह या मठ का अधिष्ठाता वि०
प्रसन्न, श्रानंदित यौवन मदपूर्ण । : प्रधान, मुखिया, श्रेष्ठ । मस्तक- संज्ञा, पु० (सं०) किमाथा, मत्था: महंती--संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० महंत -1 ई०. मस्तगी-संज्ञा, स्त्री. ( अ० मस्तकी ) एक प्रत्य० । महंत का भाव या पद।
गोंद जैसी औरधि यौ० पीपालगी। मह-- अव्य० दे० सं० मध्य ) में । वि. मस्ताना-वि० ( फ़ा० मस्तानः ) मस्तों की (सं० महत् ) महत, बहुत, महा, अति, भाँति, मस्तों का सा । अ० कि० दे० ( फा० बड़ा, श्रेष्ट । मत) मस्त या मतवाला होना । स० क्रि० : महक- संज्ञा, स्रो० दे० ( हि० गमक ) गंध, मस्त करना।
___ बास । वि०-महकदार । मस्तिष्क-संज्ञा, पु० (०) मग़ज़. दिमाग़, महकना - अ० कि० दे० ( हि० महक नाभेजा, मस्तक का गूदा, बुद्धि के रहने का प्रत्य० ) गंध या बास देना । प्रे० रूपस्थान ।
महकाना।
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