________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
१३८१
मसाना
मसूस, मसूसनि रीति से मरघट में बैठकर मृतक या प्रेत की ममियाना-प्र० कि० (दे०) पूरा हो जाना सिद्धि करना । भूत-प्रेत, युद्ध-भूमि । या भली भाँति भर जाना, मस भीजना। मसाना-संज्ञा, पु० (अ.) मूत्राशय, पेट में मसियारा--- संज्ञा, पु० दे० [फा० मशालची) पेशाब की थैली।
मशालची। ९ि० (दे०) कलंकी, स्याही लगा। मसानिया -- संज्ञा, पु. (दे०) डुमार, डोम, समिबिंदु ... संज्ञा, पु० यो० (सं०) स्याही का श्मशानवासी।
बंद दृष्टि-दोष से बचाने को बच्चों के मत्थे मसानी--संज्ञा, स्त्री० दे. ( सं० श्मशानी) पर काजल का टीका, दिठौना।
मरघट की पिशाचिनी, 'डाकिनी आदि। ममी-ज्ञा, सी० दे० (सं० मसि ) स्याही, मसाला संज्ञा, 'पु. ६० ( अ० मसालह) रोशनाई। वह सामग्री जिससे कोई वस्तु बनाई जावे, समीत. मम्मीद-संज्ञा. स्नो० दे० ( अ० औषधियों या रसायनिक पदार्थी हा
मसजिद ) मसजिद, मुसलमानों के नमाज समूह या योग, माधन. श्रातिशबाजी, तेल पढ़ने का स्थान, पतित, महजित (दे०)। आदि, लौंग, जीरा, मिर्च, हल्दा, धनिया ममीना-संज्ञा, सी० (दे०) अलसी, तिसी । भादि मसाले
मसीह, मसीहा - संज्ञा, पु. (अ०) (वि० मसालेदार-वि० ६० । अ० मसलह । दार
मसीहो) ईसाई मत के धर्म गुरु, हज़रत फ़ा०) जिस पदार्थ में किसी प्रकार का
ईसा । 'इलाले दर्द-दिल तुमसे मसीहा हो मसाला या औषधियों का समूह मिलाया
नहीं सकता'' - स्फु० । गया हो।
मसू*1-- संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० मरू) मसाहत - पन्ना, धी. (अ० माप. नाप, .
मुश्किल, कठिनाई । यौ० (दे०) मरममापैमाइश ।
कठिनता से । सुहा०--मसू करके --अति
कठिनता से। ममि -- संज्ञा, खो० (सं.) लिखने की स्याही, : रोशनाई, काजल, कारिख । तिनके मुंह
ममूहा, मसूदा --संज्ञा, पु. ६० (सं० श्म) मसि लागि है"-- तु० ।
दाँतों को साधने वाला मांस।
मसर-- संज्ञा, पु. (सं०) मसुरी (दे०) । एक ममिदानी-संज्ञा, मी० ( सं० मसि । दानी
द्विदल चिपटा धनाज जिसकी दाल बनाई फ़ा० ) दावात, मसि-पात्र ।
जाती है। मसिपात्र--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) दावात ।
ममरा---संज्ञा, सी० (सं.) मसूर की दाल या मसिविंद-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) स्याही
बरी। को बंद।
समृरिका---संज्ञा, स्त्री० (स०) वेचक का एक मसिवंदा, अमिबंद-संज्ञा, पु. २० ( सं०
": भेद, शीतला, माता, छोटी माता या देवी । मसिविन्दु ) मसि-विदु, स्याही का बूंद, ।
मलूरिया -- संज्ञा. स्त्री० (दे०) शीतला, काजल का बंदा जो लड़कों के माथे में ।
वेवक, माता, देवी। नज़र न लगने के लिय लगाया जाता है, दिठौना।
भसर्ग----संज्ञा. सी० (सं.) माता, चेचक, ममिमुख-- वि० यौ० (स० जिसके मुख में शीतला। स्याही लगी हो, कुकी. दुराचारी कलंकी। मसूम, ममृमनि... संक्षा, स्वी० दे० (हि. मसियर, मरियार --ज्ञा, नी. द. ममूसना ) भीतरी दुःख, दिल मसूसने का (अ०मशमल) मशाल। वि० (दे०) स्याही लगा। भाव, अन्तर्व्यथा, मसूरिन ।
For Private and Personal Use Only