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मपक्किल १३७६
मसकली मवकिल-संज्ञा, पु० दे० ( अ० मुवकिल ) मोटी बत्ती जो डंडे में लगी रहती है। मुकदमें में अपने लिये वकील करने वाला । मुहा०-शाल लेकर ( जला कर ) मघाजा - संज्ञा, पु० ( ० ) बदले या परि ढ़ ना - बहुत खोज करना, खूब हूँदना ।
वर्तन में दिया धन युआवजा । मशालची संज्ञा. पु. ( फा०) मशाल मवाजिब -संज्ञा, पु० ( ० ) नियत समय दिखाने वाला । नीशालचिन ।
पर मिलने वाली वस्तु, जैसे तनखाह । मश्क---संज्ञ, पु० : ० । अभ्याल । मवाद --संज्ञा, पु. ( प्र०) पीव । मष---संज्ञा, j० दे० ( सं० मख ) यज्ञ । मवास--संज्ञा, पु० ( सं० ) वाण या रक्षा मषि-मापी---संज्ञा, बी० (सं० मसि) स्याही। का स्थान, शरण, आश्रय, गढ़, दुर्ग, किले 'लिखिय पुरान मजु मपि सोई-रामा० । के प्राकार पर के वृत्त । मुहा०--मचाल -वि. ( सं० ) संस्कार-शून्य, उदासीन, करना - रहना, निवास करना । “निडर मौन, चुप, भूला हुया। "मष्ट करहु अनुचित तहाँई मधु करत मव सो है "-.-सरम। भल नाहीं' -रामा० । मुहा०---मट मवामी-संज्ञा, स्त्री. (सं० ) शरण, रक्षा, करना, पारना या मारना- कुछ न छोटा किला : “कठिन मवासी है मङ्बे की" बोलना, चुप रहना।। -पाल्हा०।
मस -- संज्ञा, स्त्री० (सं० मसि ) स्याही । मवेशी-संज्ञा, पु० दे० (अ० गवाशो) समि । संज्ञः, स्त्री० (सं० श्मश्र) मूछ निकलने ढोर, पशु, चौपाये।
के पूर्व होंठों पर की रोमावली, मसि । मवेशी खाना -- ज्ञा, पु० यो० फा० ) वह महा०-मस भीजता-मोछों का निकघर जिसमें पशु रखे जाते हैं।
लना शुरू होना! मशक -- झा, पु० (सं०) मसक (दे०)
समक-संज्ञा, पु० दे० ( ० मशक ) मसा. मच्छड़, ममा नामक एक चर्म-रोग :
मच्छड़ । “मसक समान रूप कपि धरी " "मशक, दंश बीने हिम-त्रापा"..-रामा० !
___ ... रामा० । संज्ञा. स्त्री. ( अनु० ) मपको संज्ञा, स्त्री० ( फा०) पानी होने का चमड़े .
| चमई की क्रिया, पानी भरने का चमड़े का थैला । का बड़ा थैला।
मकत... संज्ञा. स्रो० द. (अ० मशकत) मशकत-संज्ञा, खो. ( अ०) परिश्रम,
परिश्रम, मेहनत, मसकत (दे०)। मेहनत, वह श्रम जो जेल में कैदियों से मसकना-- ५० कि० दे० ( अनु० ) कपड़े कराते हैं । यौ० मेहनत-मशक्कत
को दबाना कि वह फट जाय, बल पूर्वक मशगूल-- वि० ( अ ) कार्य-लीन, काम
मलना या बना । प्र० कि. खिंव या में लगा हुया।
दबाव पड़ने से फट जाना, मन का चिंतित मशरू-मशरुया--पज्ञा, पु. द. ( ग्र० ,
होना। मशरूम ) एक धारीदार कपड़ा। मशविरा - संज्ञा, पु. ( अ०) राय, मंत्रणा मसका ज्ञा, पु० दे० ( फा० मसखरा) परामर्श, सलाह।
दिल्लगीवाज़ा, रगड़ से धातुओं पर चमक मशहरी- संज्ञा, स्त्री. (दे०) मच्छड़ों से लाने वाला साजरा।। बचने के लिये बनाया हुआ कपड़ा, मस. ममकला-संज्ञा, पु. (अ.) सिकली हरी, ममेरी।
करने का एक यंत्र, सकल या सिकली करने मशहर - वि० (अ.) प्रसिद्ध, विख्यात । की किया। संज्ञा, स्रो०-मशहरता।
मसकली-- संज्ञा, स्त्री० (अ० मसकला) छोटी मशाल- संज्ञा, स्त्री० (अ.) एक बहुत सैकल, सान।
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