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मलिनता
१३७८
मल्हाना, मल्हारना
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मलिनता-संज्ञा, स्त्री० (सं०) मलीनता कुशल थी, इसीसे पहलवान को मल्ल मैलापन, उदासी। मलिना-वि. स्त्री. कहते हैं, पहलवान, कुरतीगीर, विराट के (सं० ) दुखित, दूषित।
निकट का एक प्राचीन देश । मलिनाई* ~ संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० मलिनता) मल्लक---- संज्ञा, पु० ( स० ) दीपक, नारियल
मलिनता, उदासी, मैलापन, मलिनई (दे०)। का पात्र, पहलवान । मलिनाना-अ० कि० दे० ( सं० मलिन ) मलमभूमि--संज्ञा, सु. यौ०( सं० ) अखाड़ा,
मैला-कुचैला होना, मैलाना (दे०)। कुश्ती लड़ने का स्थान । मलिनी-संज्ञा, स्त्री. द. (सं० मलिनता) मल्लयुद्ध---संज्ञा, पु० (सं०) कुश्ती, ऋतुमती या रजस्वला स्त्री।
बाहुयुद्ध, केवल हाथों से बिना शस्त्रास्त्र के मलिम्लुच--- संज्ञा, स्त्री. (दे०) मलमास, किया जाने वाला इन्ह युद्ध । अग्नि, चोर, वायु।
मलनविद्या---संज्ञा, स्त्री० यो० ( स० ) कुश्ती मलिया--संज्ञा, खी० ( ० मल्लिका) की विद्या. मलत-विज्ञान । तंग मुंह वाला मिट्टी का पात्र या घेरा, मल तशाला---संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) चक्कर । माला का अल्पा० बी० बच्चों की अखाडा. मल्लभामा माला।
मल्तार-संज्ञा, पु. (सं०) मलार राग मलियामेट--संज्ञा, पु० दे० (हि०) सत्यानाश,
। (संगी०, मछली मारने और नाव चला कर तहस-नहस, मटियामेट ।
निर्वाह करने वाली एक नीच जाति, मल्लाह । मलीदा--संज्ञा, पु. ( फा० मालीदः ) चूरमा,
रमा, मल्लारी---संज्ञा, सं० (सं०) एक रागिनी। एक बहुत मृदु ऊनी कपड़ा। मतीन-वि० दे० सं० मलिन ) मैला, गंदा,
मल्लाह----संज्ञा, पु० (अ०) केवट, धीवर, नाव
चलाने और मछली मारने वाली एक नीच उदास, खिन्न, दुखी, अस्वस्थ, अस्वच्छ ।
जाति, माँझर संज्ञा, सी० (दे०) सल्लाही। मलीनता-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० मलिनता)
' मल्लिक संज्ञा, पु० (सं०) हंस श्वेत हंस : मलिनता, मलिनाई, उदापी। मलूक -- संज्ञा, पु० (सं० } एक कीड़ा, माल
- मल्लिका----संज्ञा, सी. (सं० ) मोतिया, एक पदी, अमलूक ( प्रान्ती. ) । वि. एक बेला फूल, ८ वर्णों का एक वर्णिक छंद (दे०) सुन्दर मनोहर । संज्ञा, पु. यो. एक: (पि० सुमुखी वृत्ति सुमुखी छन्द (पिं०)। प्रसिद्ध नीच जाति के साधु, मलूकदास मल्लिनाथ --संज्ञा, पु. ( सं० ) जैनमत में मलेच्छ--संज्ञा, पु० दे० सं० म्लेच्छ) उन्नीयवे तीर्थकर, संस्कृत के एक प्रसिद्ध म्लेच्छ, मांसाहारी, मलिच्छ (दे०)।
टीकाकार पंडित। मलैया--संज्ञा, स्त्री० (दे०) हाँगी, हंडी। मल्ली--संज्ञा, स्त्रो० (सं० ) मल्लिका, सुन्दरी मलोला-संज्ञा, पु. म. (प्र. मलूल या
: छंद या वृत्ति का दूसरा नाम ! बलबला) मनसंबंधी दुख, रंज, दुख, ।
' मल्लू-मल्ह---संज्ञा, पु० द० (सं० मल्ल ) मानसिक या हादिक खेद या भिन्नता । नुहा
मल्लूर ---संज्ञा, पु. ( सं०) बेला का पेड़, मलोला या मलाल श्राना--दुख या विल्वा । पछितावा होना । मलोले खाना-मन की मल्हराना --- स० कि. द० (सं० मल्ह) दुलार व्यथा सहना । अरमान, हार्दिक वेदना, व्यथा, दिखाते हुए लेटना, चुमकारना, प्यार करना।
या व्याकुलता उत्पन्न करने वाली इच्छा। मल्हाना-मल्हारना -स० कि० दे० ( सं० मल्ल-संज्ञा, पु० (सं०) दीप-शिखा । मल्ह----गोस्तन ) पक्षकारना. चुमकारना, एक पुरानी ज्ञाति जो द्वन्द्व-युद्ध में बड़ी प्यार करना !
।
बन्दर।
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