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मयंक
मरघट
मयंक-संज्ञा, पु० दे० ( सं० मृगांक ) शशि, मयारी संज्ञा, स्त्री० (दे०) छप्पर के सिरे चंद्रमा । " अंक न भाव मयंक मुखी परजंक पर लगाने की मोटी लकड़ी, हिंडोले के पै पारद की पुतरी सी'।
लटकाने को धरन या बड़ी लकड़ी। मयंद-संज्ञा, पु. दे. (सं० मृगेंद्र ) सिंह, मयूख---संजा, पु. (सं०) किरण, दीप्ति, शेर, बाघ, व्याघ्र ।
प्रभा, अप्ति, ज्वाला. कांति, प्रकाश । मय-संज्ञा, पु. (सं०) एक देश, एक दानव "रवि मयूख प्रयू व समान हैं "--मै० श. जो बढ़ा कारीगर या शिल्पी था (पुरा०)। गु० । संज्ञा, पु. यौ० (सं०) मयुखमाली। महाद्वीप अमेरिका के मक्यिको देश के । मयर-संज्ञ', पु. (सं०) मोर । स्त्री० मयूरी। प्राचीन निवामी। प्रत्य० (सं०) एक प्रत्यय पयरगति--संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) २४ वर्णो जो तद् रूप, विकार अधिकता के अर्थ में की एक छंद या वृत्ति (पिं०) । संज्ञा, स्त्री० शब्दों के अंत में लाई जाती है । मो०-मयी यौ० (सं०) मोर की चाल । संज्ञा, स्त्री. अत्र्य. --मै । प्रत्य० (फ़ा०) । मगरमारिगी-संज्ञा, स्त्री. (सं०) १३ साथ । संज्ञा, स्त्री० (८) शराव
वर्णों का एक छन्द (पिं०) । मयकश-वि० (फा० शराबीन संज्ञा, स्रो०
मरंद*---संज्ञा, पु० दे० (सं० मकरंद)
i . (फा०) मयकगी।
! मकरंद, पराग। मयखाना-संज्ञा, पु० यो (फा०) शराब
मरक-- संज्ञ, स्त्री० दे० (हि. मरकनाखाना, नरालय, मधुशाला।
दबाना) दबाकर संकेत करना, संकेत, मड़क मयखोर - वि० ०। शराबो । संज्ञा, .
(प्रान्ती०)। स्त्री० मयाकोरी। मयगल संज्ञा, पु० द० (सं० मदकन ) मरकर--सना, पु. (दे०) मकट (सं० ) मतवाला या प्रमत्त हाथी. मइगन ।
बानर, बन्दः । मयन-संज्ञा, पु. दे० (सं० मदन ) मैन, सरकन संज्ञा, पु. (सं०) पन्ना, रत्न ।
काम । "करदु कृपा मरदन मयन' रामा० । . मरकना --० क्रि० (अनु०) किसी दबाव मयना--संज्ञा, स्त्रो० (१०) सारिका, भेना। में पड़कर टूटना. मुड़कना, मुरुकना (दे०)। मयमंत, मयमत्त-- वि० दे० ( सं० मदमत) मरकहा-- वि० (दे०) मारने शला । “सूनी मस्त, मतवाला।
सार भलो कि मरकहा बैल"-लोको । मयसुता-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) सयान्मजा
मरकाना- पु० कि० दे० ( हि० मरकना) मन्दोदरी या मयतनया । संज्ञा, पु०
तोड़ना, चूर करना, फोड़ना, मुड़काना । मयसुत।
मर खपना--प्र. क्रि० यौ० (दे०) मर मयस्सर-वि० (अ.) प्राप्त. उपलब्ध, सुलभ । " वां मयस्सर नहीं वह श्रोदनेको"
मिटना, नाश हो जाना, अति परिश्रम करना ।
| मरगज्ञा*-- वि० दे० यौ० ( हि० मलना+ हाली। मया-संज्ञा, स्रो० द. ( सं० माया) गोंजना ) मसला या गीजा हुआ, मलादला, माया, प्रपंच, प्रकृति, प्रधान, प्रेम, दया, विदित । " देखि मर गज चीर"-वि० । ममता, मोह, छोह, प्यार । सर्व० ( सं० मरगल-संज्ञा, पु० (दे०) मसाला भरा तला महम् का तृतीया में रूप) मेरे द्वारा। हुआ बैंगन । मयार-वि० ( सं० माया ) दयालु, कपालु। मरघट-संज्ञा, पु. यौ० दे० (सं०) मृतकों के संज्ञा, स्त्री० (दे०) छप्पर के ऊपर की लकड़ी, जलाने का घाट या स्थान, श्मशान, मरघटा मयारी (द०)।
| (दे०), चिटका (प्रान्ती० )।
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