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मनुष्य
श्रादमी, मनुष्य, मनुज (दे०), भानुस (दे०) पति | संज्ञा, हो० (६०) मनुमाई । मनुष्य - संज्ञा, ५० (रु० ) श्रादमी मनुज : मनुष्यता-संज्ञा, सी० (०) आदमीपन,
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मनोरमा
मनाजव - वि० यौ० (सं०) अत्यंत वेगवान, मन के वेग के समान वेग वाला । " मनोजवं मारुततुल्यवेगं " स्फुट० | संज्ञा, पु० -- विष्णु, पवन सुत हनुमानूजी । मनोज्ञ - वि. (सं०) सुन्दर, मनोहर | संज्ञा, स्रो० मनोजना मनोदेवता- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) विचार, विवेक ।
दया, करुणा, शील, शिष्टता. तमीज़ मनुष्यत्वा मनुष्यत्व - संज्ञा, पु० (स०) मनुष्यता, आदमीपन, शिष्टता, शील, तभीज़, पुरुषत्व । मनुष्यलोक - संज्ञा, ५० यौ० (सं०) मानव
लोक, मर्त्यलोक, भूलाक !
मनुस, मानुस - संज्ञा ५० (दे०) मनुष्य, पति । सज्ञा, खो० मनुसई । मनुसाई+ --संज्ञा स्त्री० दे० (हि० मनुस आई - प्रत्य० ) पराक्रम, पुरुषार्थ पौरुष, मनुष्यता, शूरता, वीरता । " देखेहु कालि मोर मनुसाई "रामा०
मनुस्मृति - संज्ञा, स्रो० यौ० (सं०) मनु कृत, मानव-धर्म-शास्त्र |
मनुहार, मनुहारि-ज्ञा स्त्री० ६० यौ० ( हि० मन - हरना ) मनौया, मनावनि, खुशामद, प्रार्थना, विनती, आदर-सत्कार करना, मान छुड़ाने या ट को मनाकर प्रसन्न करने के लिये विनय । " करि अनुहार सुधा-धार उपराजैइम खा० । मनुहारना ० कि० दे० ( हि० जान ! हरना ) मनाना, विनय विनय या प्रार्थना करना, थार या सरकार करना । मनूव - संज्ञा, ५० (६०) मन, विचार, रुई मनो, मनो-अव्य० ८० ( हि० मानना ) मानो । " तुमहू कान्ह मन भये "वि० । मनोकामना - संज्ञा, सी० यौ० (हि० मन + कामना) मन कामना, अभिलाषा, इच्छा । मनोगत- वि० (सं०) दिली, जो मन में हो। संज्ञा, पु० - कामदेव, मदन | मनोगत - राज्ञा, खी० यौ० (सं०) भन की गति, चित्तवृत्ति, इच्छा |
मनोज - संज्ञा, पु० (सं०) कामदेव, मदन, मनसिज । " कोटि मनोज लजावन हारे " - रामा० । भा० श० को ०.
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मनोनिग्रह - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) मन को वश में रखना या स्थिर करना, मनोगुमि (योग० ) । मनोनीत - वि० सं०) पसंद, मन के कि मन के अनुकूल, चुना हुआ । गर्वोभव, मनोभूत-संज्ञा, ५० (सं०) कामदेव, गंग, मनमथ, मदन, चंद्रमा । . मनोभूत कोटि प्रमासश्शरीरम् - रामा० । मनोमय कोटा -संज्ञा, पु० यौ० (सं०) पाँच कोसों में से तृतीय कोश जिसके अंतर्भूत मन, अहंकार और कर्मेंद्रियां मानी गई हैं (वेदा० ) |
मनग1-- स्त्रा, पु० यौ० (सं०) मन को
बोर से रोक कर एकाम करना, मन की वृत्तियों को रोककर एक वस्तु में लगाना । वि०--मनोगी।
मनोरंजक - वि० यौ० (सं०) मन को प्रसन्न करने वाला |
मनोरंजन -ज्ञा, पु० यौ० (स० ) दिलबहलाव, मनोविनोद | वि० मनोरंजक, वि० मनोरंजनाय । मनोरथ-- संध, पु० यौ० अभिलापा, कानना । मनोरथेन --- रघु० । मनोरम - वि० (सं०) सुन्दर, मनोज्ञ, मनोहर | सी० मनोरमा | संज्ञा, पु०सखी छंद का एक भेद (पिं० ) | संज्ञा, स्त्री०मनोरमता । मनोरमा - संधा, खो० (सं०) सात सरस्वतियों में से चौथी सरस्वती, एक छंद (पिं० ) एक
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(सं० ) इच्छा, " स्वानेव पून