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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अभिभव १२६ अभिरना अभिभव-संज्ञा, पु० (सं० ) पराजय, हार, जिन्होंने बौद्ध धर्म का खूब प्रचार किया पराभव, नीचे देखना। था, इनका बसाया हुआ 'अभिमन्यु नगर' अभिभावक-वि० (सं० ) अभिभूत या काश्मीर में है। पराजित करने वाला, स्तंभित करने वाला, अभिमर्षण-संज्ञा, पु० (सं०) मनन, वशीभूत करने वाला, रक्षक, सरपरस्त, चिंतन, परस्त्रीगमन । तत्वावधायक, सहायक, परिपालक । अभिमान-संज्ञा, पु. (सं० ) अहंकार अभिभावकता-अभिभावकत्व-संज्ञा,भा० गर्व, घमंड, मद, आक्षेप, अहंभाव । ( सं० ) तत्वावधायकत्व, सरपरस्ती, अभिमानी-वि० (सं० ) अहंकारी, धमंडी, सहायता, रक्षण, परिपालन । आक्षेपान्वित । अभिभूत--वि० (सं० ) पराजित, हराया स्त्री० अभिमानिनी। हुया, पीड़ित, वशीभूत, जिसे वश में किया | अभिमानजनक-वि० यो० ( सं० ) गया हो, विचलित, पराभूत, विह्वल, | गर्वोत्पादक, अहंकार-युक्त । विकल, व्याकुल । अभिमख-क्रि० वि० (सं०) सामने, अभिमंत्रण-संज्ञा, पु० (सं०) मंत्र-द्वारा | अभिमुखी, सम्मुख, समक्ष, आगे। संस्कार, श्रावाहन, स्त्रो०-अभिमंत्रण। | वि० सामने मुख किये हुये। अभिमंत्रित-वि० (सं० ) मंत्र-द्वारा पवित्र | अभियुक्त-वि० (सं० ) जिस पर अभिकिया हुआ, मन्त्र-प्रभावित, श्रावाहन किया | योग चलाया गया हो, मुलज़िम, प्रतिवादी, हुआ। अपराधी। अभिमत-वि० (सं० ) मनोनीत, वांछित स्त्री० अभियुका। अभीष्ट, सम्मत, राय के मुताबिक, अभियोक्ता--वि० ( सं० ) अभियोग, अनुमत, ( विलोम ) अनभिनत। उपस्थित करने वाला बादी, मुद्दई, फ़रिसंज्ञा, पु० अभिलाषित वस्तु. इष्टपदार्थ, मत, यादी, प्रार्थी। राय, सम्मति, विचार, चितचाही बात, स्त्री० अभियोकत्री। मनोनीत । अभियोग-संज्ञा, पु० (सं० ) किसी के किये हुये अपराध या हानि के विरुद्ध न्या" राजन राउर नाम जस, सब अभिमत यालय में निवेदन, आवेदन, अपराधादिदातार"-रामा० । योजन, नालिश, मुकदमा, चढ़ाई, आक्र. अभिति-संज्ञा, स्त्रो० (सं०) अभिमान, मण, उद्योग। गर्व, अहंकार, यह मेरी है, ऐसी भावना, | मु. अभियोग लगाना-अपराध लगाना । ( वेदान्त ) अभिलाषा, इच्छा चाह, मति, | अभियोगी-वि० (सं.) अभियोग चलाने राय, विचार। वाला, नालिश करने वाला, फरियादी, अभिमन्यु-संज्ञा, पु० (सं० ) अर्जुन और | प्रार्थी, निवेदक । सुभद्रा के पुत्र, श्रीकृष्ण के भांजे. विराट अभिरत-वि० (सं०) अनुरक्त, सहित । सुता उत्तरा के पति और परीक्षित राजा के | क्रि० दे० (दे० अभिरना) भिड़ना, उलझना। पिता थे, महाभारत में चक्रव्यूह तोड़ते | अभिरना8-अ० कि० दे० (सं० अभि+ हुए अन्याय से सप्त महारथियों के द्वारा रण ) लड़ना, टेकना, भिड़ना, झगड़ना, निःशस्त्र होने पर मारे गये थे । २००० पू० उलझना, कि० (सं० ) संलग्न होना, ई० में होने वाले एक काश्मीर-नरेश | मिलाना, टकराना, अवलम्बित होना। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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