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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भीती १३३१ भीसम भीति । " भीत ना रहीं तौ कहा छाते रहि ! भीड़, कष्ट, दुख, विपत्ति, प्राफत । "रहि. जायेंगी"-ऊ. श०। मन सोई मीत है, भीर परे ठहराय।" भीती-संज्ञा, स्त्री० दे. (सं० भित्ति) * वि० दे० ( ० भीरु ) भयभीत, डरा दीवाल, भित्ती (दे०)। संज्ञा, स्त्री० दे० हुश्रा, कायर, डरपोक ।। (सं० भीति ) डर, भय । भीरना--अ० क्रि० दे० (सं० भीरु) डरना। भीन*-- संज्ञा, पु० (हि. विहान ) सबेरा। भीरु-वि० (सं०) कायर, डरपोक, भीरू वि० (३०) भीगा हुआ । जैसे -रस-भीन।। (दे०)।। भीनना-अ० कि० दे० (हि. भीगना ) भीरुता-संज्ञा, स्त्री. (सं०) कायरता, बुजसमा जाना, भर जाना, घुप जाना, प्रविष्ट दिली (फा०) डर, भय । होना, भीगना । "यह बात कही जल सों भीताई*--संज्ञा, स्त्री० (दे०) भीरुता (सं.)। गन भोनो"-राम भीरे -क्रि० वि० दे० (हि. भिड़ना) नेरे, पास, समीप। भीनी-वि० (दे०) तर गीला, सनी हुई, भील--संज्ञा, पु० दे० (सं० भिल्ल ) एक मंद, मधुर। जैसे - भीनी भीनी सुगंधि । जंगली जाति । स्त्री० भीलनी। भीम-संज्ञा, पु. (सं०) विष्णु, शिव की भीष*-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० भिक्षा) भीख । भाठ मूर्तियों में से एक मूर्ति, भयानक रस भीषज, भिसज -संज्ञा, पु० दे० (सं० (काश्य, भामसन पाडवा में से एक, भेषज ) वैद्य । जो वायु के द्वारा कुंती से उत्पन्न हुए थे और भीषण-वि. (सं०) भयंकर, भयानक, बड़े वीर तथा बलवान थे।) मुहा०-भीम डरावना, दुष्ट या उग्र, घोर । संज्ञा, पु. के हाथी-भीमसेन ने एक बार सात हाथी (म०) भयानक रस (काव्य०)। माकाश में फेके थे जो आज भी वहाँ भीषणता-संज्ञा, स्त्री० (सं०) भयंकरता। घूमते हैं वि०-भयानक डरावना, बहुत भीषन* -वि. (दे०) (सं० भीषण) भयंकर । बड़ा । संज्ञा, स्त्री०-भीमता। भीषम* --संज्ञा, पु० दे० (सं० भीष्म) भीष्म । भीमकाय-वि० यौ० सं०) बड़े शरीर वाला। भीष्म-संज्ञा, पु० (सं०) भयानक रस भीमता--संज्ञा, स्त्री० (सं०) भयानकता। (काव्य०) शिव, राक्षस, गगा-गर्भ से उत्पन्न भीमराज-संज्ञा, पु० दे० (सं० भृगराज) राजा, शांतनु के पुत्र, गांगेय, देववत । वि.. एक काले रंग का पक्षी। भयंकर, भीषण । भीमसेन - संज्ञा, पु० (सं०) युधिष्ठिर के छोटे ! भीष्मक-संज्ञा, पु. (सं०) रुक्मिणी के पिता और अर्जुन के बड़े भाई भीम। विदर्भ-नरेश। भीमसेनी एकादशी--संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) भीष्म पंचक- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) कार्तिक ज्येष्ठ और माघ के शुक्ल पक्ष की एकादशी। शुक्ल एकादशी से पूर्णमासी तक के पाँच भीमसेनी कपूर-संज्ञा, पु. यौ० ( सं० दिन जिनको लोग व्रत रखते हैं। भीमसेनोय कर्पूर ) एक प्रकार का उत्तम भीष्मपितामह-संज्ञा, पु. यौ० (सं.) कपूर, बरास (प्रान्ती०)। राजा शांतनु के पुत्र और कौरव-पांडव के भीम्राथली - संज्ञा, पु० (दे०) घोड़े की एक पितामह या बाबा, देवव्रत, गांगेय ।। जाति । भीसम-संज्ञा, पु० दे० (पं० भीष्म ) भीर, भीरि-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० भीड़)। भीष्म, भीखम (दे०)। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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