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प्रभक्त
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प्रभागा
प्रभक्त-वि० (सं० ) भक्ति-शून्य, श्रद्धा- अभया-संज्ञा, स्त्री० (सं०) दुर्गा, भगवती, हीन, भगवद्विमुख, जो बाँटा या विभक्त न | हर्र, या हारीतकी, हरड़ । किया गया हो, समूचा, पूरा, अविभक्त । अभयावह–वि० (सं०) जो भयावह या संज्ञा, स्त्री० अभक्ति, (सं० ) अश्रद्धा। भयकारी न हो। अभक्ष-वि० (सं० ) अखाद्य, अभोज्य, | अभयानक-वि० (सं०) जो भयङ्कर न हो। जो खाने के योग्य न हो, धर्म-शास्त्र में | वि० अभयाधन, अभयाचना । जिसके खाने का निषेध हो।
| अभर-वि० ( सं० अ+भार ) दुर्वह, वि० (सं० ) अभक्षित, अभक्षणीय । न ढोने योग्य, बहन न करने के योग्य । प्रभक्ष्य-वि० (सं० ) अखाद्य, अभोज्य। अभरन-संज्ञा, पु० दे० (सं० प्राभरण) अभगत-वि० दे० ( सं० अभक्त ) भक्ति- | गहना, ज़ेवर। विहीन, जो भक्त न हो।
वि० (सं० अवर्ण ) अपमानित, दुर्दशासंज्ञा, स्त्री० दे० (सं० प्रभक्ति ) अभगति । प्राप्त, ज़लील । अभन-वि० (सं० ) जो भग्न या टूटा न अभरम-वि० (सं० अ+ श्रम ) भ्रमहो, अखंड, पूर्ण।
रहित, अभ्रांत, निश्शंक, निडर, अचूक, संज्ञा, स्त्री० अभग्नता।
मतहीन, अमर्यादा। प्रभद्र-वि० (सं० ) अमांगलिक, अशुभ, ! क्रि० वि० निस्संदेह, निश्चय । अशिष्ठ, बेहूदा, अकल्याणकारी, कमीना। | अभल-वि० (सं० अ-+भला-हि.) अभद्रता-संज्ञा, स्त्री० (सं०) अमांगलिकता, | अनभल, अश्रेष्ठ, बुरा, ख़राब । अशुभ, अशिष्टता, बेहूदगी, असाधुता।। वि० श्रभला स्त्री० अभली । अभय-वि० (सं० ) निर्भय, बेडर, बेख़ौफ, | अभव्य-वि. ( सं० ) न होने योग्य, निर्भीक, अभयभीत ।
बिलक्षण, अदभुत, असुन्दर, भद्दा, बुरा, " सुनतहि भारत बचन प्रभु, अभय करेंगे अशुभ। तोहिं"-रामा।
संज्ञा, स्त्री० अभव्यता। संज्ञा, पु. भय-विहीनता, शरण ।
अभाऊ*-वि० दे० ( अ-भाव ) जो " ब्रह्मा-रुद्र-लोकहू गये, तिनहू ताहि न भावे, जो अच्छा न लगे, अशोभित, अभय नहिं दयो'-सूर० ।
अरोचक, अरुचिर, अभद्र, अशिष्ट, अभाउ मु०--अभय देना, अभय बाँह देना- (दे० ) प्रभावन । । भय से बचाने का बचन देना, मुक्त करना, " भइ आज्ञा को भोर अभाऊ "-५०। शरण देना, अभय करना-मुक्त करना, संज्ञा, पु० (सं० अभाव ) अविद्यमानता, निर्भय कर देना।
सत्ताहीनता, विचार-रहित। प्रभयदान-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) भय | अभाए-क्रि० वि० (दे०) न अच्छे लगने से बचाने का वचन देना, शरण देना, वाले, प्रभाये (दे०)। रक्षा करना, क्षमा-दान, मुबानी। वि० अरोचक, अशिष्ट, अरुचिर । प्रभयवचन-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) भय ! अभाग*-संज्ञा, पु० दे० (सं अभाग्य ) से बचाने की प्रतिज्ञा, रक्षा का वचन, दुर्भाग्य, मंद भाग्य । "माभैः ।, श्रादि वाक्य, निर्भीक वाक्य । अभागा-वि० (सं० प्रभाग्य ) भाग्यहीन, अभयंकर-वि० (सं० ) जो भयंकर या सौभाग्य-विहीन, बदकिस्मत, जो जायदाद भयकारक न हो।
| के हिस्से का अधिकारी न हो।
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