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भाल
१३२६
भावना
भाल-संज्ञा, पु. (सं०) मस्तक, माथा, अनुसार अंगों का चलाना, ईश्वरादि के ललाट, कपाल । “ विधि कर लिखा भाल- प्रति भक्ति या श्रद्धा. नायिका के मन में निज बाँची"-रामा० । संज्ञा, पु० दे० नायक के दर्शनादि से उत्पन्न विकार, गान के (हि. भाला) बरछा, भाला, वाण की विषयानुसार शरीर या अंगों का विशेष रूप गाँसी या फल । संज्ञा, पु० दे० (सं० भल्लुक) से संचालन । मुहा०-भाव देना भालू, रीछ ।
(दिखाना)-मुखाकृति या अंग-संचालन भालचन्द्र--संज्ञा, पु. यौ० (सं० ) शिवजी, या इंगन से मन की दशा प्रगट करना । महादेवजी, गणेश।
नखरा, चोचला नाज, श्रदा।। भालना-स० क्रि० (दे०) भलो भाँति देखना, भावइ, भावेश-प्रव्य० दे० (हि. भाना)
खोजना, ढूँढना । यौ०-देखना-पालना। जी चाहे, अच्छा लगे । " भावइ तुम्हें करौ भाललोचन -- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) शिवजी। तुम सोई " -रामा० ।। भाला-संज्ञा, पु० दे० (सं० भल्ल ) बरछा । भावक -- क्रि० वि० दे० (सं० भाव ) भालाबरदार--संज्ञा, पु० यौ० (हि० भाला+ थोड़ा सा, रंचक, किंचित, तनिक । वि. बरदार-फा०) बरछैत, बरछा बाँधने या | (सं०) भावपूर्ण, भाव से भरा । संज्ञा, पु. चलाने वाला । संज्ञा, स्त्री०-भालाबरदारी। (सं०) भावना करने वाला, भक्त, प्रेमी, भाव भालिका-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. भाला) युक्त, अनुरागी । बरछी, शूल, काँटा, सांग।
भावति - संज्ञा, स्त्री. यौ० (सं०) इच्छा, भाली-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० भाला ) भाला विचार, ख्याल. इरादा। की नोक या गाँसी, काँटा।
भावगम्य-वि० यौ० (सं०) श्रद्धा, भक्ति, प्रेम भालु-संज्ञा, पु० दे० (सं० भल्लु क ) रीछ। या भाव से जानने योग्य भाव-पूर्ण ।
"नर कपि, भालु प्रहार हमारा"-रामा। भावग्राह्य-वि० यौ० (सं.) श्रद्धा, भक्ति और भालुक-संज्ञा, पु० (सं०) रीछ भालू । प्रेम भाव से ग्रहण करने के योग्य । भालुनाथ- संज्ञा, पु. यो० (सं०) जाम्बुवंत । भावज-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० भ्रातृजाया ) भालू - संज्ञा, पु० दे० (सं० भल्लुक ) रोछ। भौजी, भौजाई, भाभी, भाई की स्त्री । भाता-संज्ञा, पु० दे० (हि. भाना) भउजी (ग्रा.)। वि० (सं०) भाव से उत्पन्न । प्रिय, प्रीतम, प्रियतम, प्रेमपात्र, प्यारा | भावता--वि० (हि. भावना ) प्रिय, जो संज्ञा, पु० दे० ( सं० भावी ) होनहार। भला या अच्छा लगे । " नीरज नयन भावते भाव-संज्ञा, पु० (सं०) सत्ता, मन की इच्छा जी के" - रामा० । संज्ञा, पु. (दे०) प्रेम या प्रवृत्ति, विचार. उद्देश्य, अभिप्राय, पात्र, प्रियतम, प्यारा, भावता । स्त्रो० भावती तात्पर्य, मुख की चेष्टा या मुद्रा, जन्म, (७०)। श्रात्मा, पदार्थ, प्रेम, चित्त, प्रकृति, कल्पना, भावताव--संज्ञा, पु० यौ० (हि०) दर, निर्व, ढंग, स्वभाव, प्रकार, अवस्था, दशा किसी वस्तु का मूल्य । विश्वास, भावना, श्रादर, विक्री का हिसाब, भावन-वि० दे० ( हि० भावना ) प्रिय, दर, प्रतिष्ठा, सम्मान, भरोसा, प्राकृति । अच्छा या प्यारा लगने वाला, जो भला अस्तित्व (विलो०-अभाव) । मुहा०- लगे। यौ०-मन-भावन। भाव उतरना या गिरना-किसी वस्तु भावना-संज्ञा, स्त्री. (सं०) स्मृति और का मूल्य घट जाना। भाव चढ़ना (बढ़ना) __ अनुभव से उत्पन्न चित्त का एक संस्कार -मूल्य बढ़ जाना । श्रद्धा, भक्ति, गीत के मनसा विचार, कल्पना, ध्यान, ख्याल,
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