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मषंगम
भविष्यद्वक्ता भषंगम-ज्ञा, पु० दे० सं० भुजंगम) साँप। भवमोचन वि० यौ० (सं.) जन्म मरण भवंत-वि० (सं० भवत्) भवत् का बहुवचन, प्रादि रसार-बंधन से छुड़ाने वाले, भगवान । भाप लोग।
"देखेउँ भरि लोचन प्रभु भवमोचन इहइ भवर - संज्ञा, पु. दे. ( सं०. भ्रमर ) भोर ।। लाभ शंकर जाना"-रामा० । भयरो-संज्ञा, स्त्रो० (दे०) भ्रमरी, व्याह में भव-वारिधि--संज्ञा, पु० यो० (सं.) संसारअग्नि प्रदक्षिणा, भौंरो।
सागर, भवोदधि । “भववारिधि वोहित
सरिस".-रामा० । भव संज्ञा, पु० (सं०) जन्म, उत्पत्ति, संसार,
| भवविलास-संज्ञा, पु. यौ० (२०) अज्ञानमेघ, कुशल, शिव, कामदेव, सत्ता, जन्ममरण का दुख, भौ (दे०)। वि०-शुभ, जन्य संसारी सुख, मोह-माया, प्रपंच । उत्पन्न । " भव भव विभव पराभव कारिनि', भवसंम्व वि० यौ० (सं.) साँसारिक ।
"भवसभव नाना दुख दारन'"- रामा० । -रामा० संज्ञा, पु० (स० भय) भय, डर । भवदीय-सर्व० (सं०) तुम्हारा, अापका
। भघाँ-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० भवना)
भवासना, भवन-संज्ञा, पु. (सं०) महल, घर, मकान,
चक्कर, फेरी । यौ० - वाफेरी। मंदिर छपर का एक भेद (पि.)।
भवाँना- स० कि० दे० (सं० भ्रमण )
फिराना, घुमाना। " भवन भरत, रिपु-सूदन नाही"--रामा०।।
भवादश - वि० (सं०) श्रापके तुल्य । संज्ञा, पु० दे० ( स० भुवन ) संसार जगत् ।
भवा-भवानी-संज्ञा, स्त्री. (सं०) पार्वतीजी। भवना, भवना*--अ. क्रि० दे० (सं०
'राम नाम जपि सुनहु भवानी"- रामा०। भ्रमण ) झुम्ना, मुड़ना. चक्कर लगाना
चाणव-संज्ञा, पु. यो० (सं०) ससारघूमना, फिरना : स० रूप-भधाना।
सागर, भवसागर । भवनी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० भवन) घरनी, भवान - सर्व० (सं०) श्राप । वि०-भवदीय।
भवितव्य - संज्ञा, स्त्री० (सं०) होनहार । भवबंधन - संज्ञा, पु. यौ० (सं०) संपार का भवितव्यता-संज्ञा, पु. (सं०) होनहार, झंझट, जन्म-मरण का दुख. साँसारिक कष्ट ।
भावी, होतव्यता, भाग्य, हानी । “तुलसी "भव बंधन काहि मुनि ज्ञानी"- रामा० नृपति भवितव्यता बस काम-कौतुक लेखई" भवभंजन-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) परमेश्वर। -रामा०।। भवभजन जनरंजन हे प्रभु भंजन पाप . भविष्णु--संज्ञा, पु० (सं०) भावी, होनहार, समूह "- मन्ना।
होतव्यता। भवभय, भौ-भै (दे०)- संज्ञा, पु. यौ० भविष्य-वि० (सं० भविष्यत् ) भागे आने (सं०) जग में जन्म-मरण का डर। वाला समय, वर्तमान काल से आगे का भवभामिनी-सज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०)पार्वती काल, भावी। भवभूति-संज्ञा, पु. (सं.) संस्कृत के एक भविष्यगुप्ता, भविन्य-सुरति-संगोपनाप्रमुख कवि । संज्ञा, स्त्रो० यौ० (सं०) संसार संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) एक गुप्ता नायिका जो की विभूति ।
भागे रति करने वाली हो और प्रथम ही से भवभूप, भवभूपति*-संज्ञा, पु. यौ० उसे छिपाये (साहि० ।। (स.) संसार के राजा, जगत्पति। भविष्यत् संक्षा, पु० (सं०) भावी, भविष्य । भवभूष, भवभूषण -- ज्ञा, पु० यौ० (सं०) भविष्यद्वक्ता- संज्ञा, पु. यौ० (सं.) मागे संसार के गहना, शिवजी का गहना, साँप, होने वाली बात का कहने वाला, ज्योतिषी, भस्म
दैवज्ञ, भविष्यद्वाणी करने वाला।
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