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भराई
१३१८
भवंग, भवंगा भराई-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. भरना ) भरने भर्मन, भर्मना*-संज्ञा, पु. स्त्री. दे.
का कार्य या भाव या मज़दूरी । । (सं० भ्रमण, भ्रम ) भ्रमण, धूमना-फिरना, भराव-संज्ञा, पु० (हि. भरना-पाव-प्रत्य०) भ्रम, सदेह । अ० कि. (दे०) भटकना, भरने का कर्म या भाव, भरत ।।
घूमना, भरमना । स० रूप-भर्माना। भरित-वि० (सं०) भरा हुआ। । भर्राना-अ० कि० दे० ( अनु० भर से ) भरी भरी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० भर ) एक भरी शब्द होना, भरभर शब्द से गिरना । रुपये के बराबर की या दस माशे भर की भर्सन*---संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० भर्त्सना ) तौल।
डाँड-फटकार, ताइन, निन्दा, शिकायत । भरु*-संज्ञा, पु. ( सं० भार ) भार, बोझ। भल-वि० (हि. भला ) अच्छा, भला । भरुवा भरवा-संज्ञा, पु० दे० (हि. “बुरहु करै भल पाय सुसंगू'- रामा० । मँड आ) भड़श्रा, भड़वा, सफरदाई. पछ्या भलपति-सज्ञा, पु० दे० यौ० (हि. भाला+ वि० (दे. हि. भरना ) भरा हुआ।
पति सं० ) भाला बाँधने वाला, नेज़ेबरदार । भरुपाना-अ.क्रि० दे० (सं० भार ) भारी
वि. यौ०- भला-पति ।। होना, भरुहाना (दे०)।
भलमनसत, भलमनसाहत, भलमनसीभरुहाना-अ. कि. दे. ( हि० भारी+ संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० भला+ मनुष्य ) होना ) अहंकार या घमंड करना । स० क्रि० ।
सजनता, भलमानसी। वि० भलामानुस । दे० ( सं० भ्रम ) धोखा देना, बहकाना, मला-वि० दे० (सं० भद्र) उत्तम, श्रेष्ठ. अच्छा, बढ़ावा देना, उत्तेजित करना।
बढ़िया । यौ० . भला बुरा-सीधी उलटी भरैया-वि० दे० (सं० भरण ) पालक,
बात अनुचित बात, डाँट-फटकार, अच्छा या रक्षक। वि० दे० (हि. भरना-- ऐयः ----
बुरा । सज्ञा, पु० -- कल्याण, कुशल, भलाई, प्रत्य० ) भरने वाला।
लाभ, अच्छाई। यौ० --भला बुरा-लाभ. भरोस, भरोला-संज्ञा, पु० दे० (२० वर+
हानि . अव्य--अस्तु, अच्छा, ख़र, वाक्यापाशा) आसरा, सहारा, अवलंब, प्राशा,
रंभ या वाक्य के मध्य में नहीं-सूचक शब्द । विश्वास ।
मुहा०-भले ही-ऐगाहोता रहे या हुआ भर्ग- संज्ञा, पु. (सं०) शंकर, महादेव या
करे, इससे कोई हानि नहीं अच्छा ही है। शिवजी । " भर्गः जो शुद्ध विज्ञानयुत्"
| भलाई-संज्ञा, स्त्री० (हि. भला+ ई-प्रत्य०)
। नेकी, उपकार. भलापन, कुशलता, अच्छाई । कु० वि० ला।
"कहहु कहै को कीन्ह भलाई"- रामा० । भर्त्ता-संज्ञा, पु. ( सं० भर्त, ) स्वामी, पति,
भले-क्रि० वि० (हि. भला ) अच्छी तरह, विष्णु, अधिपति, भरता (द०)।
भली भाँति, पूर्ण रूप से। वि.-अच्छे । भार-संज्ञा, पु० (सं० भत्तु ) स्वामी, पति।
अव्य. .. वाह, .खूब । ' भले नाथ कहि भर्ख हरि--संज्ञा, पु० (सं०) उज्जयिनी-नृप सीस नवाई " -- रामा० । श्री विक्रमादित्य के भाई एक प्रख्यात कवि भलेरा*-संज्ञा, पु० दे० (हि. भला) और वैग्याकरणी राजा।
अच्छा । भर्सना-संज्ञा, स्त्री० (सं०) डॉट-फटकार, भल्ल-संज्ञा, पु० (सं०) भला। ताड़ना, निंदा, शिकायत।
भल्लूक-संज्ञा, पु० (सं०) रीछ । भर्म -संज्ञा, पु. दे. ( सं० श्रम ) भ्रम, अपंग, भवंगा*-संज्ञा, पु० दे० (सं० भुजंग) संदेह, भरम।
साँप।
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