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ब्रह्मज्ञ
ब्रह्मरूपक ब्रह्मज्ञ ... वि० (सं०) ब्रह्मज्ञानी, वेदज्ञ, | ब्रह्मनिष्ठ-वि. यौ० (सं०) ब्राह्मणों का आत्मतत्वज्ञ, वेद विद् , वेदज्ञ ।
भक्त, ब्रह्मज्ञानी, ब्रह्मज्ञान-संपन्न । संज्ञा, ब्रह्मज्ञान-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) अद्वैतवाद, स्रो० (सं०) ब्रह्मनिष्ठा । ब्रह्म सम्बन्धी ज्ञान, पारमार्थिक अवत सत्ता
ब्रह्मपद -- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) मुक्ति, मोक्ष, के सिद्धान्त का बोध । "ब्रह्मज्ञान बिनु | ब्राह्मणत्व, ब्रह्मत्व । नारि नर, कहैं न दूजी बात".--रामा० ।।
ब्रह्मपुत्र--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) ब्रह्मा का ब्रह्मज्ञानी-वि० यौ० (सं० ब्रह्मजानिन् )
लड़का, वशिष्ठ, नारद, मरीचि, मनु, श्रद्वैतवादी, पारमार्थिक अद्वैत सत्ता रूप,
सनकादिक, मानसरोवर से निकल बंगाल ब्रह्म सम्बन्धी ज्ञान रखनेवाला।
की खाड़ी में गिरनेवाली ब्रह्मपुत्रा नदी। ब्रह्मण्य-वि० (स.) ब्राह्मणों का सेवक या
ब्रह्मपुराण-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) आदि प्रेमी, ब्राह्मण सरकारी, ब्रह्मा या ब्रह्म सम्बन्धी।
पुराण. अठारह पुराणों में से एक पुराण । "प्रभु ब्रह्मण्य देव मैं जाना "---रामा० ।
ब्रह्मपुरी-संज्ञा, स्त्री० (सं०) ब्रह्मा का नगर । ब्रह्मतीर्थ-संज्ञा, पु० (सं०) ब्रह्म पर नामी
ब्रह्मपाश - संज्ञा, पु. यौ० (सं०) ब्रह्म फाँस तीर्थ, पुष्करमूल, पोहकरमूल ।
(दे०) एक अस्त्र. ब्रह्मास्त्र। ब्रह्मत्व-संज्ञा, पु० (सं०) ब्रह्म का भाव,
ब्रह्मभट्ट- संज्ञा, पु० (सं०) वेदज्ञानी, ब्रह्मविद् ब्राह्मणत्व ।
एक तरह का ब्राह्मण । ब्रह्मदंड- संज्ञा, पु. यौ० (सं०) बटु या
ब्रह्मभूति-- संज्ञा, स्त्री. (सं०) ब्राह्मण का तेज, ब्रह्मचारी का दंडा, ब्रह्मा का दिया दंड,
ब्राह्मण का धर्म, ऐश्वर्य पदाधिकार। ब्राह्मण का दंड ।
ब्रह्मभोज-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) ब्राह्मण - ब्रह्मदिन- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) ब्रह्मा का दिन
भोजन, बरमभोज (दे०)।। जो एक हाज़ार या १०० चतुर्युगी का माना
ब्रह्मभोजन- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) ब्राह्मणों जाता है।
को खिलाना। ब्रह्मदेव-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) ब्रह्मा, चंद्रमा, |
ब्रह्ममुहूर्त- संदा, पु० यौ० (सं०) प्रातःकाल, शिव, बरमदेव (दे०)।
प्रभात, प्रात, सवेरे, उषाकाल, ब्रह्मवेला। ब्रह्मदोष-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) ब्राह्मण के ब्रह्मयज्ञ-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) यथाविधि मार डालने का पाप या दोष । वि. वेद पढ़ना, वेदाध्ययन, वेदाभ्यास | ब्रह्मदोषी । " ब्राह्मदोष सम पातक नाही"
ब्रह्मरंध्र-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) मस्तक के -रामा।
मध्य भाग का एक गुप्त छिद्र, जिससे प्राणों ब्रह्मद्रोह-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) विप्रद्रोह । (जीव) के निकलने से ब्रह्मलोक की प्राप्ति ब्रह्मद्रोही-वि• यौ० (सं० ब्रह्मद्रोहिन् ) | होती है (योग०)। ब्राह्मणों से शत्ता या द्रह करनेवाला। ब्रह्मराक्षस-संज्ञा. पु० यौ० (सं०) ब्राह्मण"ब्रह्मद्रोही न तिष्ठति ।"
भूत। ब्रह्मद्वार-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) ब्रह्मरंध्र। ब्रह्मरात्रि-- संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) ब्रह्मा की ब्रह्मद्वेष-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) ब्राह्मणों से | एक रानि जो उनके दिन के समान ही होती वैर । वि. ब्रह्मद्वेषी।
है, सौ (एक) कल्प ! ब्रह्म-ध्यान-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) ब्रह्म का । ब्रह्मरूपक संज्ञा, पु० (सं०) चित्र या ध्यान या विचार । वि० ब्रह्मध्यानी। चंचल छंद, १६ वर्गों का वृत्त (पि०)।
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