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बेड़िन, बेड़िनी १२६३
बेताल लोगों का समूह । बेड़ा कौन लगावै पार" बेतकल्लुफ़-वि० (फ़ा० बे+तकल्लुफ-अ०) श्राला । मुहा० --बेडा पार करना या जो दिखावटी या बनावटी बात न करे या लगाना-किसी को विपत्ति से निकालना कहे, साफ या ठीक ठीक, मन की बात या छुड़ाना, सहायता करना । बेड़ा बाँधना कहने वाला । संज्ञा, स्त्री० बैतकल्लुफ़ी।
-भाँड़ श्रादि का तमाशे के लिये एक क्रि० वि०--बेखटके, निस्संकोच, बेधड़क, गिरोह बनाना। कई जहाज़ों या नावों आदि कृत्रिमता-रहित । का समूह । वि० दे० (हि० पाड़ा, का अन०) बेतना--अ० कि० दे० ( सं० वेतन ) ज्ञात बेड़ा (दे०) श्राड़ा, तिरछा, कठिन, विकट। या मालूम होना, जान पड़ना । बेड़िन, बैडिनी--संज्ञा, स्त्री० (दे०) नट जाति बेतमीज-वि० (फा० बे -- तमीज़-अ०) बेहूदा, की नाचने-गाने वाली स्त्री।
मूर्ख, शाज्ञानी, उजड्ड, वेशऊर, बदतमीज़ । बेड़िया- संज्ञा, पु० (दे०) नकों की एक जाति। संज्ञा, स्त्री-बतमीज़ी। बेड़ी-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० वलय ) लोहे बेतरह-क्रि० वि० ( फ़ा० बे-+-तरह अ०) के कड़े या जंजीर जो कैदियों के पैरों में असाधारण या अनुचित रीति से, अयोग्य पहनाये जाते हैं जिससे वे भाग न सकें, रूप या प्रकार से, बुरी तरह । वि०-बहुत निगड़, बाँस की एक प्रकार की पानी उली- ज्यादा, अत्यंत अधिक। चने की टोकरी। "कर्म पाप श्री पुन्य लोह, बेतरतीब-वि० कि० वि० (फा० बे+तरतीब सोने की बेड़ी"-१०।
फा० ) क्रम-विरुद्ध , जो सिलसिलेवार न हो, बेडौल-वि० (हि० मि० फा० बेडौल रूप) अव्यवस्थित । संज्ञा, स्त्री०-बेतरतीबी। भदा, बेढंग, कुरूप ।
बेतरीका-वि०, क्रि० वि० (फा० बे+ बेढंग, बेढंगा-वि० दे० (फ़ा. वे-- ढंग
तरीका-अ.) नियम-विरुद्ध. अनुचित रीति। हिना -प्रत्य० ) बेतरतीब बुरे ढंग का,
बेतहाशा- क्रि० वि० (फ़ा० बेतहाशा-अ०) भद्दा, कुरूप, भोंड़ा, क्रम रहित । स्त्री०
बड़े वेग से. बी तेजी से, ति घबरा कर, बेढंगी। संज्ञा, पु० ढंगापन ।
बिना समझे-बूके बिना सोचे-बिचारे । बेढ़-संज्ञा, पु० (दे०) विनाश, खराबी।
बंतादाद-वि० फा० अगणित, बहुत । बेढ़ई, बढ़ई - संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि बेदना )
") बताब- वि० (फ़ा०) व्याकुल. विकल दुर्बल, दाल की पीठी भरी रोटी, कचौड़ी।
अशक्त, कमज़ोर, शिथिल, बेदम । सज्ञा, बेदना- स० कि० दे० ( सं० वेष्टन ) किसी
स्त्री० बेताबी। काँटेदार पदार्थ या तार आदि से रक्षार्थ पेड़
बेतार वि० ( फा० बे-तार हि०) बिना बाग या खेत श्रादि को सँधना, घेरना,
तार का. तार-रहित । यौ०-बेतार का पशुओं को घेर कर हांकना । स० रूप
तार- केवन्त बिजली की शक्ति से, बिना बेढ़ाना, प्रे० रूप-अढ़वाना। बेढब-वि० दे० (हि. फ़ा० मि०) भद्दा,
तार के समाचार भेजने का यंत्र और
बेतार से भेजा गया समाचार ।। बेढंगा बुरे ढंग या ढब वाला। क्रि० वि०बेतरह बुरी तरह से।
बेताल-संज्ञा, पु० दे० ( सं० वेताल ) द्वार• वेढ़ा-संज्ञा, पु० दे० (हि. वेड़ना -- घेरना ) |
पाल, एक भूतयोनि पुरा०), शिव के एक हाथ का एक तरह का कड़ा, घर के चारों गणाधिप, भूनों के अधिकार को प्राप्त मृतक, श्रोर का हाता, बाड़ा, घेरा।
छप्पय छद का छठा भेद पिं०)। वि० (दे०) बेणीफल - संज्ञा, पु. यौ० (सं० वेणी ताल या लय-रहित ( संगी० ) । संज्ञा, पु. फूल हि०) सीसफूल, पुष्पाकार शिरोभूषण ! दे० ( सं० वैतालिक ) भाट, बंदीजन ।
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