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बादाम
१२५७
बाना
बादाम-संज्ञा, पु. (फा०) बड़े कड़े छिलके अड़चन, दुख या कष्ट, संकट । “निमि हरि
और मींगीवाला एक मेवा, उसका वृक्ष । सरन न एकउ बाधा "-रामा० । बदाम (दे०)। “सोहत नर,नग त्रिविधि ज्यों, । बाधित - वि० (सं०) विघ्न या बाधा-युक्त, बेर, बदाम, अँगूर" ..." मोरचा मखमल | रोका हुश्रा, जिसके साधन में विघ्न या में देखा श्रादमी बादाम में"।
रुकावट पड़ी हो, असंगत, तर्क-विरुद्ध, बादामी-वि० ( फा० बादाम-1-ई-प्रत्य०) | ग्रसित, गृहीत । बादाम के छिलके के रंग या श्राकार का, वाध्य-वि० (सं०) रोकने या दबाने के योग्य, कुछ लालिमा लिये पीतवर्ण का । संज्ञा, पु. जो रोका या दबाया जाने वाला हो, विवश --एक तरह की छोटी डिब्बी, एक पदी होने वाला, पाचनीय । किल-किला, बादाम के रंग का घोड़ा। बान-संज्ञा, पु० दे० ( सं० वाण ) तीर, शर, बादि-ग्रव्य० दे० (सं० वादि ) फ़जूल, बाण, एक तरह की अग्नि-क्रीड़ा या पातशनाहक, व्यर्थ । “ नतरु बाँझ भलि बादि बाजी, ऊँची लहर, । संज्ञा, स्त्री० (हि० बनना) बियानी"-रामा० ।
वेश-विन्यास, बनावट, शृंगार, सज-धज, बादिनि-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० वादिनि )- स्वभाव, टव ( ग्रा०) । “करधरि चक्र चरन बोलनेवाली, झगड़ालू ।
की धावनि नहिं बिसरति वह बान-सूर० । बादी - वि० (फ़ा०) वायु-सम्बन्धी, बात- संज्ञा, पु० दे० ( सं० वर्ण) काँति, श्राभा। विकार सम्बन्धी, वायु रोग का पैदा करने संज्ञा, पु० दे० (सं० बाण ) बान, हथियार । वाला। संज्ञा, स्त्री०-बात-रोग, वायु-विकार। संज्ञा, पु० (दे०) गोला। बादुर--संज्ञा, पु. ( दे०) चमगीदड़ । ' ते बानइता- वि० दे० (हि० वान --- इत-प्रत्य०) विधना बादुर रचे, रहे अधरमुख भूलि" बान चलाने वाला, तीरंदाज़ योद्धा, -कबी०।
सिपाही, बहादुर, बानत । बाध-संज्ञा, पु. (सं०) अड़चन, रुकावट, बानक-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० बनाना) भेस, बाधा, पीड़ा, मुश्किल, कठिनाई, अर्थ की __ सजधज, वेश, बननि । " यहि बानक मो संगति न होना, व्याघात, वह पक्ष जो मन बसहु, सदा बिहारी लाल"। साध्य-रहित सा ज्ञात हो ( न्याय०)। बानगी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० बयाना)
संज्ञा, पु० दे० ( सं० वद्ध ) मूंज की रस्सी। नमूना । " है नमूना, बानगी, अटकल "बाध वाधकताभियात् '-भ० गी। कयास "-खा० बा० । बाधक-संज्ञा, पु० (सं०) विघ्न-कारक, विघ्न बानर-संज्ञा, पु० दे० (सं० वानर ) बंदर ।
डालने या बाधा पैदा करने वाला,दुखदायी। वि०-वानरी, स्त्री० बानरी । “ सपने बाधकता-संज्ञा, स्त्री० (सं०) विघ्न, बाधा, बानर लंका जारी"- रामा० । रुकावट, अड़चन ।
बामरेन्द्र-संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० वानरेन्द्र) बाधन-संज्ञा, पु. (सं०) विघ्न, वाधा या सुग्रीव, बानरेश । " बानरेंद्र तब कह कर रुकावट डालना, दुख या कष्ट देना । ( वि० | जोरी"-स्फु०। बाधित, वाध्य, बाधनीय)।
बाना-संज्ञा, पु० दे० (हि० बनाना) पोशाक, बाधना-स० कि० दे० (सं० वाधन) रोकना, पहनावा, भेष, रूप, चाल, स्वभाव, रीति, विघ्न या बाधा डालना, दुख देना । " तिन | बाण । 'बाना बड़ा दयाल को, छाप तिलक
को कबहूँ नहिं बाधक बाधत"- स्फु०। श्री माल " " देखि कुठार सरासन बाना" बाधा-संक्षा, स्त्री० (सं०) रुकावट, विन, रोक, -रामा० । संज्ञा, पु० दे० (सं० वाण ) भा. श० को०-१२८
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