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बहुरूपिया बहु - वि० (सं०) अनेक, अधिक, ज़्यादा, जानकार, बहुज्ञ, बहुत देखनेवाला, बहुबहुत । "बहु धनुहीं तोरेउँ लरिकाई"- सोची। रामा० । संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० बधू ) बहू, बहुधा-कि० वि० (सं०) प्रायः, बहुत करके, बधू, पतोहू, स्त्री।
अक्सर, अनेक प्रकार से। बहुगुना-संज्ञा, पु० दे० यौ० ( सं० बहुगुण) बहुनैन-ज्ञा, पु० दे० यौ० ( सं० बहुनयन ) चौड़े मुँह का एक गहरा बरतन, तसला, इन्द्र, सहयात, सहसाखी। तबला (ग्रा०) वि० कई गुना ।
बहुबाहु. ज्ञा, पु. यो० (सं०) रावण, सहस्रबहुश-वि० (सं०) बड़ा जानकार । संज्ञा, बाहु । "नाहीं तो श्रम होइह बहुवाहू'स्त्री० बहुज्ञता।
रामा० । “बहुबाहु जुत जोई ". राम । बहुटनी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० पहुँटा) छोटा बहुमत-सज्ञा, पु. यौ० (सं.) बहुत से बहुँटा, बहुँटी (ग्रा.)।
लोगों की भिन्न भिन्न सम्मति, बहुत से बहुन-वि० दे० (सं० बहुतर ) अनेक, एक । लोगों की मिल कर एक राय। या दो से अधिक, ज़्यादा यथेष्ठ, काफ़ी, बहुमूत्र--पक्षा, पु. यौ० (सं०) बहुत मूत्र बस, बहु (दे०) । “बहुत बुझाय तुम्हें का ___ होने का एक रोग। कहऊँ'-रामा० । मुहा०-बहुत अच्छा- बहुमूल्य-वि० यौ० (सं०) दामी, कीमती, स्वीकार सूचक वाक्य । बहुत करके- बढ़िया, बड़े दाम का। अधिकतर प्रायः, बहुधा । वहुत-कुछ-कम | बहुरंगा--वि० यौ० (हि. बहुरंग) कई रंगों नहीं। बहुत खूब-बहुत अच्छा, बाह का, चित्र विचित्र, मनमौजी, बहुरूपिया। क्या कहना है । क्रि० वि० अधिक तौल में, बहुरंगी-वि० यौ० ( हि० बहुरंगा-+ ईज़्यादा।
प्रत्य० ) अनेक करतब करनेवाला, अनेक बहुनका*-वि० दे० (हि. बहुत-क) । रंगवाला, कौतुकी, बहुरूपिया। बहुत से, बहुतेरे।
बहुरना -कि० अ० दे० (सं० प्रघूर्णन ) बहुता-संज्ञा, स्त्री० (सं०) अधिकता । वि.- लौटना, फिरना, वापिस पाना । “गा जुग अधिक, बहुत ।
बीति न बहुरा कोई"-प० । स० रूप बहुबहुताई-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० बहुता) राना प्रे० रूप बहुरवाना। बहुतायत, बाहुल्य, बहुलता।
बहुर-बहुरि -क्रि० वि० दे० (हि० बहुरना) बहुतात-बहुतायत-सज्ञा, स्त्री० दे० (सं० फिर, फिरि, पोछे. उरांत, पुनः । पू० का० बहुता ) ज्यादती, अधिकता।
कि० (दे०) लौटकर । "बहुर लाल कहि बच्छ बहुतिथि-वि० यौ० (सं०) बहुत दिनों, कहि."--रामा० । "आगे चले वहरि बहुत समय, बहुतबार !
रघुराई"-...-रामा०। बहुतेग-वि० दे० ( हि० बहुत + एरा-- बहुरा-चौथ-सज्ञा, स्त्री० यौ० (दे०) एक प्रत्य०) अधिक, बहुत सा । कि० वि० (दे०) चौथ का त्योहार जब बहुरी चबाई जाती है। अनेक प्रकार से, बहुत (स्त्री० बहुतेरी)। बहुरिया----सज्ञा, स्त्री० दे० (सं० बधूटी) बहुतेरे- वि० दे० (हि. बहुतेरा) अनेक, बहू, बधू , दुलहिन, नयीबधू ।
बहुत से (बहुतेरा का ब० व०)। बहुरी-सज्ञा, स्त्री० दे० (हि. भौरना = बहुव--संज्ञा, पु० (सं०) अधिकता। भुनना) भूना हुग्रा खड़ा अनाज, चबैना, बहुदर्शिता-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) बहुज्ञता। चर्बण। बहुदर्शी--संज्ञा, पु० (सं० बहुदर्शिन्) अनुभवी, । बहुरूपिया-संज्ञा, पु० दे० यौ० (हि० बहु +
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