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बढ़ जाना या
बयाला
बरजोर संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० विहार ) व्यालू । बरकाज-संज्ञा, पु० दे० यौ० ( सं० वर+ बियारो (ग्रा.)।
| कार्य ) व्याह, विवाह. श्रेष्ठ कार्य । बयाला-संज्ञा, पु० दे० (सं० वाह्य + बरकाना--सं० कि० दे० (सं० वारण, वारक) माला ) झरोखा, दिवाल में बाहर झाँकने | निवारण करना, बचाना, बहलाना । की मँझरी, पाला अरवा ( ग्रा०) ताक, | बरख-81-संज्ञा, पु० दे० (सं० वर्ष) किलों में तो लगाने के स्थान । बरस, बरिस (ग्रा० )। बर--संज्ञा, पु० दे० (सं० वर ) दूल्हा, बरखना-क्रि० अ० दे० (सं० वर्षण ) दुलहा, आशीर्वाद-रूपी वचन, बरदान । | बरसना । स० रूप-बरखाना। वि० श्रेष्ठ, उत्तम, अच्छा । मुहा०-वर बरखा-*-संज्ञा,स्त्री० दे० (सं० वर्षा) वर्षा । पड़ना-श्रेष्ठ होना। संज्ञा, पु० दे० (सं० "बरखा बिगत सरद ऋतु श्राई' रामा० । वल ) शक्ति, बल । संज्ञा, पु० दे० (सं० बरखास-वि० दे० ( फा० बरखास्त ) वट ) वट, बरगद का पेड़ । संज्ञा, पु० ( हि० | विपर्जित ख़ारिज नौकरी से छुड़ाया हुआ, बल सिकुड़ना) लकीर, रेखा । मुहा०--- मौकूफ। घर खींचना-- अति दृढ़ता सूचित करना, | बरखास्त-वि० ( फ़ा० ) विसर्जन करना, हठ करना । अव्य० (फा० ) ऊपर । मुहा० मौक, नौकरी से छुड़ाया गया । संज्ञा, -बर आना या पाना--बढ़ कर निक स्त्री०- बरखास्तगी। लना, तु
| बरखिलाफ़-क्रि० वि० यौ० (फा० वर+ ठहरना । वि०-बढ़ा चढ़ा, पूर्ण, श्रेष्ठ, खिलाफ-अ० ) विरुद्ध प्रतिकूल, उलटा। पूरा । ॐ अव्य. दे. (सं० वरं ) बल्कि, बरगद ---संज्ञा, पु० दे० (सं० वट) धनी और वरन् बरूक, धरू (दे०)।
ठंढी छायादार पीपल की जाति का चौड़े बरई-संज्ञा, पु. (हि. बाड़=घयारी) मोटे पत्तों वाला एक पेड़, वट, बड़ (हि.)। तमोली। स्त्री० बरइनि । स० क्रि० (दे०) बरगदाही--वि० संज्ञा, स्त्री० (दे०) वह बरे, बरण करे।
अमावस्या जिसमें स्त्रियाँ वट-पूजन करती हैं। बरकंदाज-संज्ञा, पु. यौ० ( अ०+फा०) | बरगा-संज्ञा, पु० (दे०) कड़ा तख्ता।। तोड़ेदार, बंदूक या बड़ी लाठी रखने वाला बरछा संज्ञा, पु० दे० ( सं० व्रश्चन = काटने सिपाही।
वाला ) भाला ( अस्त्र ) । स्त्री० बरछी । बरकत-संज्ञा, स्त्री. (अ.) बहुतायत, बरछत-संज्ञा, पु० दे० (हि० बरछा- ऐतबाहुल्य, यथेष्ठ से, अधिकता लास, प्रत्य० । भाला-बर्दार, बरछा चलाने वाला। ज़्यादती, अधिकता, बढ़ती, प्रसाद, कृपा, बरतन* --संज्ञा, पु० दे० ( सं० वर्जन ) धन-दौलत, समाप्ति, एक की संख्या। रोकना, वर्जन निषेध या मना करना । स. घरकनी-वि० (प्र० बरकत + ई - प्रत्य० ) क्रि० (दे०) बरतना बर्जना। "मैं बरजी
बरकत वाला, बरकत-संबंधी, बरकत का। | कै बार तू" वि०। बरकनारे-क्रि० अ० दे० (सं० वारण ) रजन छ--संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० वर्जन , बुरे कर्मों से हटना. बचना, दूर रहना. | रोक, मनाही निषेध, रुकावट । निवारण होना। स० रूप-बरकाना.प्रे० रूप- | बरजबान वि० [फा० कंठस्थ. मुखाग्र. बरकवाना।
महजवानी (दे०) क्रि० वि० (दे०) वरबरकरार--वि० यो० (फ़ा० बर + फरार अ०) | जवानी।। स्थिर, अटल, दृढ़, कायम, उपस्थित । बरजोर-वि० दे० (हि० वल+ज़ोर-फा०)
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