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बंधनि
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बंधन -संज्ञा, खो० (दे०) बंधन (सं०) बाँधने उलझाने या फँसाने की चीज या साधन | बंधान, बँधान - संज्ञा, पु० दे० ( हि० बँधना) पानी के रोकने का धुरुप या बाँध । व्यवहार या लेन-देन की निश्चित परिपाटी, इस परिपाटी से दिया-लिया धन, ताल का भीटा, बंदिश, आयोजन। मुहा० - बंधान बांधना -- विधान बनाना । ताल स्वर का सम (संगो०) बंधान निश्चित कार्यक्रम | बंधी - संज्ञा, पु० दे० (सं० बंधिन) बँधा हुआ। खी० (हि० बँधना ) बंधेज | बंधु - संज्ञा, पु० (स० ) भ्राता, भाई, सहायक, मित्र, दोधक छद, एक वर्णवृत्त ( पिं० ) । बंधूक फूल | संज्ञा, स्त्री० बंधुता, बंधुत्व यौ० - बंधु-बांधव ।
बँधुआ, बँधुवा - संज्ञा, पु० दे० ( हि०
बँधना ) बंदी, क़ैदी ।
बंधुक - संज्ञा, पु० (सं०) दुपहरिया का फूल : बंधुता - संज्ञा, स्त्री० (सं०) बंधुत्व, भाईचारा, मित्रता, बंधु का भाव । बंधुत्व संज्ञा, पु० (सं०) बंधुता, बंधु का
भाव ।
बंधुर - संज्ञा, पु० (सं०) मुकुट, दुपहरिया का फूल, हंस, बगुला, बहिरा मनुष्य । वि० (सं०) सुन्दर |
बंधूक – संज्ञा, ५० दे० ( सं० बंधुक ) बंधु
दुपहरिया का फूल, बंधुक, दोधक छंद (पिं० )! बंधेज -संज्ञा, पु० दे० ( हि० बँधना + एज - प्रत्य० ) प्रतिबंध, नियम, रुकावट, नियत रूप और समय से लेने-देने का पदार्थ या धन, बाँधने की युक्ति या क्रिया । बंध्या - वि० [स्त्री० (सं०) बाँझ, बांझिनी
(दे०) संतान न पैदा करने वाली स्त्री । बंध्यायन - संज्ञा, पु० दे० (सं० बंध्य + यन
-
- हि० प्रत्य० ) बाँझपन, बंध्यारोग (वैद्य० ) । बंध्यापुत्र - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) बाँझ का लड़का, अनहोनी वस्तु, वंध्यापुत्र सी असंभव बात ।
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बउर
बंपुलिस- संज्ञा, स्त्रो० यौ० दे० ( अनु० वं + प्लेस - ० ) म्यूनिसिपैलिटी का सार्वजनिक पाखाना, दही ।
बंब - संज्ञा, पु० ( अनु० ) युद्ध के श्रारम्भ से पूर्व वीरों का उत्साह बढ़ाने वाली घोर ध्वनि, हल्ला, रण नाद, डंका, दुन्दुभी, नागाड़ा। मुहा० - बंच बजाना - रण या लड़ाई के लिये तैयार होना ।
बंबा - संज्ञा, पु० दे० ( अ० मंत्रा ) पंप, सोता, जल का यंत्र, जल- कल, बच्चों को डाराने का कल्पित नाम ।
बाना - क्रि० प्र० दे० ( धनु० ) राँभना, गाय आदि का बाँ बाँ बोलना । बंबू - संज्ञा, पु० ( मलाया०० – बैंबू = बांस ) चंडू पीने की बाँस की पतली छोटी नली, (०) बाँस ।
बंस - संज्ञा, पु० दे० कुल, बाँस । " बंन
(सं० वंश ) वंश, सुभाव उतर तेहि
"
दीन्हा - रामा० !
बंसकार - संज्ञा, पु० द० (सं० वंश ) बाँसुरी |
बंसलोचन - संज्ञा, पु० दे० (सं० वंश लोचन ) बंस कपूर, सफेद और नीले रंग का बाँसका सार भाग ( शौप० ) । बंसी -संज्ञा, त्रो० दे० (सं० वंशी ) बाँस की नली से बना एक मुँह का बाजा, बाँसुरी, मुरली, मछली फँसाने का यंत्र, विष्णु, राम, कृष्णादि के पद-तल का एक रेखा-चिन्ह ( सामु० ) | बंमीवर - संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० वंशीधर ) श्रीकृष्ण ।
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बहगी, बँहिगी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० वह ) बोझ ढोने को एक बाँस की लंबी खपाच के सिरों पर लटके हुए छींके । पु० बहिगा । बइठना # - क्रि० प्र० (दे०) बैठना ( हि० ) । बउर - संज्ञा, पु० दे० ( हि० बोर या मौर) बौर,
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मौर 1