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बंदरगाह
बँधना चौपाया । मुहा०-बँदर घुड़की या बंदर बंदीहोर* -- संज्ञा, पु० यौ० (फा० बंदी+ भबकी-केवल डराने या धमकाने के लिये हि० छोर ) बंधन ( कैद ) से छुड़ाने वाला। डाँट-डपट या धमकी । “कह दसकंठ कौन | बंदीजन-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) चारण । तें बंदर"- रामा० । संज्ञा, पु० (दे०)- “तब बंदीजन जनक बुलाये''-- रामा० । बंदरगाह ।
बंदीवान *--संज्ञा, पु० (सं० बंदिन ) कैदी। बंदरगाह---संज्ञा, पु. (फा०) समुद्र के | बंदक - संज्ञा, स्त्री० (अ०) बारूद से गोली
किनारे पर जहाजों के ठहरने का स्थान। । फेंकने वाला लोहे की नली जैसा एक अस्त्र । बंदधान- संज्ञा, पु० (सं० बंदी + वान ) बंदकची-संज्ञा, पु. (फा०) बंदक चलाने बंदीगृह का रक्षक, कैदखाने का अफ़सर, | वाला, सिपाही।। जेलर ( अं०)।
बँदेरा* --संज्ञा, पु. ( सं० वंदी ) बंदी, कैदी, बंदसाला-संज्ञा, पु० दे० ( सं० वंदीशाला) दास । स्त्री० बरी। जेल, वंदीगृह, कारागार।
बंदोबस्त-संज्ञा, पु. ( फा० ) इन्तजाम, बंदा- संज्ञा, पु० (फ़ा०) दास, नौकर । संज्ञा, प्रबंध, खेती की भूमि को नाप कर लगान पु० दे० (सं० बंदी) कैदो, बंदी। “बंदा नियत करने का कार्य, इस प्रबंध का एक मौज न पावही, चूक चाकरी माहि "
सरकारी विभाग। कवी ।
बंदोल- संज्ञा, पु० (दे०) दासी-पुत्र । बंदारु-वि० ( सं० वंदारु ) बंदनीय, सम्मान
बंध-संज्ञा, पु. (सं०) योग की मुद्रा या
प्रासन ( योग० ) रति के श्रासन (कोक०), नीय, पूजनीय । बंदाल-सज्ञा, पु० (दे०) देवदाली, एक
गिरह, लगानबंद, गाँठ, बंधन, कैद, बाँध,
गद्य या पद्य में निबंध रचना, शरीर, किसी प्रकार की घास। बंदि-संज्ञा, स्त्री० ( सं० वंदिन ) कैद, वंदी
विशेष प्राकृति या चिन्न के रूप में छंद के
वों की व्यवस्था (चित्र का० ) फँसाव, जन । पू० का. (व. अ.) वंदना करके।
लगाव। 'बंदि बैठि सिरनाइ"-रामा० ।
बंधक -- संज्ञा, पु० (सं०) रेहन, ऋण के बंदिया-संज्ञा, स्त्री० (हि. वंदनी) मस्तक
बदले में ऋणी के यहाँ रखी गई वस्तु, पर बाँधने का एक गहना, बेंदी, बेदिया,
गिरवी, थाती, रति या योग का प्रासन, दासी, टहलुई. बाँदी।
बंध (सं.)। बंदिश-संज्ञा, स्त्री० ( फा० ) प्रबंध, बाँधने |
बंधन-संज्ञा, पु० (सं०) रस्पी, बाँधने की की क्रिया, योजना, रचना, षड्यंत्र ।
क्रिया या वस्तु, कारागार, शरीर के जोड़, महा --- बदिश बांधना-आयोजन वध. प्रतिबंध स्वतंत्रता का बाधक ।
बँधना-अ० कि० दे० (सं० बंधन ) बाँधा बंदी- संज्ञा, पु० (सं० व दिन्) चारण राजाओं जाना, बद्ध होना, कैद में जाना,
का यशोगान करने वाली एक जाति, भाट । प्रतिज्ञा या वचन से बद्ध होना, क्रम का यौ० --बंदीजन । संज्ञा, स्त्री० (हि० वंदनी) स्थिर होना, ठीक या सही होना, प्रेम-पाश एक सिर-भूषण, बंदी, बदिया (दे०)। में बँधना, मुग्ध होना, अटकना, फँसना, संज्ञा, पु० (फ़ा०) कैदी।
प्रतिबंध में रहना । स० रूप-बँधाना, बंदीखाना, बंदीगृह-संज्ञा, पु० यौ० (फा०) बँधाधना, प्रे० रूप--बँधवाना । संज्ञा, पु. जेलखाना, कारागार बंदीघर (हि.)। । (सं० बंधन ) बाँधने की वस्तु या साधन ।
करना।
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