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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अपवर्तन अपशब्द अपवर्तन-संज्ञा, पु० (सं० ) अपवर्त, अपवाहन-संज्ञा, पु. ( सं० ) दुष्ट वाहन, संक्षेपकरण, अल्पकरण, लेन-देन, अंक फुसला के लाना, भगा देना, एक राज्य से काटना। भाग कर दूसरे में जा बसना। वि० अपवर्तित। वि० अपवाहक--भगाने वाला। अपवर्त--संज्ञा, पु०( सं० ) संक्षेप, एक वि० अपवाहित-भगाया हुआ। विन्दु-रूपी चिन्ह जो उस दशमलव अंक । स्त्री. अपवाहिता-भगाई हुई। के ऊपर रखा जाता है जो बारबार आता है। अपवित्र-वि० (सं० ) जो पवित्र या अर्थात जो किसी दशमलव अंक की श्रावृति: पुनीत न हो, अशुद्ध, नापाक, मलिन, छूत, को सूचित करता है यथा ४, ३५२ ३ अपावन । ( गणित ) अपवर्त दशमलव को भिन्न में अपवित्र .. - संज्ञा, स्त्री. ( सं० ) अशुद्धि, रूपान्तारित करने के लिये अपवर्त अंकों के अशौच, नापाकी, अपावनता, मैलापन । लिये है और केवल दशमलव अंकों के लिये अपविद्ध-वि० ( सं० ) त्यागा हया, परिशून्य रखकर हर बनाते हैं, दशमलव-संख्या त्यक्त, छोड़ा हुया, बेधा हुअा, विद्ध, प्रत्याअंश के रूप में रहती है ( गणित)। ख्यात, निराकृत, चूर्णित । अपयश-वि० दे० (हिं. अप = आप + अपविद्ध-पुत्र--संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) वश सं० ) अपने श्राधीन, स्वाधीन, अपने । बारह प्रकार के गौण पुत्रों में से एक मातृवश का, परवश का उलटा या विलोम,। पितृ-विहीन पुत्र, माता-पिता से त्यक्त पुत्र । (दे०) अपबस--स्वतंत्र । अपव्यय---संज्ञा, पु० (सं० ) निरर्थक व्यय, अपवाद-संज्ञा, पु० (सं० ) विरोध, फजूल-ख़र्ची, बुरे कार्यों में ख़र्च, व्यर्थ व्यय । प्रतिवाद, खडंन, निंदा, अपकी तै, दोष, अपव्ययी---वि० (सं० अपव्ययिन् ) पाप, वह नियम जो साधारण या व्यापक व्यर्थ ही अधिक खर्च करने वाला, फ़जूलनियम से विरुद्ध हो, बदनामी, प्राज्ञा, कुत्सा, . खर्च, अधिक व्यय करने वाला। उत्सर्ग का विरोधी, मुस्तसना, सम्मति, राय, संज्ञा, स्त्री. ( सं० ) अपव्ययताआदेश। फजूलखर्ची। अपवादक-वि० (सं० ) निंदक, विरोधी, अपशकुन ----संज्ञा, पु. ( सं०) कुशकुन, वाधक, अपवाद कारक । असकुन. असगुन (दे०) बुरा शकुन, अपवादी-वि० (सं० ) खंडन करने वाला, अशुभ-सूचक चिन्ह, अमंगल-लक्षण, दोषी, निंदक, अपवाद या बदनामी करने अशकुन । - वाला। "भये एक ही संग सगुन-असगुन संघाती'' अपवादित-वि० ( सं० ) परिवाद-युक्त, हरि० । निदित, खंडित, बदनाम । अपशद-संज्ञा, पु० (सं० ) अपसद, नीच, अपवारण- संज्ञा, पु. ( सं० ) व्यवधान, यह शब्द जिस शब्द के अन्त में श्राता है रोक, आड़, हटाने या दूर करने का कार्य, उसका अर्थ नीच कर देता है. यथा-ब्राह्मणाअंतर्धान, प्रोट, रोक। पशद-नीच ब्राह्मण। अपवारित-वि. (सं० ) रोका हुया, । अपशब्द-संज्ञा, पु. ( सं० ) अशुद्ध शब्द, हटाया हुश्रा, निवारित । बिना अर्थ का शब्द, गाली, कुवाच्य, पाद, वि० (सं०) अपवारणोय-रोकने के गोज़, अपानवायु, निंदित शब्द, कुत्सित योग्य । शब्द। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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