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प्रेषित
लोष प्रेषित-वि० (सं०) प्रेरित, भेजा हुआ। प्रौढ़ा-संज्ञा, स्त्री. (सं०) प्रायः ३० से १० प्रेष्ट-वि० (सं० ) प्रिय, प्रेषणीय । वर्ष तक की आयु वाली काम कलादि में प्रेष्य-वि० (सं०) प्रेरणीय, प्रेषणीय, भेजने चतुर नायिका ( काव्य० )। योग्य, दास, सेवक भृत्य ।
प्रौढ़ अधीग-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) पतिप्रेष-संज्ञा, पु. ( सं० ) कष्ट, दुख, मर्दन, वियोग से अधीर प्रौदा नायिका (काव्य)। उन्माद, भेजना।
प्रौढधीग--संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) व्यंग्य प्रैष्य-संज्ञा, पु. ( सं० ) दास, सेवक। से निज क्रोध प्रगट करने वाली प्रिय-वियोग प्रोक्त-वि० (सं०) कथित, वदित, कहा हुआ। में धीर रहने वाली प्रौदा नायिका (काव्य)। प्रोक्षण-संज्ञा, पु. (सं०) पानी छिड़कना, प्रोढ़ा धीराधीग-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं.) पानी का छींटा, पोंछना।
प्रिय प्रियोग से धीर अधीर, प्रौढा नायिका प्रोत-वि० (सं० ) छिपा, पोहा या पोत्रा, (काव्य० )। मिलित पु०-कपड़ा। यौ० श्रोत-प्रोत- प्रोदौक्ति-सज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) एक परस्पर मिला, उलझन ।
अलंकार जिसमें किसी के उत्कर्ष का अहेतु प्रोत्साह-- संज्ञा, पु० (सं० ) अत्यंत उत्साह |
ही हेतु रूप में कहा जाय। या उमंग।
लत-संज्ञा, पु० (सं०) पिलखा (दे०) पाकर प्रोत्साहन-संज्ञा, पु० (सं० ) अत्यन्त पेड़, पीपल, सात कल्पित द्वीपों में से उत्साह बढ़ाना, साहसदेना। वि० प्रोत्साह- एक ( पुरा० )। नीय, प्रोत्साहित ।
प्लवंग-संज्ञा, पु. (सं०) वानर, बंदर, मृग, प्रोत्साहित-वि० (सं० ) जिसका उत्साह | हिरन, पाकर वृक्ष । या साहस बढ़ाया गया हो।
प्लवंगम-संज्ञा, पु० (सं०) एक मात्रिक छंद, प्रोषित-वि० (सं० ) विदेश जाने वाला, (पिं०) बंदर । विदेशी, प्रवासी।
प्लवन - संज्ञा, पु० (सं०) तैरना, उछलना, प्रोषित नायक (पति)-संज्ञा, पु० (सं०)
कूदना । वि० प्लवनीय । विरही या वियोगी नायक जो विदेश में
प्लावन-संज्ञा, पु० (सं०) बाद, तैरना, खूब विकल हो।
धोना। प्रोषतिपतिका ( नायिका )--संज्ञा,
प्लाषित-वि० ( सं० ) पानी में डूबा हुआ, स्त्री० यौ० (सं० ) पति के विदश में होने
जल-मग्न । से दुखी नायिका, प्रवास्यत्प्रेयसी।
प्लीहा -- संज्ञा, स्त्री० (सं० ) तिल्ली। प्रोषितभतृका-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) प्रोषित पतिका।
प्लुत-संज्ञा, पु. ( सं०) वक्रगति, उछाल,
३ मात्रा वाला स्वर का एक भेद । " अश्व प्रोषितभार्य- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) वह । व्यक्ति जो निज स्त्री के विदेश में होने से ।
प्लुत वासव-गर्जनञ्च"- ( व्या० )। दुखी हो।
प्लति- संज्ञा, स्त्री. ( सं० ) कूदना, फाँदना, प्रौढ़ -वि० (सं.) समाप्तप्राय युवावस्था उछलना । वाला, जवान, युवा, पक्का, दृढ़, गूढ, गंभीर, । प्लट---वि० ( सं० ) जला हुश्रा, दग्ध । चतुर । ( स्त्री० प्रौढ़ा )।
| प्लोत--संज्ञा, स्त्री० (सं०) मुंह से गिरा पित्त । प्रौढ़ता-संज्ञा, स्त्री० (सं०) प्रौढत्व, जवानी प्लोष-- संज्ञा, पु० ( सं० ) दाह, जलन ।
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