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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्राण-अधार ११८६ प्राणप्रेयपि जान डालना. जीवन प्रदान करना । प्राण प्राणधन- वि० यौ० (सं०) परमप्रिय, स्वामी त्यागना, (तजना, छोड़ना) मरना। प्राण | जीवन धन, पति । देना-मरना, अत्यन्त आतुर हो घबराना। प्राणधारी-वि० (सं० प्राणधारिन् ) जीवकिसी पर या किसी के ऊपर प्राणदेना धारी, जीवित, चेतन, साँस लेता हुआ -किमी पर प्रति अप्रसन्न होकर मरना, प्राण युक्त । संज्ञा, पु.--प्राणी. नीव । प्राणों से भी अधिक किसी को प्यार करना या प्राणनाथ---संज्ञा, पु. यौ० (सं०) प्रियतम, चाहना। प्राण निकलना (जान निकलना) | परम प्रिय, प्यारा, पति, एक संप्रदाय-प्रवर्तक मरना, मर जाना, बहुत घबरा या डर जाना। क्षत्रिय प्राचार्य ( औरंगजेब-काल )। प्राणपयान (प्रयाण) होना--प्राण निक- (स्त्री० प्राणनाथा) । 'प्राणनाथ तुम बिनु लना 'प्राण प्रयाण समये कफ बात पितैः”। जग माहीं'-रामा प्राण (प्राणों) पर बोतना--जीवन का प्राणनाथी--संज्ञा, स्रो० (सं०) स्वामी, प्राणसंकट में पड़ना. मर जाना । प्राण रखना--- नाथ का चलाया हुश्रा संप्रदाय, इस संप्रदाय जिलाना, जीवन रक्षा करना जीना, जीवन का व्यक्ति। छोड़ना, जान बचाना, जीवन देना। प्राणनाश संज्ञा, पु० चौ० (सं०) मृत्यु, हत्या, "राम कह्यो तनु राखहु प्राना"-रामा०। निधन, जीवनात्यय, प्राणांत, मरण । प्राण रहना-न मरना, जीरन ( जान) प्राणप्रण-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) प्राण-त्याग, शेष रहना । प्राण लेना या हरना--मार ___जीवन पर्यंत प्रतिज्ञा, अत्यन्त प्रायास, डालना । प्राण हारना-मर जाना, साहस करूँगा या मरूँगा का प्रण ।। टूटना। यौ० प्राणों का प्यासा या गाहक- प्राणपति-संज्ञा, पु. ( सं० ) प्रियतम. पति, अति कष्ट देने वाला । परम प्रिय, विष्णु, प्यारा । "सुनहु प्राण पति भावत जीका" ब्रह्मा, अग्नि, शिव । । -रामा०। प्राण-अधार*- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) प्राणप्यारा-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) प्रियतम, अत्यन्त प्यारा, पति, स्वामी, प्राणाधार परम प्रिय, प्राणों सा प्रिय पति । (स्त्री. (सं०) प्राणप्रिय। प्राणप्यारी)।" प्रिय सुत वह मेरा, प्राण प्राणघात-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) वध, हत्या, प्यारा कहाँ है ,-प्रि० प्र० । मार डालना। प्राण-प्रतिष्ठा-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) मंत्रों प्राण-जीवन-- संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) परम के द्वारा नयी मूर्ति में प्राणों का संस्थापन, प्रिय, प्राणाधार, पति। । प्रतिमा में देवत्व करण । प्राणत्याग - संज्ञा, पु. यौ० (सं०) मर जाना। प्राणप्रद वि० (सं०) जीवन-दाता, प्राणप्राणदंड संज्ञा, पु. यौ० (सं०) मार डालने | प्रदाता, स्वास्थ्य-वर्धक । (स्त्री० प्राणप्रदा)। की सज़ा. फाँसी। प्राण-प्रिय-वि० यौ० (सं० ) प्रियतम, प्राणद-वि० (सं०) जीवन देने वाला, प्राण- जीवन तुल्य प्रिय, पति । " राम प्राण प्रिय रक्षा करने वाला। जीवन जीके "- रामा०। प्राणदाता-संज्ञा, पु० यौ० (सं० प्राणदातृ) प्राणामय --वि० ( सं० ) जिसमें प्राण हो। जीवन देने वाला, जीवरक्षक। प्राण-प्रीता-वि. स्त्री. (सं०) प्राणों सी प्राणदान-संज्ञा, पु. यौ० ( सं०) जीव प्रिय, प्रियतमा, प्यारी। बचाना, जीवन-दान, प्राण रक्षा करना, जान प्राणप्रेषि--वि० स्त्री० यौ० (सं०) प्रिया, स्त्री, छोड़ना, मारे जाने या मरने से बचाना। प्यारी । “ग्राणप्रेयपि मा पिवन्तु पुरूषाः"। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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