________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
प्रभंजनसुत
११७७
प्रमा
प्रभंजनसुत - संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) हनु- प्रभु - संज्ञा, पु० (सं० ) स्वामी, नायक,
अधिपति परमेश्वर, प्रभू, परभू (दे० ) । प्रभुता संज्ञा, स्रो० (सं० ) महत्व, वैभव, साहिबी, शासनाधिकार, हुकूमत, ऐश्वर्य्यं । "प्रभुता पाय काहि मद नाहीं "-- रामा० । प्रभुवाई - संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० प्रभुता ) महत्व, वैभव, ऐश्वर्य, साहिबी । "मैं जानी तुम्हारि प्रभुताई" - रामा० ।
प्रमुख - संज्ञा, पु० (सं० ) प्रभुता, प्रभुताई । प्रभू - संज्ञा, पु० दे० (सं० प्रभु ) प्रभु । प्रभूत-- वि० सं०) उत्पन्न, उद्भभूत, प्रचुर, बहुत, उन्नत | संज्ञा, पु० पंचभूत, पंच तत्व । प्रभूति - संज्ञा, स्त्री० (सं०) प्रभाव, उत्पत्ति, उन्नति, प्रचुरता, बहुलता ।
मान् जी, भीमसेन, प्रभंजनात्मज । प्रभद्र - संज्ञा, पु० (सं० ) नीम का पेड़ | प्रभवक - संज्ञा, ५० (सं० ) एक वर्णं वृत्त । ( पिं० ) सो० प्रहिका । प्रभव - एंझा, पु० (सं०) एक संवत्सर (ज्यो०) उत्पत्ति का हेतु जन्मस्थान, सृष्टि, उत्पत्ति, जन्म, पराक्रम, श्राकर | " सूर्य प्रसवो वंश : " - रघु०
|
प्रभा -- संज्ञा, सी० ( सं० ) कांति, श्राभा प्रकाश, प्रतिमा, सूर्य की एक स्त्री, कुबेर की पुरी, एक गोपी एकादशावर वृत्त (पिं० ) मंदाकिनी ।
प्रभाउछ - संज्ञा, पु० दे० (सं० प्रभाव ) प्रभाव, पराव, परसाउ प्रभाऊ (दे०) प्रभाकर -- संज्ञा, पु० ( सं० ) सूर्य, चंद्रमा, अनि सागर, विभाकर !
प्रभाकीय संज्ञा, पु० यौ० (सं०) जुगुनू । प्रभात -- संज्ञा, पु० ( ० ) राधेरा, तड़का, परभात (दे० ) । वि० प्रभातकी । प्रभाती - संज्ञा, स्त्री० (सं० प्रभात ) सवेरे या तड़के गाने का एक गीत, परभाती (दे० ) । प्रभाव - संज्ञा, पु० (सं० ) शक्ति, बल, अर, सामर्थ्य, यथेष्ट कार्य करने कराने का अधिकार, दबाव, उद्भव, माहात्म्य, महिमा, महत्ता, परभाव (दे० ) : ' मोर प्रभाव विदित नहि तोरे " - रामा० । वि० - प्रभावी, प्रभावित ।
प्रभावती - संज्ञा, खो० (सं०) सूर्य की एक स्त्री, १३ वर्णों का एक छंद रुचिरा ( पिं० ) एक दैत्यकन्या वि० [स्त्री० प्रभा या प्रभाववाली ।
प्रभास -- संज्ञा, पु० (सं० ) कांति, प्रकाश, ज्योति, दीधि, सोम नामक एक प्राचीन तीर्थ प्रभासना* - अ० क्रि० दे० (सं० प्रभासन ) afen या प्रकाशित होना दिखाई या समझ पड़ना | संज्ञा, पु० प्रभासन । भा० श० को० १४८
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
--
प्रभृति- :- अव्य० (सं० ) इत्यादि, आदि । प्रभेद - संज्ञा, पु० (सं० ) अलगाव, भिन्नता, अंतर, भेद गुप्त बात ।
2
प्रमेव संज्ञा, पु० दे० (सं० प्रभेद ) प्रभेद । प्रमन्त - वि० (सं०) पागल, नशे में चूर, मतवाला, मस्त बदहोश । संज्ञा स्त्री० प्रमत्तता । प्रमथ - संज्ञा, पु० (सं०) मथन या पीड़ित करने वाला, शिव के गण या सेवक । " भृंगी फूंकि प्रमथ गन टेरे " रामा० । प्रमथन - संज्ञा, पु० (सं०) वध या नाश करना, दुखी करना, मथना, प्रमंथन | वि०प्रमथनीय ।
प्रमथगण - संज्ञा, ५० यौ० (सं०) शिव जी के सेवक ।
'
प्रमथनाथ- प्रमथ- पति प्रमथाधिप-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) शिव जी, प्रमथेश । प्रमद - संज्ञा, पु० (सं०) हर्ष, प्रसन्नता, मस्ती, मतवालापन, प्रमत्तता । वि० मस्त, मतवाला । प्रमदा - संज्ञा, स्री० (सं०) युवती स्त्री० मस्त । प्रमदा प्रमदा महता महता " मट्टी० । प्रमर्दन - संज्ञा, पु० (सं०) भली भाँति मलना, रौंदना, कुचलना । वि० - प्रति मर्दन कर्त्ता । प्रमा - संज्ञा, स्त्री० (सं०) यथार्थ बोध, शुद्ध ज्ञान (न्याय), माप, नाप !
"
For Private and Personal Use Only