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प्रजाधिकारी राज्य
प्रणव प्रजाधिकारी राज्य-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) । प्रज्ञामय-संज्ञा, पु० (सं०) विद्वान, पंडित, प्रजातंत्र राज्य, जहाँ प्रजा का चुना हुआ प्रज्ञावान, प्रज्ञावन्त । ब्यक्ति शासन करता हो।
| प्रज्वलन-संज्ञा, पु० (स०) बहुत ही जलना । प्रजापति-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) सृष्टिकर्ता, वि० प्रज्वलनीय, प्रज्वलित । विरंचि, दशादि, मनु, सूर्य ,राजा। मेघ, अग्नि, | प्रज्वलित--वि० (सं०) जलता या धधकता पिता, घर का मुखिया ।
हुआ, प्रकाशित, स्पष्ट । प्रजारना-सं० क्रि० दे० ( सं० प्रजारण) प्रज्वलिया-संज्ञा, पु० दे० (सं० प्रज्झटिका) भली भाँति जलाना। "नगर फेरि पुनि पूंछ पद्धरी, पद्धटिका । प्रजारी"--रामा०।
प्रडीन--- संज्ञा, पु० (सं०) पक्षी की उड़ान, प्रजावती--संज्ञा, स्त्री. (सं०) जेठे भाई की प्रथम उड़ान, उड़ना। स्त्री, पुत्रवती स्त्री।
प्रण - संज्ञा, पु० दे० (सं०) प्रतिज्ञा, प्रजापान - संज्ञा, पु० (सं० प्रजावत् ) लड़के पण (दे०), हठ, दृढ़ निश्चय । “कह नृप वाला।
जाय कहौ प्रण मोरा"-रामा० । प्रजासत्ता-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) प्रजातंत्र। प्रणख-संज्ञा, पु० (सं०) नख का अग्र भाग । प्रजासन--संज्ञा, पु० दे० (सं० प्रजासन ) प्रणत-वि. (म०) दीन, नम्र, झुका हुआ,
प्रजा का भोजन, साधारण पाहार। कृत प्रणाम, नम्रीभून, नत (दे०)। प्रजित-संज्ञा, पु० (सं०) विजय करने वाला। प्रणतपाल-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) शरणाप्रजाहित--संज्ञा, पु. यौ० (हि०) प्रजा की। गत-रक्षक, भक्तों, दासों. या दीनों का पालन
भलाई, प्रजा का उपकार, प्रजा का शुभ ।। करने वाल, । "प्राणतपाल रघुवंश-मणि, प्रजुलित *-वि० ( दे० ) ( प्रज्वलित) त्राहि त्राहि अब मोहि"-रामा० । (सं०) । " प्राची दिशितें प्रजुलित आवति प्रणति-संज्ञा, स्त्री० (सं०) प्रणाम, नमस्कार,
अग्नि उठी जनु" - नागरी।। नम्रता, दंडवत, विनय, बंदगी । प्रजेश-प्रजेश्वर--संज्ञा, पु. यौ० (सं०) प्रणमन संज्ञा, पु. (सं०) प्रणाम करना, राजा, नृप।
नन होना, मुकना। प्रजाग-संज्ञा, पु० दे० (सं० प्रयोग) प्रयोग। प्रणम्य - वि० (सं०) प्रणाम करने योग्य | प्रज्झटिका-संज्ञा, स्त्री० (०) १६ मात्राथों | स० क्रि० पू० का० (सं०) प्रणाम कर के ।
का एक छन्द (पिं० ) पद्धटिका, पद्धरी। "प्रणम्य परमात्मानम् "-सारस्वत । प्रज्ञ- संज्ञा, पु० (सं०) ज्ञानी. विद्वान, पण्डित । प्रणय-संज्ञा, पु० (सं०) प्रेम-प्रार्थना, स्नेह, प्रज्ञता-संज्ञा, स्त्री० (स०) विद्वता, पांडित्य । विनय, प्रेम, मोक्ष, विश्वास । प्रज्ञप्ति-संज्ञा, स्रो० (सं०) निवेदन, संकेत, प्रणयन- संज्ञा, पु० (सं०) बनाना, रचना, विज्ञापन, सूचना।
निर्माण करना। " दशाश्चतस्रा प्रणयन्नु प्रज्ञा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) ज्ञान, बुद्धि, समझ, पाधिभिः "-नेप० । सरस्वती।
प्रणयिनी-संज्ञा, स्त्री० (सं०) प्रेमिका, प्यारी, प्रज्ञाचतु-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) धृतराष्ट्र । प्रिया, प्रियतमा, स्त्री, पत्नी।
अन्धा। वि० यौ० (सं०) बुद्धिमान, ज्ञानी, । प्रणयी-संज्ञा, पु० (सं० प्रणयिन) प्रेमी, स्नेही, ज्ञान-दृष्टि से देखने वाला।
प्रेम करने वाला, पति । स्त्री० प्रणयिनी। प्रज्ञापारमिता--संज्ञा, स्त्री० (सं०) गुणों की प्रणव- संज्ञा, पु० ( सं० ) ओ३म्, प्रोंकार, पराकाष्टा ( बौद्ध०)।
। ब्रह्म, ईश्वर। "तस्य वाचकः प्रणवः"-योग।
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