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पौने
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प्याज
हि० पौना) छोटा पौना ।
पौने - वि० ( हि० पौन ) किसी पदार्थ का तीन चौथाई ।
पौमान -- संज्ञा, पु० दे० (सं० पवमान ) वायु, जलाशय, पवमान ।
पौर - वि० (सं० ) पुर या नगर का । संज्ञा, पु० (दे०) पौरि द्वार |
दिया गया इनाम, पौती | संज्ञा, स्त्रो० | पौरेय - संज्ञा, पु० (सं० ) नगर - सम्बन्धी, नगर का समीपी देश, गाँव आदि । पौरोगव -संज्ञा, पु० ( सं० २) पाकशाला - ध्यक्ष, बाबरचीख़ाने का दरोगा । पौरोहित्य- संज्ञा, ० (सं०) पुरोहित का कार्य, पुरोहिताई, पुरोहिती | पौर्णमास-संज्ञा, पु० (सं०) पूर्णमासी को किया जाने वाला एक यज्ञ । पौर्णमासी - संज्ञा, स्त्री० (सं० ) पूर्णमासी, पूर्णिमा, पुरणमासी, पूरनमासी (दे० ) । पौर्वाहिक - वि० यौ० (सं०) रेपहर तक का कार्य या क्रिया, पूर्वाह्न सम्बन्धी । पौलस्य - संज्ञा, पु० (सं०) पुलस्त्य ऋषि का वंशज, कुवेर, रावण यादि, चन्द्र । त्रो०पौलस्यो । पौला
संज्ञा, पु० ( हिं० पाव - ला--- प्रत्य० ) एक तरह की खड़ाऊँ । स्रो० श्रल्पा० पौली, पौलिया । " पौला पहिरि निरावै”पौलिया - संज्ञा, पु० दे० ( हिं० पौरिया ) पौरिया, द्वारपाल | संज्ञा, स्त्री० दे० ( हिं० पौला) छोटी खड़ाऊँ ।
- घाघ ।
पौर- पौरि-पौनी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० प्रतोली ) द्वार, ड्योढ़ी | संज्ञा, स्त्री० (हि० पैर ) सीढ़ी, पैड़ी | संज्ञा, 'स्त्री० ( हि० पाँवरि ) खड़ाऊँ, पाँवरी ।
पौरव - संज्ञा, पु० (सं० ) पुरुवंशी, पुरु की संतान, उत्तर-पूर्व का देश ( महा० ) । पौरस्त्य - वि० (सं० ) प्रथम, यादि, पूर्वीय, पूर्व दिशा सम्बन्धी ।
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पौरा - संज्ञा, पु० दे० ( हि० पैर ) यया हुआ कदम, पड़ा हुआ पाँव, पैरा पौराणिक - वि० (सं० ) ( स्त्री०) पुराणपाठी, पुराणवेत्ता, पुराण सम्बन्धी, पुराने समय का । त्रो० पौराणिकी | संज्ञा, पु० (सं०) १८ मात्राों के छंद ( पिं० ) । पौरिया - संज्ञा, पु० दे० ( हि० पौर) द्वार
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पाल, दरबान, प्रतीहारी । " द्वार २ छरी लीने वीर पौरिया हैं खड़े " - सुदामा० । “ बेटा, बनिता पौरिया, यज्ञ करावन हार' - गिर० । पौरुष -- संज्ञा, पु० (सं०) पुरुषत्व, पुरुषार्थं । पुरुष का कर्म, साहस, पराक्रम, उद्यम, उद्योग, परिश्रम, यत्र । वि० पुरुष सम्बन्धी ।
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• दैवं निहत्य कुरु पौरुषमात्मशक्त्या ।" पौषेय - वि० (सं०) पुरुष सम्बन्धी, श्रध्यारिमक, पुरुष का निर्मित या बनाया हुआ, पुरुष-समूह | 'पौरुषेयवृता इव माघ०२ । पौरुष्य - संज्ञा, पु० (सं०) पुरुषत्व, साहस । पौरुहूत - संज्ञा, पु० (सं० ) इन्द्र का अस्त्र, वज्र । पौरू - संज्ञा, स्त्री० (दे०) एक प्रकार की मिट्टी
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या भूमि ।
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पौली- संज्ञा, खो० दे० (सं० प्रतोली) ड्योदी, पौरी | संज्ञा, स्त्री० दे० ( हिं० पौला ) छोटी खड़ाऊँ, टाँग, घुटने और पैर का मध्यभाग । पौलामी - संज्ञा, स्त्री० (सं० ) इन्द्राणी,
भृगुपली, पुलोम की कन्या । पौष - सज्ञा, ५० (सं०) पुष्य नक्षत्र की पूर्णिमा वाला मास, पूस महीना । स्त्री० पौषी । पौष्टिक – वि० (सं०)बल-वीर्यवर्द्धक, पुष्टिकारी । पौसरा- नौसला -संज्ञा, पु० दे० ( सं० पयःशाला ) प्यासे श्रादमियों को पानी पिलाने का स्थान, प्याऊ, जलशाला । पौहारी - संज्ञा, पु० दे० (सं० पयस् + आहार ) दुग्धाहारी, केवल दूध पीकर रहने वाला । प्याऊ - संज्ञा, पु० दे० (सं० प्रया) पौसला, पौसरा, जलशाला, पियाऊ ( प्रा० ) । प्याज - संज्ञा, पु० ( फ़ा० ) पियाज (दे० )
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